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माली में भारतीयों का अपहरण: JNIM आतंकी संगठन कितना खतरनाक? जिहादी बेल्ट का रहस्य!

माली में भारतीयों का अपहरण: क्या JNIM आतंकियों का खतरा बढ़ गया है?

एक बेहद चिंताजनक खबर आई है पश्चिम अफ्रीका से। माली में काम कर रहे हमारे भारतीय नागरिकों को कुछ बंदूकधारियों ने अगवा कर लिया है। अब सवाल यह है कि ये अपहरणकर्ता कौन हैं? सुरक्षा एजेंसियों को शक है JNIM नाम के आतंकी गुट पर, जो पिछले कुछ सालों से इस इलाके में सक्रिय है। ये सिर्फ एक अपहरण की घटना नहीं है, बल्कि पूरे साहेल क्षेत्र में बढ़ती अराजकता का संकेत है। और हाँ, ये वही इलाका है जिसे “जिहादी बेल्ट” कहा जाता है – जहां आतंकी गुटों का जाल फैला हुआ है।

JNIM कौन हैं? और क्यों हैं इतने खतरनाक?

असल में, JNIM को समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा। 2017 में चार बड़े जिहादी गुटों ने मिलकर इस संगठन को बनाया था। इनमें AQIM (अल-कायदा) की साहेल शाखा भी शामिल थी। है ना दिलचस्प? ये लोग पश्चिम अफ्रीका में इस्लामिक शासन चाहते हैं और विदेशी दखल को खत्म करना चाहते हैं।

अब इनकी गतिविधियों पर नजर डालें तो – माली, बुर्किना फासो, नाइजर… इन देशों में ये लगातार हमले करते रहते हैं। सैन्य ठिकाने, सरकारी इमारतें, यहाँ तक कि आम नागरिक भी इनके निशाने पर रहते हैं। और सबसे बड़ी बात? ये लोग अपहरण को एक बिजनेस मॉडल की तरह इस्तेमाल करते हैं। फिरौती के नाम पर करोड़ों डॉलर कमाते हैं।

अभी क्या हालात हैं? क्या हमारे लोग सुरक्षित हैं?

ईमानदारी से कहूँ तो, अभी तक स्थिति साफ नहीं है। अपहृत भारतीयों की सही संख्या भी पता नहीं चल पाई है। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत सरकार ने तुरंत कदम उठाए हैं। माली सरकार से संपर्क बनाए हुए हैं।

दिलचस्प बात यह है कि JNIM ने अभी तक इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है। पर सुरक्षा विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ये उनके मोडस ऑपरेंडी से मेल खाता है। क्या ये फिरौती के लिए है? या फिर इस इलाके से विदेशियों को खदेड़ने की कोई साजिश? सवाल तो बहुत हैं…

हमारे विदेश मंत्रालय ने राहत अभियान शुरू कर दिया है। माली की मीडिया भी इस पर खूब चर्चा कर रही है। स्थानीय अखबारों में सवाल उठ रहे हैं – क्या यहाँ विदेशी कर्मियों के लिए कोई सुरक्षा नहीं बची?

आगे क्या होगा? क्या कोई समाधान है?

ये घटना एक तरह का वेक-अप कॉल है। पश्चिम अफ्रीका में काम कर रहे भारतीयों की सुरक्षा पर नए सिरे से सोचने की जरूरत है। समस्या यह है कि JNIM जैसे गुट सीमाओं को नहीं मानते। माली, नाइजर, बुर्किना फासो – ये सब इनके लिए एक ही मैदान है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग के बिना इनसे निपटना मुश्किल है। United Nations और फ्रांस जैसे देशों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। इतने सालों के प्रयासों के बावजूद आतंकवाद कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। क्या ये सभी मिलकर कोई ठोस कार्रवाई कर पाएंगे?

अंत में…

ये घटना सिर्फ एक अपहरण नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में फैल रहे आतंकवाद का दर्पण है। JNIM जैसे संगठनों से लड़ने के लिए वैश्विक एकजुटता की जरूरत है। वरना ये जिहादी बेल्ट और भी खतरनाक होता जाएगा।

हमारी सरकार को भी दीर्घकालिक नीतियाँ बनानी होंगी। खासकर उन देशों में जहाँ हमारे नागरिक काम करते हैं, वहाँ उनकी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी? ये सवाल अब और ज्यादा जरूरी हो गया है।

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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