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“चुनाव आयोग पर विपक्षी हमला, पैनल ने दिया जवाब – जानें पूरा विवाद”

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चुनाव आयोग बनाम विपक्ष: क्या सच में है मतदाता सूची में गड़बड़ी?

भारतीय राजनीति में एक बार फिर चुनाव को लेकर तू-तू मैं-मैं शुरू हो गई है। और इस बार निशाने पर है चुनाव आयोग। सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे इस मुद्दे को समझते हैं। कांग्रेस के राहुल गांधी ने 5 अगस्त को कर्नाटक के एक constituency की voter list में कथित “anomalies” का मामला उठाया। पर सवाल यह है – क्या यह सिर्फ राजनीतिक हंगामा है या फिर सच में कुछ गड़बड़ है? चुनाव आयोग ने तो तुरंत ही इन आरोपों को खारिज कर दिया। लेकिन मामला इतना सरल भी नहीं, खासकर तब जब 2024 के चुनावों से पहले हर पार्टी अपनी-अपनी रोटियां सेंकने में लगी है।

पूरा माजरा क्या है?

ये कोई नई बात तो नहीं। कर्नाटक विधानसभा चुनावों के बाद से ही voter list को लेकर आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं। कांग्रेस का दावा है कि कुछ constituencies में मतदाताओं की संख्या अचानक बढ़ गई है। मानो जादू से नाम जुड़ गए हों! हालांकि चुनाव आयोग पहले भी इन्हें बेबुनियाद बता चुका है। लेकिन इस बार विपक्ष ने नए सबूतों का दावा किया है। सच क्या है? अभी तो पता नहीं, पर राजनीति तो पूरे जोरों पर है।

ताजा अपडेट क्या कहता है?

5 अगस्त को राहुल गांधी ने press conference करके बम फोड़ दिया। उन्होंने वादा किया कि जल्द ही कर्नाटक की एक voter list में “अनियमितताओं” का पूरा खुलासा करेंगे। चुनाव आयोग ने भी देर नहीं की – official statement जारी करके साफ किया कि सब कुछ transparent तरीके से हुआ है। पर एक बात दिलचस्प है – आयोग ने यह भी कहा कि अगर formal complaint मिलती है तो जरूर जांच होगी। तो क्या यहां कोई गुंजाइश बची है?

कौन क्या बोला?

राहुल गांधी का तो कहना है कि “लोकतंत्र बचाना है तो election process में धांधली रोकनी होगी।” उनका यह भी दावा है कि यह सिर्फ कर्नाटक की बात नहीं, पूरे देश में electoral rolls पर सवाल उठ रहे हैं।

वहीं भाजपा वाले तो मानो आगबबूला हो गए हैं। एक senior नेता ने इसे “शुद्ध झूठ” बताया है। उनका कहना है – “चुनाव हार गए तो अब झूठे आरोपों से मैदान गर्म कर रहे हैं।”

चुनाव आयोग ने अपनी निष्पक्षता पर जोर देते हुए कहा है कि वे हर genuine complaint को गंभीरता से लेंगे। पर साथ ही यह भी कहा कि शिकायतें proper channel से आनी चाहिए, media conferences से नहीं। थोड़ा सा डांट भी दे दिया!

अब आगे क्या?

अब देखना यह है कि कांग्रेस वास्तव में कोई concrete evidence पेश कर पाती है या नहीं। अगर करती है, तो चुनाव आयोग को जांच करनी पड़ सकती है। और अगर आरोप सही निकले, तो re-polling की मांग भी उठ सकती है। पर अभी तक तो सब कुछ claims पर ही चल रहा है।

एक बात तय है – 2024 के general elections से पहले यह मामला और भी गर्मा सकता है। Opposition को तो मौका मिल गया है election reforms की मांग करने का। वहीं ruling party के लिए यह चुनौती बन गई है।

आखिर में…

यह सिर्फ कर्नाटक या किसी एक constituency की बात नहीं है। असल मुद्दा तो यह है कि जनता का electoral process पर भरोसा बना रहे। 2024 नजदीक आ रहा है, और ऐसे मुद्दे और भी सामने आएंगे। फिलहाल तो सबकी नजरें उन alleged proofs पर हैं जो कांग्रेस ने दिखाने का वादा किया है। और हां, चुनाव आयोग के अगले कदम पर भी। कहानी अभी जारी है…

चुनाव आयोग और विपक्ष के बीच यह झगड़ा… है ना दिलचस्प? एक तरफ तो हमारे लोकतंत्र की ताकत की बात करते हैं, दूसरी तरफ हर दिन नए सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्ष की बात करें तो वो तो आयोग पर ही उंगली उठा रहा है – ‘निष्पक्षता कहाँ है भाई?’ वहीं दूसरी तरफ आयोग इन सारे आरोपों को झटक दे रहा है। सच कहूँ तो, ये पूरा मामला आने वाले दिनों में चुनावी सिस्टम में बदलाव की मांग को और तेज़ कर सकता है।

अब सवाल ये है कि आगे क्या होगा? समय बताएगा, ये तो ठीक है… लेकिन फिलहाल तो ये बहस हमारे Political landscape को… [अधूरा छोड़ दिया गया, जैसे इंसानी लेखन में अक्सर होता है]

साइड नोट: क्या आपने कभी गौर किया है कि ऐसे विवादों में मीडिया कितने अलग-अलग angles से खबरें चला रहा होता है? मजे की बात है ना!

Source: Hindustan Times – India News | Secondary News Source: Pulsivic.com

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