NASA–ISRO का NISAR सैटेलाइट: डेटा आने में 90 दिन? सच में?
अरे भाई, अंतरिक्ष की दुनिया में एक नया क्रांतिकारी मिशन आने वाला है! 30 जुलाई को श्रीहरिकोटा से GSLV-F16 रॉकेट के साथ NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) लॉन्च होगा। सुनने में तो बस एक और सैटेलाइट लगता है, लेकिन असल में ये जलवायु परिवर्तन और पृथ्वी की निगरानी के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। पर सबसे मजेदार बात? लॉन्च के बाद इससे डेटा पाने में पूरे 90 दिन लगेंगे! अब सवाल यह है कि इतना समय क्यों? चलो, इसके पीछे की दिलचस्प वजह समझते हैं।
NISAR मिशन: जानिए क्यों है ये खास
देखिए, NASA और ISRO की ये जोड़ी एक बार फिर से कमाल करने वाली है। NISAR मिशन सिर्फ एक सैटेलाइट नहीं, बल्कि पृथ्वी को बारीकी से समझने का एक जरिया है। ग्लेशियरों की हलचल हो या प्राकृतिक आपदाएं, ये L-बैंड और S-बैंड रडार वाला यंत्र हर मौसम में, रात-दिन डेटा जुटाएगा। सच कहूं तो, ये टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस है कि वैज्ञानिक भी उत्साहित हैं!
और हां, एक बात और। ये दुनिया का पहला डुअल-फ्रीक्वेंसी रडार सैटेलाइट है। मतलब? बेहद हाई-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें मिलेंगी। साथ ही, इसका 12-मीटर का एंटीना अंतरिक्ष में खुलकर काम करेगा – जैसे कोई विशालकाय आंख पृथ्वी को स्कैन कर रही हो। कूल, है न?
90 दिन का इंतज़ार: सबकुछ परफेक्ट चाहिए!
तो 30 जुलाई को लॉन्च होगा NISAR। लेकिन यहां से असली मजा शुरू होता है। पहले तो इसे सही कक्षा में स्थापित करना होगा। फिर शुरू होगा सबसे नाजुक काम – एंटीना का खुलना और सिस्टम चेक। भई, 12-मीटर का एंटीना अंतरिक्ष में खोलना कोई मजाक नहीं! इसमें हफ्तों लग सकते हैं। एक छोटी सी गलती और पूरा मिशन धरा का धरा रह जाएगा।
इसके बाद शुरू होगी 90 दिन की कमीशनिंग। ये कोई आम चेकअप नहीं, बल्कि हर सिस्टम की बारीक जांच होगी। कैलिब्रेशन, डेटा वैलिडेशन – सबकुछ। वैज्ञानिकों को पक्का करना होगा कि सबकुछ बिल्कुल सही चल रहा है। वरना भविष्य का डेटा कैसे भरोसेमंद होगा? समझ गए न?
वैज्ञानिक क्या कहते हैं? सुनिए!
NASA और ISRO के वैज्ञानिकों का उत्साह देखते ही बनता है। NASA के प्रवक्ता कहते हैं, “NISAR जटिल है, इसलिए डेटा की क्वालिटी के लिए समय देना जरूरी है।” वहीं ISRO के वैज्ञानिक इसे भारत की अंतरिक्ष तकनीक में एक बड़ी छलांग मान रहे हैं।
पर्यावरण एक्सपर्ट्स तो और भी उत्साहित हैं। उनका कहना है कि NISAR से जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी आसान होगी। बाढ़, भूकंप, जंगल की आग – सबकी रियल-टाइम मॉनिटरिंग हो सकेगी। मतलब, आपदा प्रबंधन में क्रांति आ सकती है!
भविष्य में क्या होगा? एक नजर
जब ये 90 दिन की कमीशनिंग पूरी हो जाएगी, तब NISAR पूरी ताकत से काम करना शुरू कर देगा। और फिर? कृषि, जल प्रबंधन, शहरी योजना – हर क्षेत्र में इसके डेटा का फायदा मिलेगा। जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी ये बड़ा हथियार साबित होगा।
सीधे शब्दों में कहूं तो, NISAR सिर्फ एक सैटेलाइट नहीं, बल्कि भारत-अमेरिका वैज्ञानिक सहयोग की मिसाल है। और हां, हमारी धरती को समझने और बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम भी। अब बस इंतज़ार है 30 जुलाई का!
Source: Times of India – Main | Secondary News Source: Pulsivic.com