जयशंकर का चीन दौरा: क्या गलवान के बाद बदलेगा भारत-चीन समीकरण?
देखिए न, ये खबर तो काफी दिलचस्प है! भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने आखिरकार चीन का दौरा किया है – और ये कोई सामान्य यात्रा नहीं है। गलवान घाटी में ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहला मौका है जब कोई भारतीय मंत्री चीन जा रहा है। अब सवाल यह है कि क्या यह दौरा वाकई दोनों देशों के बीच बर्फ पिघला पाएगा? SCO की बैठक में जयशंकर न सिर्फ भारत की आवाज़ उठाएंगे, बल्कि चीन के साथ उन द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बातचीत करेंगे जो अब तक अनसुलझे पड़े हैं। कूटनीतिक गलियारों में तो यही चर्चा है कि यह यात्रा एक नई शुरुआत हो सकती है।
असल में, पूरा मामला समझने के लिए 2020 की उन घटनाओं को याद करना ज़रूरी है। गलवान घाटी में जो हुआ, वो तो आप सबको याद ही होगा – भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुए उस टकराव ने रिश्तों में जैसे बर्फ जमा दी थी। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि SCO जैसे मंच पर दोनों देश एक साथ बैठते हैं! यानी सुरक्षा हो या आर्थिक सहयोग, चर्चा तो होती है। हालांकि, सीमा विवाद को लेकर अब तक जो बातचीत हुई है, उसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। सच कहूं तो ये पहेली अब भी उतनी ही उलझी हुई है।
इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पल? जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई वह एकांत बैठक। SCO में भारत ने अपनी बात रखी – चाहे वो आतंकवाद का मुद्दा हो या क्षेत्रीय सुरक्षा का। और हाँ, LAC पर शांति बनाए रखने का संदेश तो बिल्कुल स्पष्ट था। मतलब साफ है – हम शांति चाहते हैं, लेकिन सीमा विवाद का हल निकले बिना ये संभव नहीं।
अब प्रतिक्रियाओं की बात करें तो… भारत सरकार का रुख स्पष्ट है – “बातचीत होगी, लेकिन समझौता नहीं।” चीन की तरफ से भी कुछ सकारात्मक संकेत मिले हैं। पर सवाल ये है कि क्या ये सिर्फ दिखावा है या वाकई कोई बदलाव आएगा? कुछ विश्लेषक तो यहां तक कह रहे हैं कि यह यात्रा एक ‘आइसब्रेकर’ की तरह काम कर सकती है।
तो अब क्या? मेरी नज़र में, इस बैठक के बाद और वार्ताओं का सिलसिला शुरू होगा। SCO के नतीजे न सिर्फ भारत-चीन रिश्तों, बल्कि पूरे एशिया की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं। अगर सीमा विवाद पर कोई सहमति बनती है… तो फिर देखिएगा, व्यापार से लेकर तकनीकी सहयोग तक – नए दरवाज़े खुल सकते हैं। पर ये सब ‘अगर’ पर ही तो टिका है!
और एक ज़रूरी खबर पर नज़र डालें:
कोलकाता और ओडिशा के कैंपस में जो हुआ, वो सचमुच शर्मनाक है। IIM कोलकाता और ओडिशा के एक कॉलेज में छात्राओं के साथ हुई ये घटनाएं बताती हैं कि हमारे शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था कितनी लचर है। पीड़ित छात्राओं ने त्वरित कार्रवाई की मांग की है – और सही भी है। हालांकि कुछ गिरफ्तारियां हुई हैं, लेकिन छात्र संगठनों का कहना है कि ये काफी नहीं है। सच कहूं तो ऐसे मामलों में सज़ा का पक्का इंतज़ाम होना चाहिए। वरना…?
(खबरें अपडेट होती रहेंगी…)
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विदेश मंत्री जयशंकर का यह दौरा… देखिए, ये कोई सामान्य बात नहीं है। भारत-चीन के बीच तनाव तो हम सब जानते हैं, लेकिन क्या ये मुलाकातें एक नई शुरुआत की ओर इशारा कर रही हैं? SCO की बैठक में हमारी तरफ से जयशंकर जी जिस अंदाज़ में बात करते हैं – वो सिर्फ डिप्लोमेसी नहीं, एक तरह का स्टेटमेंट है। और हां, global politics में भारत की आवाज़ अब पहले से कहीं ज़्यादा साफ सुनाई देती है।
अब आप सोच रहे होंगे – “ये सब तो ठीक है, पर हमारे लिए इसका क्या मतलब?” सच कहूं तो, जब बड़े देशों के बीच ऐसी बातचीत होती है, तो इसका असर आम जनता पर भी पड़ता है। चाहे वो trade हो, सीमा पर शांति हो, या फिर international market में हमारी ताकत।
एक बात और – ये अपडेट्स सिर्फ खबरों तक सीमित नहीं हैं। असल में, ये हमारे भविष्य को शेप देने वाली चीज़ें हैं। तो… पढ़ते रहिए, समझते रहिए। क्योंकि ये सिर्फ एक विजिट नहीं, एक संदेश है।
और हाँ, थोड़ा सा मेरा पर्सनल विचार – जयशंकर जी का ये कॉन्फिडेंट अप्रोच… एकदम ज़बरदस्त। सच में।
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com