पटना में गोपाल खेमका हत्या का मामला गरमाया ही था कि… अब मोतिहारी में किराना दुकानदार की रहस्यमय मौत!
सच कहूं तो बिहार की स्थिति दिन-ब-दिन डरावनी होती जा रही है। गोपाल खेमका केस की गर्मी अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि मोतिहारी के शिकारगंज से एक और सनसनीखेज खबर आई। एक किराना दुकानदार की… वो भी कैसे? गला रेतकर हत्या! सुनकर ही रूह कांप जाती है न?
और सबसे बड़ा सवाल ये कि – पुलिस कहाँ है? लोग तो डरे हुए हैं, पर अपराधियों का हौसला देखो – दिनदहाड़े ऐसे जुर्म अंजाम दे रहे हैं। पटना वाला मामला भी तो अभी तक ठंडा पड़ा हुआ है। क्या ये नई घटना भी वहीं की वहीं रुक जाएगी?
पूरा माजरा क्या है?
असल में देखा जाए तो बिहार में पिछले कुछ महीनों से बिजनेसमैन टारगेट हो रहे हैं। गोपाल खेमका केस तो जैसे पुलिस की नाकामी का प्रतीक बन चुका है। और अब ये नया केस… मोतिहारी में ये पहली बार नहीं हुआ। पिछले साल भी कुछ ऐसी ही घटनाएं हुई थीं।
पर सवाल ये उठता है कि – क्या सजा का डर खत्म हो गया है? अपराधी इतने बेखौफ क्यों हो गए हैं? एक तरफ तो पुलिस कहती है कि वो जांच कर रही है… पर दूसरी तरफ नतीजा? शून्य!
अभी तक क्या हुआ है?
मोतिहारी पुलिस वालों ने मामले की जांच शुरू तो कर दी है। पर ये सब फॉर्मेलिटी तो हर केस में होती है न? CCTV फुटेज चेक कर रहे हैं, परिवार से पूछताछ कर रहे हैं… लेकिन असली सवाल तो ये है कि कब तक मिलेगा कोई ठोस नतीजा?
स्थानीय लोगों की बात सुनो तो और भी डर लगता है। कह रहे हैं रात के अंधेरे में तो पुलिस दिखती ही नहीं! गश्त? वो किस चिड़िया का नाम है? ऐसे में अपराधियों का हौसला बढ़ना तो स्वाभाविक है।
क्या कह रहे हैं लोग?
पीड़ित परिवार का दर्द समझा जा सकता है। सीधे-सीधे पुलिस पर आरोप लगा रहे हैं – “अगर थोड़ी भी सतर्कता होती तो आज ये दिन न देखना पड़ता।”
राजनेता? उनका तो काम ही है बयानबाजी करना। एक नेता साहब ने कहा – “कानून-व्यवस्था बिगड़ रही है…” अरे भई, ये तो हम भी जानते हैं! सवाल तो ये है कि क्या कर रहे हैं आप?
पुलिस वाले अपना रटा-रटाया जवाब दे रहे हैं – “जल्द पकड़ेंगे…” पर ये ‘जल्द’ कब आएगा, कोई नहीं जानता।
अब आगे क्या?
देखिए, ऐसे मामलों में आमतौर पर क्या होता है? कुछ दिन हंगामा… फिर सब शांत। क्या यही होगा इस बार भी?
राजनीतिक दल मौका नहीं छोड़ेंगे – कानून-व्यवस्था का राग अलापेंगे। व्यापारी संघ कुछ मांगें रखेंगे। शायद कुछ और पुलिस वाले तैनात कर दिए जाएं। पर असल सवाल तो ये है कि – क्या सिस्टम में सुधार होगा? या फिर ये सब दिखावा ही रहेगा?
एक बात तो तय है – अगर ऐसे ही हालात रहे, तो जनता का बचा-खुचा विश्वास भी खत्म हो जाएगा। और फिर…? सोचकर ही डर लगता है।
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गोपाल खेमका हत्या और मोतिहारी के उस व्यवसायी की मौत: जानिए पूरा मामला
1. गोपाल खेमका की हत्या – क्या है पूरा माजरा?
सच कहूं तो ये केस अभी भी पहेली बना हुआ है। जांचकर्ताओं के हाथ में अभी तक कोई ठोस सुराग नहीं है, हालांकि दो-तीन theories जरूर चल रही हैं। कुछ लोग जमीन के झगड़े की बात कर रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि ये किसी personal दुश्मनी का नतीजा हो सकता है। पुलिस वाले तो अभी ‘हम जांच कर रहे हैं’ वाले मोड में ही फंसे हुए हैं।
2. मोतिहारी वाले केस में क्या चल रहा है?
अरे भई, ये केस तो और भी गड़बड़ है! व्यवसायी की मौत को लेकर पुलिस की फाइलें अभी भी खुली पड़ी हैं। कोई concrete evidence नहीं, कोई बड़ा breakthrough नहीं। लोग तो यहां तक कहने लगे हैं कि पुलिस वाले सिर्फ चाय-पकोड़े में व्यस्त हैं। सच्चाई? वो तो शायद थाने के कुत्ते को भी नहीं पता!
3. क्या ये दोनों केस आपस में जुड़े हैं?
ईमानदारी से? अभी तक तो ऐसा कुछ नहीं दिखता। पर जैसा कि हमारे देश में होता आया है – जहां रहस्य होता है, वहां तरह-तरह की अटकलें भी होती हैं। कुछ लोग इसे organized crime से जोड़कर देख रहे हैं, पर सच्चाई शायद इससे कहीं ज्यादा साधारण हो। या फिर… हो सकता है हम सबको हैरान कर देने वाली कोई बात निकल आए!
4. पुलिस की नाकामी पर क्या हो रहा है?
देखिए, ऊपर से तो बड़े-बड़े बयान आ रहे हैं। ‘कड़ी कार्रवाई होगी’, ‘जांच तेज की जाएगी’ – ये सब वही पुरानी रट है। हालांकि इस बार higher authorities ने थोड़ी सख्ती दिखाई है। कुछ officers को suspension की नोटिस भी मिल सकती है… अगर वाकई उनकी लापरवाही साबित होती है तो। पर हमारे यहां तो जैसे ‘सबूतों की कमी’ वाला रोग लगा ही रहता है न?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com