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** भारत में लश्कर की खतरनाक साजिश! जेल में कैदियों को बना रहा आतंकी?

भारत में Lashkar की साजिश: जेलों में पल रहा है नया खतरा?

अभी-अभी एक ऐसी खबर सामने आई है जो सुनकर रूह काँप जाए। भारतीय एजेंसियों को पता चला है कि Lashkar-e-Taiba जेलों में बंद कैदियों को भर्ती कर रहा है! सच कहूँ तो, यह कोई नई बात नहीं है – पर इस बार स्केल और तरीका कुछ ज़्यादा ही खतरनाक लग रहा है। सोचिए, जहाँ इन कैदियों को सुधरने का मौका मिलना चाहिए, वहाँ उन्हें आतंकवाद की राह पर धकेला जा रहा है। बात सिर्फ़ सुरक्षा की नहीं, हमारी पूरी जेल व्यवस्था पर सवाल खड़े कर देने वाली है ये खबर।

पुरानी चाल, नया अंदाज़: Lashkar का गेम प्लान

26/11 जैसे हमलों के पीछे रहा यही संगठन अब अपनी रणनीति बदल रहा है। और कैसे? जेलों में बैठे उन लोगों को टारगेट करके जो पहले से ही सिस्टम से नाराज़ हैं। समझदारी की बात है न? जिस आदमी को लगता है कि उसके साथ नाइंसाफी हुई है, उसे भड़काना आसान होता है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, Lashkar खासतौर पर उन जेलों पर फोकस कर रहा है जहाँ हाई-प्रोफाइल अपराधी या उग्रवादी रखे जाते हैं। अब सवाल यह है कि ये संपर्क हो कैसे रहा है? क्या जेल staff की भी कोई भूमिका है? ये वो सवाल हैं जिनके जवाब अभी पूरी तरह सामने नहीं आए हैं।

जांच में क्या-क्या निकला? कुछ चौंकाने वाले खुलासे

एजेंसियों ने जब जेलों में छापे मारे, तो मिला क्या? कुछ कैदियों के पास से आतंकवाद से जुड़ी किताबें, कुछ अजीबोगरीब नोट्स… और सबसे हैरान करने वाली बात? Lashkar के लोग कैदियों को पैसे और सुरक्षा का लालच दे रहे हैं! यानी सीधा-सादा फॉर्मूला – पहले नाराजगी पैदा करो, फिर समाधान के नाम पर अपने जाल में फँसाओ। पर सच्चाई ये भी है कि अभी तक जेल कर्मचारियों की शामिलात का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। हालाँकि, इतना बड़ा ऑपरेशन बिना अंदरूनी मदद के हो रहा हो, ये सोचना भी मुश्किल है।

रिएक्शन का दंगल: कौन क्या बोला?

इस मामले ने दिल्ली से लेकर मुंबई तक हलचल मचा दी है। सरकार की तरफ़ से तुरंत एक्शन लिया गया – जेल सुरक्षा को और टाइट करने के आदेश। वहीं विपक्ष ने सीधे सरकार पर निशाना साधा: “ये सब उनकी लापरवाही का नतीजा है!” मानवाधिकार वालों की चिंता अलग है – वो कह रहे हैं कि कैदियों को बेवजह टारगेट न किया जाए। Security experts की राय? ये पूरा केस दिखाता है कि आतंकवाद अब नए रूप में सामने आ रहा है, और हमें भी अपनी रणनीति अपडेट करनी होगी।

आगे की राह: क्या हो सकता है समाधान?

तो अब क्या? सरकार ने कुछ ठोस कदमों की घोषणा की है:
• जेलों में CCTV कैमरों को बढ़ाया जाएगा
• कैदियों की बातचीत पर नज़र रखी जाएगी
• मानसिक स्वास्थ्य और पुनर्वास पर ज़ोर दिया जाएगा

पर क्या ये काफी है? कुछ experts कह रहे हैं कि हमें de-radicalization programs पर भी काम करना होगा। मतलब साफ़ है – सिर्फ़ पुलिस एक्शन से काम नहीं चलेगा। जेलों को सुधार केंद्र बनाना होगा, न कि आतंकियों के लिए ट्रेनिंग ग्राउंड।

अंत में एक बात तो तय है – आतंकवाद अब नए तरीके से हमला कर रहा है। और हमें? हमें भी अपनी सोच बदलनी होगी। Technology, intelligence और rehabilitation – इन तीनों को मिलाकर चलना होगा। वरना… वरना खेल खत्म होने से पहले ही हम पिछड़ जाएंगे।

[ब्लॉग का अंतिम वाक्य जानबूझकर अधूरा छोड़ा गया है – क्योंकि कभी-कभी अनकही बातें ज़्यादा असर छोड़ जाती हैं।]

यह भी पढ़ें:

Lashkar की भारत में चल रही साजिश – असली खतरा क्या है?

क्या सच में जेलों में हो रहा है आतंकियों का भर्तीकरण?

देखिए, reports तो यही कह रही हैं कि Lashkar-e-Taiba जेलों को अपना recruitment center बना रहा है। सच कहूँ तो ये तरीका नया नहीं है – जेल में बैठे vulnerable लोगों को brainwash करना, उन्हें अपने network में शामिल करना… ये सब तो पहले भी होता रहा है। लेकिन अब scale बढ़ गया लगता है।

सरकार ने क्या किया? या फिर वही ‘चलता है’ attitude?

अब यहाँ थोड़ी positive बात – Indian government ने इस बार कुछ concrete steps लिए हैं। Jail authorities को strict guidelines दिए हैं, high-risk prisoners पर नज़र बढ़ाई है। पर सबसे अच्छी बात? De-radicalization programs! हालांकि… कितने effective हैं ये, ये तो time ही बताएगा।

क्या ये सिर्फ J&K तक ही सीमित है? गलत!

अरे भाई, ऐसा मत सोचिए! Intelligence reports clear हैं – Jammu & Kashmir तो है ही, लेकिन Uttar Pradesh से लेकर Maharashtra तक… multiple states की जेलों में ये गतिविधियाँ देखी गई हैं। Scary, है ना?

हम आम लोग क्या कर सकते हैं? सिर्फ चाय की दुकान पर बहस नहीं!

सुनिए, सबसे पहले तो – अगर कुछ suspicious दिखे, तुरंत police को inform करें। Social media पर वो fake forwards आते हैं ना? उन्हें ignore करिए। और हाँ, local community programs में participate कीजिए। थोड़ी सी awareness ही बड़ी problem को रोक सकती है। सच कहूँ तो, ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है।

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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