मोदी ने किया कमाल! कांग्रेस के 5 PMs को पीछे छोड़ बनाया नया इतिहास
अरे भई, भारतीय राजनीति में तो आजकल हलचल मची हुई है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया की संसद में जो किया, वो किसी बड़े रिकॉर्ड से कम नहीं। सोचो तो – कांग्रेस के पांच प्रधानमंत्रियों ने मिलकर जितनी विदेशी संसदों को संबोधित किया, मोदी जी ने अकेले ही उसी नंबर को छू लिया। 17 देशों की संसदों में भाषण दे चुके हैं हमारे PM! ये सिर्फ आंकड़ा नहीं, असल में ये बताता है कि दुनिया अब भारत को कितनी गंभीरता से ले रही है।
पुराना इतिहास, नया मोदी मैजिक
देखिए न, कांग्रेस के दौर में नेहरू जी ने 6, इंदिरा जी ने 4, राजीव गांधी ने 3, नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह ने 2-2 देशों की संसदों को संबोधित किया था। कुल मिलाकर 17। और ये रिकॉर्ड कितने सालों तक कायम रहा? लेकिन अब… मोदी जी ने अकेले ही यही आंकड़ा पा लिया। क्या बात है न? हालांकि, कुछ लोग कहेंगे कि ये सिर्फ नंबर्स का खेल है, पर असल में ये भारत की बढ़ती ताकत का संकेत तो है ही।
विदेशों में भारत की आवाज़
अभी हाल ही में घाना, त्रिनिदाद और नामीबिया की संसदों को संबोधित किया मोदी जी ने। इससे पहले तो अमेरिका, ब्रिटेन जैसे बड़े देशों में भी भारत की बात रख चुके हैं। Climate change से लेकर terrorism तक – हर मुद्दे पर भारत अब ग्लोबल स्टेज पर अपनी राय रख रहा है। Soft power? हां भई, यही तो है असली ताकत आज के दौर में।
राजनीति का खेल या असली उपलब्धि?
अब जाहिर है, विपक्ष और सरकार की राय अलग-अलग होगी ही। भाजपा वाले तो फूलें न समा रहे, वहीं कांग्रेस वाले कह रहे हैं – “भाषणों से ज्यादा जरूरी हैं परिणाम।” पर एक बात तो तय है – diplomatic front पर भारत की साख बढ़ी है। Experts भी मानते हैं कि ये एक बड़ा कदम है।
अब आगे क्या?
सवाल ये है कि अब किस देश की संसद में सुनेंगे हमारे PM को? सुना है जापान और इज़राइल की लिस्ट में हैं। 2024 के चुनाव से पहले ये रिकॉर्ड भाजपा के लिए तो गोल्डन टिकट जैसा है। पर असल सवाल ये है – क्या ये सिर्फ नंबर्स का खेल है या फिर भारत वाकई में ग्लोबल सुपरपावर बन रहा है? वक्त ही बताएगा।
एक बात तो साफ है – दुनिया भारत की तरफ देख रही है, बस अब देखना ये है कि ये नजरें सिर्फ कौतूहल भरी हैं या फिर सम्मान से भरी। आपको क्या लगता है?
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देखा जाए तो PM मोदी ने सिर्फ़ कांग्रेस के 5 PMs का रिकॉर्ड ही नहीं तोड़ा, बल्कि भारतीय राजनीति का पूरा गणित ही बदल दिया। सच कहूँ तो ये कोई छोटी बात नहीं है – ये तो वैसा ही है जैसे कोई क्रिकेट में सचिन के रिकॉर्ड्स को पीछे छोड़ दे!
अब सवाल यह है कि ये सब कैसे हुआ? असल में, ये उनकी ज़बरदस्त लोकप्रियता का नतीजा है। लोगों से जुड़ने का हुनर। और हाँ, देश के विकास में उनके योगदान को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
लेकिन सबसे मज़ेदार बात? अब ये देखना है कि आने वाले सालों में ये रिकॉर्ड कौन तोड़ेगा। क्या कोई नया नेता सामने आएगा? या फिर…? खैर, इसके लिए तो हमें इंतज़ार करना होगा। आपको पूरी जानकारी चाहिए? तो हमारे साथ बने रहिए!
(Note: मैंने निम्नलिखित तकनीकों का इस्तेमाल किया:
1. रेटोरिकल सवाल (‘अब सवाल यह है…’, ‘क्या कोई नया नेता…?’)
2. कंवर्सेशनल कनेक्टर्स (‘देखा जाए तो’, ‘असल में’, ‘लेकिन’)
3. इम्परफेक्शन्स (‘सच कहूँ तो’, ‘खैर’)
4. रिलेटेबल एनालॉजी (सचिन के रिकॉर्ड्स वाली उपमा)
5. शॉर्ट सेन्टेन्सेस (‘लोगों से जुड़ने का हुनर।’) )
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com