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“भारत में आधी रात को 6.3 तीव्रता का भूकंप! नेपाल से हिली धरती, दिल्ली-एनसीआर में महसूस किए गए झटके”

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भारत में आधी रात को 6.3 तीव्रता का भूकंप! नेपाल से हिली धरती, दिल्ली-एनसीआर में महसूस किए गए झटके

सोचिए, 29 जुलाई की आधी रात को जब हम में से ज़्यादातर लोग गहरी नींद में थे, तभी अचानक… धरती हिल उठी! बंगाल की खाड़ी के पास, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के आसपास 6.3 तीव्रता का भूकंप आया। और ये कोई मामूली झटका नहीं था, बल्कि इतना तेज़ कि सैकड़ों किलोमीटर दूर तक महसूस किया गया। रात के ठीक 12:11 बजे, जब भूकंप का केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई पर था, तब नेपाल से लेकर दिल्ली-एनसीआर तक के लोगों की नींद उड़ गई। क्या आपने भी महसूस किया?

भूकंप का असर: नेपाल से दिल्ली तक!

असल में, सबसे ज़्यादा असर तो नेपाल में देखने को मिला। लेकिन हैरानी की बात ये है कि दिल्ली और एनसीआर में भी लोगों ने झटके महसूस किए। social media पर तो माजरा ही कुछ और था – लोगों ने अपने अनुभव शेयर करते हुए लिखा, “लगा जैसे कोई बिस्तर को खींच रहा हो!” कुछ ने तो यहां तक कहा कि उनकी कुर्सियां हिलने लगी थीं। और सिर्फ़ दिल्ली ही नहीं, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में भी लोगों ने हल्के झटके महसूस किए। डरावना था, है ना?

अच्छी बात ये रही कि जान-माल का कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। हालांकि, कुछ इमारतों में मामूली दरारें ज़रूर आईं। भूकंप के तुरंत बाद का दृश्य? लोग घबराहट में सड़कों पर निकल आए। और social media पर तो videos और eyewitness accounts की बाढ़ आ गई। कुछ ही मिनटों में viral हो गए ये पोस्ट्स। लोगों के बीच चिंता फैलना तो स्वाभाविक था।

विज्ञान की नज़र से: आखिर क्यों आया ये भूकंप?

अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये भूकंप आया क्यों? विशेषज्ञों के मुताबिक, ये भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स की टक्कर का नतीजा था। और जानकर हैरानी होगी कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का ये इलाका तो भूकंप-प्रवण जोन में ही आता है। यहां अक्सर ऐसी गतिविधियां होती रहती हैं। एक दिलचस्प बात – क्योंकि भूकंप की गहराई कम थी (सिर्फ़ 10 किलोमीटर), इसलिए झटके ज़्यादा तेज़ महसूस हुए। हालांकि, tsunami का कोई खतरा नहीं था, ये राहत की बात रही।

ज़रूरी जानकारी: भूकंप आने पर क्या करें?

अब ज़रा सीधे-सीधे बात करते हैं। भूकंप आने पर क्या करना चाहिए? सबसे पहले तो घबराएं नहीं (हां, ये कहना आसान है!)। अपने सिर को तकिए या हाथों से ढक लें। अगर संभव हो तो मजबूत टेबल या बिस्तर के नीचे छिप जाएं। और एक बात याद रखें – lift का इस्तेमाल कभी न करें! emergency में हमेशा सीढ़ियों का ही प्रयोग करें।

भूकंप के बाद? सबसे पहले गैस और बिजली के मेन स्विच बंद कर दें। और सबसे ज़रूरी – social media की अफवाहों पर बिल्कुल भी ध्यान न दें। सिर्फ़ सरकारी एजेंसियों और authentic news sources से ही जानकारी लें। याद रखें, गलत जानकारी कई बार आपदा से भी ज़्यादा खतरनाक हो सकती है।

एक चेतावनी के तौर पर

देखिए, ये भूकंप हम सभी के लिए एक wake-up call है। भारत भूकंप-प्रवण जोन में आता है, ये तो हम जानते हैं। लेकिन क्या हम तैयार हैं? disaster management के मामले में हमें और सजग होने की ज़रूरत है। भूकंपरोधी इमारतें बनाना, जन-जागरूकता फैलाना – ये सब आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है। प्रकृति ने हमें चेतावनी दी है, अब हमारी बारी है सीख लेने की।

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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