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NYC पशु आश्रयों की समस्याएं: टैक्सपेयर्स के 1M डॉलर फंड पर GOP का हमला, ‘एक बूंद समुद्र में’

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NYC के पशु आश्रयों का संकट: 1M डॉलर का फंड क्या बदल पाएगा, या GOP सही है?

देखिए न्यूयॉर्क की बात – जहाँ स्काईस्क्रेपर्स और बिज़नेस तो फल-फूल रहे हैं, लेकिन जानवरों के हालात पर किसी का ध्यान नहीं जाता। शुक्रवार को सिटी हॉल ने एक बड़ा ऐलान किया – animal shelter system को 1 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त फंड मिलेगा। सुनने में तो अच्छा लगता है न? पर असलियत क्या है? GOP वालों का कहना है कि ये तो “एक बूंद समुद्र में” है। और सच कहूँ तो, उनकी बात में दम लगता है।

असल में NYC के animal shelters की कहानी तो एक ट्रैजेडी है। कल्पना कीजिए – भीड़भाड़ वाले शेल्टर, कर्मचारियों की कमी, और प्रबंधन का लचर सिस्टम। पिछले कुछ सालों से पशु अधिकार कार्यकर्ताओं की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं। पर सरकारी कार्रवाई? वो भी ऐसी कि दिखावे से ज़्यादा कुछ नहीं। क्या आपको नहीं लगता कि ये सब सिर्फ media में सुर्खियाँ बटोरने का तरीका है?

अब इस नए फंड की बात करें तो – 14 नए कर्मचारी! Training! वाह! मतलब हर shelter में शायद एक नया आदमी आ जाएगा। लेकिन GOP वालों का सवाल सही है – क्या ये वाकई काफी है? NYC जैसे शहर में जहाँ हर साल हज़ारों जानवरों को shelter में लाया जाता है, वहाँ ये रकम तो मज़ाक लगती है।

इस मामले में लोगों की राय बँटी हुई है। एक GOP नेता तो सीधे कह रहे हैं – “ये सब दिखावा है।” वहीं एक पशु कार्यकर्ता का कहना है कि “ये सही दिशा में कदम है, पर…” और यहाँ ‘पर’ बहुत बड़ा है। स्थानीय निवासियों की चिंता भी जायज़ है। जैसे कि एक resident ने कहा – “हमारे tax के पैसे का सही इस्तेमाल होना चाहिए।” बिल्कुल सही बात!

तो अब सवाल यह है – आगे क्या? क्या ये नए कर्मचारी कुछ बदल पाएंगे? या फिर ये सब सिर्फ कागज़ों तक सीमित रहेगा? राजनीति तो इस मामले में पहले से ही गरम है। Democrats और GOP के बीच budget को लेकर तू-तू मैं-मैं तो चलती रहेगी। पर जानवरों का क्या?

सच तो ये है कि NYC के animal shelters की समस्या सिर्फ जानवरों की नहीं, बल्कि पूरे शहर की छवि की समस्या है। अगर ये हालात जारी रहे, तो पशुप्रेमी और स्थानीय लोगों का गुस्सा और भी बढ़ेगा। और फिर? शायद सरकार को और ज़्यादा फंड निकालना पड़े। पर क्या वक़्त रहते कोई सुधार हो पाएगा? ये तो वक़्त ही बताएगा।

एक बात तो तय है – अब सबकी नज़रें इस फंड के असर पर टिकी हुई हैं। क्या सच में कुछ बदलाव आएगा, या फिर ये भी पहले जैसे वादों की तरह धरे के धरे रह जाएगा? आपको क्या लगता है?

Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com

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