कारगिल से ऑपरेशन सिंदूर तक: भारतीय सेना की ड्रोन-मिसाइल ताकत का सफर कितना खास है?
26 जुलाई, 2024। कारगिल विजय दिवस। और इस बार, भारतीय सेना ने जो किया, वो सच में गर्व महसूस कराने वाला था। देखा जाए तो ये कोई औपचारिक परेड नहीं थी, बल्कि एक संदेश था – हमारी सेना अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के ताजा सफल हमलों ने तो ये साबित कर दिया कि अब हम सिर्फ बचाव नहीं, बल्कि जरूरत पड़ने पर पहले भी वार कर सकते हैं। और ये सब कैसे हुआ? ड्रोन्स और मिसाइल टेक्नोलॉजी की बदौलत।
कारगिल युद्ध: वो कड़वा सच जिसने हमें सिखाया सबक
1999 की बात है। कारगिल की बर्फीली चोटियों पर हमारे जवानों ने जो किया, वो इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। लेकिन एक कड़वा सच भी था – उस वक्त हमारे पास न सैटेलाइट इमेजरी थी, न ही सटीक मिसाइल सिस्टम। सच कहूं तो, हमारे जवानों को पहाड़ों पर चढ़कर दुश्मन से लड़ना पड़ा। उनकी वीरता ने जीत तो दिलाई, लेकिन एक सबक भी दिया – आधुनिक युद्ध में तकनीक की क्या अहमियत है। और फिर क्या? हमने ब्रह्मोस और नाग जैसी मिसाइलें बनाईं, ड्रोन टेक्नोलॉजी में पैसा लगाया। एक तरह से कारगिल की हार ने ही हमें आज की ताकत बनाया।
ऑपरेशन सिंदूर: जब हमने दिखाया अपना असली दमखम
अब बात करते हैं ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की। ये कोई सामान्य ऑपरेशन नहीं था। असल में, ये भारत के लिए एक तरह का टर्निंग प्वाइंट था। हमारे स्वदेशी ड्रोन्स ‘स्विफ्ट’ और ‘टैपस’ ने क्या किया? सीमा पार जाकर आतंकी ठिकानों को उड़ा दिया! सर्जिकल स्ट्राइक की परिभाषा ही बदल दी। और सरकार ने भी इसी को देखते हुए 2024-25 के डिफेंस बजट में ड्रोन और मिसाइल टेक्नोलॉजी के लिए अतिरिक्त फंड दिया। क्या ये सही कदम है? मेरी नजर में बिल्कुल!
दुनिया ने क्या कहा? प्रतिक्रियाओं का दिलचस्प सफर
इस ऑपरेशन ने देशभर में जोश भर दिया। सेना प्रमुख का कहना था, “आज की भारतीय सेना कारगिल के समय से कहीं आगे है।” रक्षा मंत्री ने इसे आतंकवाद के खिलाफ हमारी जंग बताया। लेकिन विपक्ष ने भी अपनी बात रखी – सैनिकों के कल्याण पर भी ध्यान दो। अंतरराष्ट्रीय मीडिया की क्या प्रतिक्रिया रही? उन्होंने भारत को एक उभरती सैन्य ताकत के तौर पर देखना शुरू कर दिया। क्या ये हमारे लिए गर्व की बात है? बिल्कुल!
भविष्य की लड़ाई: स्पेस से लेकर साइबर वॉर तक
अब हम कहां जा रहे हैं? DRDO और प्राइवेट कंपनियां मिलकर नए ड्रोन और हाइपरसोनिक मिसाइल बना रही हैं। साइबर सिक्योरिटी और स्पेस वॉरफेयर पर भी जोर बढ़ रहा है। लेकिन सच तो ये है कि ये ताकत चीन और पाकिस्तान को परेशान कर सकती है। कूटनीतिक तनाव? हो सकता है। लेकिन क्या हमें इसकी चिंता करनी चाहिए? मेरा मानना है – सुरक्षा पहले!
आखिरी बात: ये सिर्फ सेना नहीं, हमारे आत्मनिर्भर होने की कहानी है
कारगिल से सिंदूर तक का सफर सिर्फ हथियारों की बात नहीं है। ये हमारे ‘मेड इन इंडिया’ के सपने को साकार करने की कहानी है। आज हम न सिर्फ अपनी सीमाओं की रक्षा कर सकते हैं, बल्कि दुश्मन को उसकी ही भाषा में जवाब भी दे सकते हैं। और ये सब हमारे वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और जवानों की मेहनत का नतीजा है। सच कहूं तो, ये सफर अभी बस शुरुआत है। आगे और भी बड़े मुकाम हैं!
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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com