भारत ने राफेल डील पर किया बड़ा फेरबदल! फ्रांस को लगा झटका
अरे भाई, क्या आपने सुना? भारत सरकार ने राफेल विमानों की खरीद में बड़ा बदलाव किया है। और ये फैसला फ्रांस के लिए ठीक वैसा ही है जैसे कोई बच्चा आइसक्रीम खाने के लिए मचल रहा हो और अचानक दुकान बंद हो जाए। असल में, Dassault Aviation से होने वाली राफेल F4 विमानों की खरीद अब कम हो गई है। सुनकर हैरानी होगी कि फ्रांस तो 110+ विमानों की डील की उम्मीद लगाए बैठा था। पर हमारी सरकार का फोकस अब ‘Make in India‘ और स्वदेशी तकनीक पर है। समझ गए ना मामला?
पूरा माजरा क्या है?
याद कीजिए 2016 का वो समय जब 36 राफेल विमानों की डील हुई थी। बड़ी धूम-धाम से ये विमान 2020 से हमारी वायुसेना में शामिल हुए। अब जो F4 वर्जन आया है, वो तो कमाल का है भाई – 5th जनरेशन के करीब-करीब (हालांकि stealth technology नहीं है)। UAE जैसे देश भी इस पर नजर गड़ाए बैठे हैं। लेकिन सवाल यह है कि भारत अब क्यों पीछे हट रहा है?
अब ताजा क्या है?
अभी-अभी मिली जानकारी के मुताबिक, खरीद संख्या घटकर सिर्फ 26-30 रह गई है। ईमानदारी से कहूं तो ये हमारी नई रक्षा नीति का असर है – TEJAS MK-2 और AMCA जैसे देसी प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता। Dassault वाले तो निराश हुए होंगे, पर उनका कहना है कि “भारत के साथ रिश्ते बने रहेंगे”। पर सच पूछो तो, ये सिर्फ डिप्लोमैटिक बयान लगता है।
कौन क्या बोला?
वायुसेना का साफ कहना है – “लॉन्ग टर्म में देसी तकनीक ही काम आएगी”। एक तरफ तो ये सही फैसला लगता है, पर दूसरी तरफ क्या हमारी तात्कालिक जरूरतें पीछे नहीं छूट जाएंगी? विशेषज्ञ भी इसी उधेड़बुन में हैं। Dassault वालों ने तो बस फॉर्मल स्टेटमेंट दे दिया – “हम भारत को वैल्यू करते हैं”। अरे भई, डील गई तो गई ना!
आगे क्या होगा?
अब पूरा फोकस TEJAS MK-2 और AMCA पर होगा। मजे की बात ये कि फ्रांस शायद Scorpene submarines या टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के जरिए रिश्ते सुधारने की कोशिश करे। अगले 5 साल में कुछ नई खरीद नीतियां भी आ सकती हैं। एक तरफ तो ये आत्मनिर्भरता की दिशा में अच्छा कदम है, पर दूसरी तरफ… क्या हम समय पर तैयार हो पाएंगे? यही सबसे बड़ा सवाल है।
अंत में बस इतना – ये फैसला न सिर्फ भारत-फ्रांस रिलेशन्स को प्रभावित करेगा, बल्कि पूरी ग्लोबल डिफेंस मार्केट की दिशा बदल सकता है। देखते हैं आगे क्या होता है। क्या आपको लगता है ये सही फैसला था? कमेंट में बताइएगा जरूर!
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भारत का राफेल डील से पीछे हटने का फैसला… हैरान करने वाला है, है न? फ्रांस तो शायद अभी भी इस झटके से उबर नहीं पाया होगा। लेकिन असल सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक डिप्लोमैटिक झटका है, या फिर भारतीय वायुसेना की रणनीति में कोई बड़ा बदलाव आने वाला है?
अब देखिए न, नई खरीद नीति में ‘Make in India’ वाला मंत्र साफ झलक रहा है। स्वदेशी तकनीक और cost-effective समाधानों पर दांव लगाना… समझदारी भरा कदम लगता है। पर सच कहूं तो, यह उतना ही आसान नहीं जितना लग रहा है। जैसे कि आप घर का बना खाना तो सेहतमंद होता है, लेकिन कभी-कभी बाहर से पिज़्ज़ा मंगाने का भी मन करता है न?
सबसे बड़ा सवाल तो यही कि – क्या यह नया रास्ता हमारी सुरक्षा चुनौतियों का असली हल होगा? वक्त ही बताएगा। फिलहाल तो… एक दिलचस्प मोड़ जरूर आया है। देखते हैं आगे क्या होता है!
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com