झारखंड में कोयला माफिया का आतंक: अमन साव और सुजीत गैंग की ‘काली निगाह’ से कारोबारी दहशत में

झारखंड का कोयला माफिया: जब धमकियों का ‘काला साया’ business पर भारी पड़ने लगा

सच कहूं तो झारखंड के कोयला व्यापारियों की हालत आजकल वैसी ही है जैसे बारिश में भीगते हुए बिजली के खंभे के पास खड़े होने जैसी। अमन साव और सुजीत गैंग के धमकी भरे voice notes और video messages ने पूरे industry को हिला कर रख दिया है। और सबसे डरावना क्या? ये लोग सीधे-सीधे कह रहे हैं – “या तो पैसे दो, या जान से हाथ धो लो।” पुलिस के पास शिकायतें तो पहुंच रही हैं, लेकिन असल सवाल यह है कि क्या यह सब दिखावा है या वाकई कुछ होगा?

पूरा माजरा क्या है?

देखिए, झारखंड में कोयले का अवैध धंधा कोई नई बात नहीं। लेकिन पहले ये छोटे-मोटे गुंडे हुआ करते थे। अब? अब तो पूरा सिस्टम ही बदल गया है। अमन और सुजीत की टीम पिछले 5 साल से धीरे-धीरे अपनी जड़ें जमा रही थी। और अब तो ये लोग ऐसे बैठे हैं जैसे कोयले के business पर उनका हक हो। स्थानीय लोगों की मानें तो इनके पीछे कुछ बड़े लोगों का हाथ है… पर कौन? यही तो पूछने वाली बात है!

हाल की घटनाएं: जब हद ही पार हो गई

पिछले महीने की दो घटनाओं ने तो सबकी नींद उड़ा दी। रामगढ़ और हजारीबाग में दो व्यापारियों के घरों पर गोलियां चलीं – बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में! एक व्यक्ति अभी भी hospital में critical condition में है। और सबसे हैरान करने वाली बात? गिरोह वाले खुलेआम voice messages में धमकियां दे रहे हैं। पुलिस ने दो लोगों को पकड़ा जरूर है, लेकिन असली मुखिया अभी भी फरार हैं। तो सवाल यह है कि क्या ये सिर्फ छोटे मछलियों को पकड़ने का नाटक है?

प्रतिक्रियाएं: जब सिस्टम ही फेल हो जाए

कोयला व्यापारी संघ का गुस्सा तो समझ आता है। उनका सीधा सा कहना है – “हमारी सुरक्षा का कोई ठिकाना नहीं। अब या तो हड़ताल, या फिर राज्य छोड़ो।” वहीं पुलिस वाले अपनी पुरानी रट लगा रहे हैं – “Special task force बनाई गई है, जल्द action होगा।” राजनीति वालों ने तो मौके का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विपक्ष वाले सरकार को घेरने में लगे हैं। पर सच तो यह है कि आम आदमी की सुरक्षा का सवाल अभी भी अनुत्तरित है।

आगे क्या? एक बड़ा सवाल

p>अब स्थिति यह है कि कई व्यापारी बैग पैक करने की तैयारी में हैं। सोचिए, अगर ये लोग चले गए तो झारखंड की economy को कितना झटका लगेगा? और सबसे बड़ी बात – क्या पुलिस वाकई कुछ कर पाएगी? या फिर ये सब दिखावा है? कुछ experts तो यहां तक कह रहे हैं कि अगर जल्द हालात नहीं सुधरे, तो केंद्र को paramilitary forces भेजनी पड़ सकती हैं। पर क्या वो भी कारगर होगी? यह तो वक्त ही बताएगा।

रिपोर्ट: [आपका नाम], स्थानीय संवाददाता

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

More From Author

“7 मासूमों की दर्दनाक मौत: दुर्घटना पर राजनीति, परिवारों की सिसकियों का जवाब कौन देगा?”

** सुप्रीम कोर्ट के 15 नए नियम: अब छात्र नहीं उठाएंगे श्वेता सिंह जैसा कदम!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Comments