जमाल सिद्दीकी ने उठाया बड़ा कदम! LS स्पीकर को पत्र लिखकर SP सांसद को सस्पेंड करने की मांग – क्या है पूरा खेल?
अरे भई, राजनीति में तो रोज कुछ न कुछ होता रहता है, लेकिन आजकल भाजपा नेता जमाल सिद्दीकी ने जो किया, वह सच में चर्चा का विषय बन गया है। देखिए न, उन्होंने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता को एक पत्र लिख डाला है। और उसमें क्या मांग की है? SP के सांसद मौलाना मुहिबुल्लाह नदवी को तुरंत सस्पेंड करने की! अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या हो गया? दरअसल, यह सारा मामला संसद परिसर की उस मस्जिद से जुड़ा है जहाँ हाल ही में एक बैठक हुई थी। भाजपा का कहना है कि यह तो संसदीय नियमों को ताक पर रखने जैसा है।
पूरा माजरा क्या है? समझिए
वैसे तो संसद परिसर की मस्जिद नमाज़ पढ़ने के लिए है, मगर लगता है कुछ लोगों को यहाँ और भी बहुत कुछ करना है। SP के नेताओं ने इसी मस्जिद में एक राजनीतिक बैठक कर डाली। अब भाजपा ने इसे क्या कहा? “संसद के नियमों की धज्जियाँ उड़ाने वाला काम!” सच कहूँ तो, यह पहली बार नहीं है जब संसद परिसर के धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद हो रहा है। पिछले कुछ सालों से यह मुद्दा किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहा ही है।
भाजपा ने क्या किया? एक्शन में आई!
जमाल सिद्दीकी साहब ने अपने पत्र में साफ़-साफ़ लिखा है – “मौलाना साहब को तुरंत सस्पेंड किया जाए!” उनका आरोप है कि SP के इस सांसद ने जानबूझकर मस्जिद को राजनीतिक मंच बना दिया। और तो और, भाजपा इतने पर भी नहीं रुकी – उन्होंने न सिर्फ सस्पेंड करने, बल्कि सांसद की सदस्यता रद्द करने तक की मांग कर डाली! बात बड़ी है, है न?
किसने क्या कहा? राजनीति की रस्साकशी
भाजपा प्रवक्ता जमाल सिद्दीकी मीडिया से बात करते हुए बोले, “संसद परिसर पवित्र जगह है, यहाँ धर्म और राजनीति को मिलाना गलत है।” वहीं SP वालों ने इसे क्या कहा? “यह तो सीधे-सीधे राजनीतिक बदला लेने की कोशिश है!” उनका कहना है कि बैठक में कुछ भी गलत नहीं हुआ, बस सामान्य चर्चा थी।
अन्य विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएँ? मिली-जुली। कुछ नेता शांति की बात कर रहे हैं, तो कुछ सीधे भाजपा पर “धर्म के नाम पर वोट बैंक की राजनीति” करने का आरोप लगा रहे हैं। राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि यह मामला आने वाले दिनों में सरकार और विपक्ष के बीच नई टेंशन पैदा कर सकता है।
अब क्या होगा? आगे की कहानी
अभी तो लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को इस पत्र पर विचार करना है। अगर मामला गंभीर लगा, तो हो सकता है इसे संसदीय समिति के पास भेज दिया जाए। कुछ कानूनविदों का कहना है कि संसद के नियमों की धारा 374 के तहत कार्रवाई हो सकती है, जो धार्मिक स्थलों के गलत इस्तेमाल से जुड़ी है।
दिल्ली की राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह विवाद बड़ा रूप ले सकता है। खासकर जब अगले महीने संसद का मानसून सत्र शुरू होगा, तब इस मामले में और हलचल हो सकती है। देखते हैं, अब स्पीकर साहब क्या फैसला लेते हैं!
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com