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“सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा ने ‘XXX’ नाम से क्यों छुपाई अपनी पहचान? पूरा मामला जानें”

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जस्टिस वर्मा ने ‘XXX’ नाम से क्यों छुपाया अपना नाम? सुप्रीम कोर्ट का ये गोपनीय केस क्या बदल देगा?

अरे भई, भारतीय न्यायपालिका में ये मामला तो किसी थ्रिलर फिल्म की पटकथा लग रहा है! जस्टिस यशवंत वर्मा, जो खुद सुप्रीम कोर्ट के जज हैं, ने अपनी ही याचिका में ‘XXX’ नाम का मास्क लगा लिया। सच कहूं तो मुझे भी पहले लगा था कि ये कोई टाइपो होगा। लेकिन नहीं, ये असलियत है। और ये सिर्फ एक नाम छुपाने की बात नहीं है – पूरा मामला नकदी भरे बोरों से लेकर जजों की जवाबदेही तक जाता है।

अब थोड़ा पीछे चलते हैं। मामला तब गरमाया जब जस्टिस वर्मा के बंगले से… हां, आपने सही सुना… करोड़ों रुपये नकद मिले! अब सवाल ये उठता है कि एक जज के पास इतनी नकदी आई कहाँ से? तो हुआ यूं कि एक जांच कमिटी बनी, जिसने वर्मा जी के खिलाफ कुछ ऐसे आरोप लगाए कि उन्हें पद से हटाने की सिफारिश कर दी। लेकिन यहाँ प्लॉट ट्विस्ट – जस्टिस साहब ने सुप्रीम कोर्ट पहुँच कर ये कहकर जांच रिपोर्ट को चुनौती दी कि ये पक्षपातपूर्ण है। और हाँ, नाम ‘XXX’ रखकर। एकदम फिल्मी स्टाइल में!

अब आप सोच रहे होंगे – भई ये ‘XXX’ वाला ड्रामा क्या है? देखिए, सुप्रीम कोर्ट के रिकॉर्ड में ऐसा शायद ही कभी हुआ हो। कुछ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि ये न्यायिक प्रक्रिया पर सवालिया निशान है, तो कुछ का कहना है कि मीडिया ट्रायल से बचने का ये सही तरीका था। मेरी निजी राय? थोड़ा अजीब जरूर लगता है। जैसे कोई सुपरहीरो अपनी असली पहचान छुपा रहा हो!

इस पूरे केस में दिलचस्प बात ये है कि हर कोई अलग-अलग राय रखता है। कुछ वरिष्ठ वकीलों को लगता है कि ये पारदर्शिता के खिलाफ है, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग इसे जस्टिस वर्मा का अधिकार मानते हैं। और सरकार? वो तो अभी तक ‘नो कमेंट’ मोड में है। शायद वो भी ये समझने की कोशिश कर रही है कि आखिर चल क्या रहा है!

अब सबसे बड़ा सवाल – आगे क्या? अगर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, तो जस्टिस वर्मा के लिए मुश्किल हो सकती है। लेकिन अगर उन्हें राहत मिल गई, तो ये केस एक मिसाल बन जाएगा। पर एक बात तो तय है – ये मामला सिर्फ एक जज तक सीमित नहीं है। ये पूरी न्यायपालिका की विश्वसनीयता और जवाबदेही की बहस छेड़ देता है।

तो दोस्तों, ये केस सच में उतना ही दिलचस्प है जितना कि कोई वेब सीरीज का प्लॉट। फिलहाल तो हम सबको इंतजार करना होगा सुप्रीम कोर्ट के फैसले का। लेकिन एक बात जरूर – ये मामला भारतीय न्याय प्रणाली के इतिहास में एक अहम चैप्टर जरूर बन जाएगा। क्या आपको नहीं लगता?

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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