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“भूकंप से पहले अलार्म! ISRO-NASA का निसार सैटेलाइट 30 को लॉन्च, जानें कैसे करेगा काम”

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भूकंप से पहले चेतावनी! ISRO-NASA का ये जोड़ीदार सैटेलाइट 30 को लॉन्च, समझिए क्या है खास

अरे वाह! ये खबर तो एकदम धमाकेदार है। ISRO और NASA मिलकर कुछ ऐसा करने जा रहे हैं जो शायद आपने सपने में भी नहीं सोचा होगा। 30 जुलाई को श्रीहरिकोटा से ‘निसार’ सैटेलाइट लॉन्च होगा – और ये कोई आम सैटेलाइट नहीं है। सच कहूं तो, ये तो जैसे हमारी धरती का अपना निजी बॉडीगार्ड होगा! भूकंप, ज्वालामुखी, प्राकृतिक आपदाएं – ये सब होने से पहले ही अलर्ट दे देगा। क्या बात है न?

10 साल की मेहनत, आखिरकार रंग लाई

यार, इस प्रोजेक्ट की कहानी तो 2014 से शुरू होती है। तब से लेकर आज तक कितने वैज्ञानिकों ने दिन-रात एक कर दिए होंगे। और अब जाकर ये L-बैंड और S-बैंड वाला यूनिक रडार सिस्टम तैयार हुआ है। सच मानिए, ये टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस्ड है कि हर 12 दिन में पूरी धरती की HD तस्वीरें खींच लेगा। ग्लेशियर पिघल रहे हैं या जमीन खिसक रही है – सब पकड़ में आ जाएगा।

अब सवाल यह है कि ये मिलीमीटर लेवल तक की हलचल कैसे डिटेक्ट करेगा? दरअसल, इसका रडार सिस्टम इतना सेंसिटिव है कि जमीन में हो रहे बेहद मामूली बदलावों को भी नोटिस कर लेगा। खासकर हिमालय जैसे इलाकों के लिए तो ये वरदान से कम नहीं होगा। सोचिए, भूकंप आने से पहले ही अलर्ट मिल जाए तो कितनी जानें बच सकती हैं!

लॉन्च के बाद क्या? डेटा शेयरिंग का गेम

30 जुलाई को लॉन्च होने के बाद ये सैटेलाइट कम से कम 3 साल तक काम करेगा। और यहां सबसे अच्छी बात ये है कि ISRO और NASA मिलकर इसका डेटा पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों के साथ शेयर करेंगे। मतलब साफ है – ये सिर्फ भारत या अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए है।

ISRO के चेयरमैन सोमनाथ साहब तो बिल्कुल उत्साहित हैं। उनका कहना है, “ये मिशन दिखाता है कि जब दो महाशक्तियां मिलकर काम करें तो क्या-क्या हो सकता है।” वहीं NASA के बिल नेल्सन भी पीछे नहीं हैं – उन्होंने इसे ‘पृथ्वी को समझने की दिशा में बड़ी छलांग’ बताया है। सच में, गर्व होता है ऐसे प्रोजेक्ट्स पर!

आगे क्या? संभावनाएं अनंत

पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. अनिल जोशी की मानें तो ये तो सिर्फ शुरुआत है। “इससे मिलने वाला डेटा जलवायु परिवर्तन को समझने का तरीका ही बदल देगा,” वे कहते हैं। और हां, अगर ये मिशन सफल रहा तो ISRO-NASA की ये जोड़ी और भी बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर सकती है।

अंत में सवाल यही उठता है – क्या सच में हम भूकंप जैसी आपदाओं को पहले से भांप पाएंगे? अगर हां, तो ये तकनीक निश्चित तौर पर मानव इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी। 30 जुलाई को हम सभी की नजरें श्रीहरिकोटा पर होंगी – क्योंकि ये सिर्फ एक सैटेलाइट लॉन्च नहीं, बल्कि भविष्य की सुरक्षा का आधार है। जय हिंद, जय विज्ञान!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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