चीन को टेंशन क्यों नहीं हो रही? भारत का ये नया चालबाज़ी वाला मूव… ड्रैगन की नींद हराम हो जाएगी!
अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने तो बड़ा ही मज़ेदार बयान दे डाला है! उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि “भारत की सीमा तिब्बत से लगती है, चीन से नहीं”। और तो और, उन्होंने एक ऐसी बात कही जिसने सबके होश उड़ा दिए – अगर हालात बदले तो भारत का पड़ोसी ही बदल सकता है! ये कोई छोटी-मोटी बात नहीं है दोस्तों। चीन के कान खड़े हो गए होंगे, और अब ये मामला सिर्फ राजनयिक गलियारों तक ही सीमित नहीं रहने वाला।
पूरा माजरा क्या है? चीन का वो ‘दक्षिणी तिब्बत’ वाला झूठ
असल में देखा जाए तो ये विवाद नया नहीं है। चीन तो बरसों से अरुणाचल को “दक्षिणी तिब्बत” बताता आया है – जैसे कोई बच्चा जिद पकड़ ले। हमारी सरकार हमेशा से साफ कहती आई है कि अरुणाचल हमारा है, पूरा का पूरा। 1962 की लड़ाई के बाद से ये सीमा विवाद कभी शांत ही नहीं हुआ – गलवान, डोकलाम, तवांग… नाम याद रखिए, क्योंकि यहीं पर भविष्य में कुछ बड़ा हो सकता है। और तिब्बत? वो तो इस पूरे पहेली का सबसे दिलचस्प टुकड़ा है। चीन उसे अपना बताता है, लेकिन हमारी नज़र में वो हमेशा से एक अलग पहचान रखता आया है।
अब क्या हुआ? मुख्यमंत्री की बात और चीन का गुस्सा
पेमा खांडू ने तो सीधे-सीधे कह दिया – “हमारा पड़ोसी तिब्बत है, चीन नहीं”। सुनकर चीन के होश उड़ गए होंगे! उनका विदेश मंत्रालय तुरंत भड़क गया – बोले ये बयान “बकवास और बिना सबूत का” है। हमारी केंद्र सरकार ने अभी तक कुछ नहीं कहा, लेकिन जानकारों का मानना है कि ये कोई आकस्मिक बयान नहीं था। शायद ये भारत की तिब्बत पॉलिसी में बड़ा बदलाव होने का संकेत है? या फिर चीन को दी गई एक चुपके से चेतावनी? समय बताएगा।
हंगामा मच गया: किसने क्या बोला?
इस एक बयान ने तो हड़कंप मचा दिया! चीन वाले तो पहले ही गरज चुके हैं – “ये झूठ है! तिब्बत हमेशा से चीन का रहा है!” (हालांकि इतिहास कुछ और ही कहता है)। हमारे देश के रक्षा एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये सीधे चीन को चुनौती देने जैसा है। एक एक्सपर्ट ने तो यहाँ तक कह दिया – “अगर भारत तिब्बत को अलग देश मानने लगे, तो चीन की तो बल्ले-बल्ले हो जाएगी!” राजनीति वालों ने भी अपनी-अपनी रोटियाँ सेकनी शुरू कर दी हैं – भाजपा अरुणाचल पर दावा कर रही है, तो कांग्रेस सरकार से जवाब माँग रही है।
आगे क्या? चीन क्या करेगा?
अब सवाल यह है कि आगे का खेल क्या होगा? मेरे हिसाब से चीन ये मामला UN जैसी जगहों पर उठाएगा और भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा चलाएगा। अगर हमने तिब्बत मुद्दे को और आगे बढ़ाया, तो चीन सीमा पर और ज़्यादा गुंडागर्दी कर सकता है। पर एक बात तो तय है – ये कोई आम बयान नहीं था। शायद ये भारत की नई रणनीति का हिस्सा है, जहाँ हम चीन को उसके ही घर में चुनौती दे रहे हैं। अब देखना ये है कि ये खेल कितना गरम होता है… क्योंकि अगर ये विवाद बढ़ा, तो भारत-चीन रिश्तों में नया विस्फोट हो सकता है। और वो भी ऐसा कि पूरी दुनिया का ध्यान इस तरफ खिंच जाए!
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भारत की चालाकी भरी रणनीति और पड़ोसियों के साथ बढ़ती दोस्ती देखकर चीन की नींद उड़ी हुई है, है न? सच कहूं तो, नेपाल और भूटान में जो बदलाव आ रहे हैं, वो साफ दिखाते हैं कि ड्रैगन का वो दौर खत्म हो गया जब वो मनमर्जी करता था।
अब सवाल यह है कि भारत सिर्फ अपनी पोजीशन मजबूत नहीं कर रहा – वो चीन को उसी के खेल में पछाड़ने की तैयारी कर रहा है। और सच बात तो ये है कि चीन के लिए ये देखना मुश्किल हो रहा होगा कि…
एक तरफ तो हमारी foreign policy धीरे-धीरे रंग ला रही है, दूसरी तरफ चीन की हर चाल बेकार होती जा रही है। क्या आपको नहीं लगता कि अब चीन को अपनी रणनीति पर फिर से सोचना पड़ेगा?
और हां, एक बात और – ये सिर्फ राजनीति नहीं है। असल में ये पूरे region के power balance को बदल देने वाला मोड़ है। थोड़ा सा वैसा ही जैसे क्रिकेट में कोई टीम पुराने तरीके छोड़कर नए strategies अपनाने लगे। Game बदल गया है, दोस्त!
अब चीन के पास दो ही रास्ते हैं – या तो वो इस नई reality को स्वीकार करे, या फिर तड़प-तड़प कर देखता रहे कि कैसे…
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com