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“भारत का ‘गांडीव’ बनाम चीन का J-20: कौन सी मिसाइल है ज्यादा ताकतवर? Astra MkII vs PL-17 पूरी जानकारी”

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भारत का ‘गांडीव’ vs चीन का J-20: असली टक्कर किसकी होगी?

अरे भाई, क्या आपने सुना? भारत ने अपनी नई एयर-टू-एयर मिसाइल अस्त्र Mk-3 (गांडीव) का टेस्ट कर दिया है! और ये कोई मामूली मिसाइल नहीं है – ये तो चीन के PL-17 मिसाइल और उनके घमंडी J-20 स्टील्थ फाइटर को सीधे चुनौती देने आई है। सुनकर गर्व होता है न? 300-350 किमी तक मार करने वाली ये मिसाइल एशिया के पावर गेम को ही बदल सकती है।

पूरी कहानी समझिए

देखिए, ये अस्त्र Mk-3 कोई आम चीज़ नहीं है। DRDO वालों ने इसमें रैमजेट टेक्नोलॉजी डाली है – वो भी अपनी मेहनत से! सोचिए, महाभारत के अर्जुन के धनुष के नाम वाली ये मिसाइल अब दुश्मन के AWACS और स्टील्थ जेट्स को धूल चटाएगी। क्या बात है!

अब चीन वालों की बात करें तो उनका PL-17 भी कम नहीं। 300-400 किमी रेंज वाली ये मिसाइल उनके J-20 के साथ आती है। पर सच कहूँ? हमारी गांडीव की खासियत ये है कि ये राफेल और सुखोई जैसे हमारे जंबो जेट्स पर भी फिट हो जाएगी। तो फायदा किसका? आप ही बताइए!

ताज़ा अपडेट

अभी-अभी DRDO ने अस्त्र Mk-3 का पूरा टेस्ट किया है। और क्या टेस्ट था भाई! लंबी दूरी पर टारगेट को ऐसा निशाना बनाया कि बस…परफेक्ट! ये तो चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच हमारे लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।

मजे की बात ये कि चीनी मीडिया तो फौरन बोल पड़ा कि उनकी PL-17 अभी भी बेहतर है। कहते हैं कि उनकी मिसाइल हमारे रडार को चकमा दे सकती है। पर हमारे एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि गांडीव की एक्यूरेसी और रेंज का कोई जवाब नहीं। किसकी सच्चाई है? वक्त बताएगा।

अब सुनिए – हमारी एयर फोर्स इस मिसाइल को 2025 तक अपने जेट्स में लगाने वाली है। यानी अगले कुछ सालों में हमारी एयर पावर एकदम नए लेवल पर पहुँच जाएगी। चीन वालों को पसीना आएगा!

क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स?

हमारे डिफेंस एक्सपर्ट्स तो मानो खुशी से उछल रहे हैं। एक सर ने तो कहा, “ये मिसाइल J-20 के लिए सिरदर्द बन जाएगी!” सच कहूँ तो, ये हमारे पायलट्स को दुश्मन के एयरस्पेस में बड़ी बढ़त देगी।

वहीं चीन के अपने विश्लेषक (जो हमेशा अपनी ही तारीफ करते हैं) कह रहे हैं कि उनकी PL-17 अभी भी बेस्ट है। पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया क्या कह रहा है? वो तो इसे एशिया की एयर वॉरफेयर स्ट्रेटेजी को बदलने वाला मोड़ मान रहा है!

आगे क्या?

अब तो ये टेक्नोलॉजी रेस और भी गरमा सकती है। DRDO शायद अस्त्र Mk-3 के और टेस्ट करे। और अगर ये मिसाइल सच में कमाल करती है, तो कई देश इसे खरीदने को लाइन लगा देंगे! कल्पना कीजिए – भारत एक बड़ा डिफेंस एक्सपोर्टर बन जाए। क्या बात होगी!

अंत में…

ये गांडीव और PL-17 की लड़ाई सिर्फ मिसाइलों की नहीं, बल्कि दोनों देशों की ताकत दिखाने की है। चीन ने J-20 से बढ़त बनाई थी, पर अब हमारी गांडीव उन्हें जवाब दे सकती है। आने वाले साल बताएँगे कि ये टेक्नोलॉजी वॉर एशिया के पावर बैलेंस को कैसे बदलता है। एक बात तो तय है – ये स्पेस बड़ा दिलचस्प होने वाला है!

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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