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जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद कैसे होगा नए उपराष्ट्रपति का चुनाव? पूरी प्रक्रिया जानें

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: अब क्या होगा नए उपराष्ट्रपति का चुनाव? पूरी कहानी

तो अब स्थिति यह है कि जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के साथ ही दिल्ली की राजनीति में नया मज़मा लगने वाला है। है न दिलचस्प? एक तरफ तो यह सिर्फ एक संवैधानिक प्रक्रिया है, लेकिन दूसरी तरफ… अरे भाई, यह तो हमारे लोकतंत्र की परिपक्वता की असली परीक्षा है। संविधान के अनुच्छेद 63 में इस पद के बारे में साफ लिखा है, लेकिन असल मज़ा तो चुनाव प्रक्रिया में है। क्या आप जानते हैं कि इसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य वोट डालते हैं? बिल्कुल वैसे ही जैसे हम अपने कॉलेज में क्लास रिप्रेजेंटेटिव चुनते थे… बस थोड़ा सा फर्क है!

उपराष्ट्रपति का पद: सिर्फ एक ‘बैकअप’ नहीं

ईमानदारी से कहूं तो बहुत से लोगों को लगता है कि उपराष्ट्रपति का पद सिर्फ एक फॉर्मेलिटी है। गलत! देखा जाए तो यह व्यक्ति दो बड़ी जिम्मेदारियां संभालता है – राज्यसभा का सभापति होना और… हाँ, अगर राष्ट्रपति जी कहीं बाहर गए हों तो उनकी ड्यूटी संभालना। एकदम ज़बरदस्त। सच में। और इसीलिए इस चुनाव में इतनी सख्त प्रक्रिया होती है। गुप्त मतदान, संसद के सभी सदस्य… पूरी तरह पारदर्शी सिस्टम।

चुनाव प्रक्रिया: स्टेप बाय स्टेप

अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह चुनाव होता कैसे है? सबसे पहले तो चुनाव आयोग वालों को अपनी अधिसूचना जारी करनी होती है। फिर शुरू होता है नामांकन का दौर। अगर एक से ज्यादा उम्मीदवार हुए (जो कि ज़्यादातर मामलों में होता ही है), तो फिर वोटिंग। और यहाँ मज़ेदार बात यह है कि अगर कोई झगड़ा हो जाए तो सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करने का पूरा अधिकार है। क्या आपको पता था कि 1969 के उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसा ही हुआ था?

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं: ‘हम’ बनाम ‘वो’

अब ज़रा राजनीतिक पार्टियों की बात करें तो… भाजपा कह रही है कि वो संविधान का पूरा सम्मान करेगी (जो कि उन्हें करना ही चाहिए)। वहीं कांग्रेस वाले ‘पारदर्शिता’ की रट लगा रहे हैं। पर सच तो यह है कि यह चुनाव दिखाता है कि हमारा लोकतंत्र कितना मजबूत है। क्या आपको नहीं लगता कि यह हम सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात है?

आगे क्या? कुछ अंदाज़ा लगाइए!

अब तो बस इंतज़ार है चुनाव आयोग के नोटिफिकेशन का। फिर शुरू होगा उम्मीदवारों का नामांकन, चर्चाएं, गुप्त मतदान… पूरा पैकेज! और हाँ, नया उपराष्ट्रपति पांच साल के लिए चुना जाएगा। पर सच कहूं तो असली मज़ा तो अभी शुरू होने वाला है – देखिएगा कौन किसको सपोर्ट करता है। राजनीति, है न?

तो दोस्तों, जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से लेकर नए उपराष्ट्रपति के चुनाव तक… यह सिर्फ एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र का जीवंत उदाहरण है। और हाँ, अगर आपको लगता है कि यह सब आपके दैनिक जीवन से कोई लेना-देना नहीं है, तो एक बार फिर से सोचिए – क्योंकि यही तो है असली ‘वी द पीपल’ वाली भावना!

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1. भईया, नए उपराष्ट्रपति (Vice President) का चुनाव होगा कैसे?

देखिए, ये कोई आम चुनाव तो है नहीं। यहां Electoral College वोट करता है – मतलब Rajya Sabha और Lok Sabha के सारे elected members। पर ये nominated members नहीं, समझे? संविधान का Article 66 इसकी पूरी प्रक्रिया बताता है। थोड़ा complex लगता है, लेकिन असल में सीधा-साधा सिस्टम है।

2. अच्छा, तो उपराष्ट्रपति बनने के लिए क्या-क्या चाहिए?

ईमानदारी से कहूं तो ये कोई बहुत मुश्किल criteria तो नहीं। उम्मीदवार:
– Indian citizen हो (ये तो बेसिक है)
– 35 साल का हो चुका हो (अरे, ये तो हमारे MPs से भी कम उम्र है!)
– Rajya Sabha का member बनने लायक हो
– और सबसे मजेदार – किसी ‘लाभ के पद’ पर न हो। मतलब? सरकारी नौकरी वाले apply नहीं कर सकते!

3. सुनने में आया कि राज्यसभा के nominated members… उनका क्या रोल है?

अरे नहीं भाई! यहां तो बिल्कुल clear है। सिर्फ और सिर्फ elected members ही वोट कर सकते हैं – चाहे Rajya Sabha के हों या Lok Sabha के। Nominated members? उन्हें इस पार्टी में invite ही नहीं किया गया। थोड़ा unfair लगता है, लेकिन नियम तो नियम है।

4. सबसे बड़ा सवाल – ये सारा ड्रामा खत्म होगा कब तक?

असल में देखा जाए तो ये कोई लंबा-चौड़ा प्रोसेस नहीं। 2-3 हफ्ते में सब कुछ settle हो जाता है:
– पहले nomination दाखिल करो
– फिर scrutiny होगी (यानी सब verify करेंगे)
– उसके बाद withdrawal का ऑप्शन
– और आखिर में voting!
Election Commission सारी dates जल्द ही announce कर देगा। एकदम टाइट शेड्यूल। सच में।

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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