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“ढाका प्लेन क्रैश में भारतीय डॉक्टरों का जज्बा! यूनुस ने कहा- ‘शुक्रिया, आप हैं असली हीरो'”

ढाका प्लेन क्रैश: जब भारतीय डॉक्टरों ने दिखाया कि ‘हीरो’ असल में कैसे दिखते हैं!

अरे भाई, कभी-कभी जिंदगी ऐसे मोड़ लेती है कि… वाह! ढाका में हुआ वो प्लेन क्रैश तो सच में दिल दहला देने वाला था। लेकिन उसी आपदा में एक ऐसी कहानी छुपी थी जो रूह को छू लेती है। भारत से जो मेडिकल टीम वहाँ पहुँची, उन्होंने साबित कर दिया कि असली सुपरहीरो कैप नहीं, स्टेथोस्कोप पहनते हैं! और सुनिए, खुद नोबेल विजेता यूनुस ने इन्हें ‘असली हीरो’ बताया। सच कहूँ तो, ये कोई साधारण प्रशंसा नहीं, एक सामाजिक कार्यकर्ता का वो सलाम है जिसकी कीमत समझनी चाहिए।

वो भयानक दिन और हमारे डॉक्टरों का ‘मिशन मोड’

तस्वीर ये थी – ढाका के पास प्लेन क्रैश, सैकड़ों घायल, और स्थानीय अस्पताल हैवानियत से जूझ रहे। अब यहाँ भारत सरकार ने जो किया, वो किसी एक्शन मूवी से कम नहीं! मेडिकल टीम को तुरंत भेजा गया। और ये कोई सामान्य टीम नहीं थी, बल्कि ऐसे प्रोफेशनल्स जिन्होंने अपनी जान को ताक पर रख दी। सच पूछो तो, इन्होंने सिर्फ इलाज ही नहीं किया, एक संदेश दिया – “हम इंसानियत की खातिर सीमाएँ नहीं देखते।”

और यूनुस साहब की बात? वो तो चेरी ऑन द केक जैसी थी। उन्होंने सही कहा – ये डॉक्टर बिना किसी भेदभाव के काम कर रहे थे। आज के दौर में जब हर चीज़ में राजनीति घुस जाती है, ये बात सुनकर दिल को सुकून मिलता है।

जब ‘थैंक यू’ कहने के लिए शब्द कम पड़ गए

यूनुस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो कहा, वो तो गूँज रहा है – “ये सच्चे हीरो हैं!” पर असल बात ये है कि स्थानीय लोगों के आँसू ही असली टेस्टिमोनियल थे। एक बुजुर्ग की बात याद आती है जिसने रोते हुए कहा था, “ये भारतीय डॉक्टर भगवान का रूप लेकर आए थे।” भई, ऐसे पलों में लगता है कि मेडिकल प्रोफेशन सिर्फ डिग्री नहीं, एक तपस्या है।

और हमारे डॉक्टरों का जवाब? बिल्कुल साधारण सा – “हमने तो बस अपना फर्ज़ निभाया।” अरे भाई, इसी को कहते हैं न असली विनम्रता! जबकि सच तो ये है कि इन्होंने न सिर्फ जानें बचाईं, बल्कि भारत-बांग्लादेश के रिश्तों को भी गहराई दी।

आगे का रास्ता: सिर्फ शुरुआत है ये!

अब सवाल ये उठता है कि आगे क्या? यूनुस साहब ने तो एक बेहतरीन पहल की है – विशेष सम्मान समारोह का एलान। पर मेरी नज़र में तो ये घटना एक बड़े बदलाव की शुरुआत हो सकती है। क्यों न भारत और बांग्लादेश के बीच एक परमानेंट मेडिकल इमरजेंसी टास्क फोर्स बने? सोचिए, कितनी जानें बच सकती हैं!

एक और बात – इस घटना ने साबित कर दिया कि हमारे डॉक्टर दुनिया के किसी भी कोने में जाकर कमाल कर सकते हैं। शायद अब अंतरराष्ट्रीय आपदा प्रबंधन में भारत की भूमिका और बढ़ेगी। और हाँ, ये कहानी सिर्फ एक हादसे की नहीं, बल्कि उस मानवीय जज्बे की है जो सीमाओं को पार कर जाता है। जैसे यूनुस ने कहा – असली हीरो वो होते हैं जो बिना किसी स्वार्थ के मानवता की सेवा करते हैं। सच में।

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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