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PM मोदी ने दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई दी – “आप प्रेम, करुणा और धैर्य के प्रतीक”

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PM मोदी ने दलाई लामा को 90वें जन्मदिन पर दी बधाई – और क्या कहा?

अरे भाई, क्या बात है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर एक शानदार ट्वीट किया है। X (पहले का Twitter) पर उन्होंने दलाई लामा को “प्रेम और करुणा का प्रतीक” बताया। सच कहूँ तो, ये कोई औपचारिक बधाई नहीं थी – इसमें एक गर्मजोशी थी जो साफ झलकती है। और सिर्फ भारत ही क्यों, दुनिया भर के नेताओं ने उन्हें बधाई दी है। क्या आपने नोटिस किया कि ये सिर्फ एक जन्मदिन की बधाई नहीं, बल्कि भारत की उस खास सोच को दिखाता है जहाँ हर विचार को जगह मिलती है?

दलाई लामा: सिर्फ एक धर्मगुरु नहीं, एक जीवित दर्शन

देखिए न, दलाई लामा की कहानी तो किसी फिल्म जैसी है। 1935 में तिब्बत में जन्मे, और फिर 1959 में चीन के दबाव के बाद भारत आकर बस गए। धर्मशाला को अपना ठिकाना बनाया – और यहाँ से क्या कमाल किया! सिर्फ तिब्बती बौद्ध धर्म का नेतृत्व ही नहीं किया, बल्कि पूरी दुनिया में शांति का दूत बन गए। हालाँकि चीन को ये बिल्कुल पसंद नहीं, लेकिन भारत ने हमेशा उनका साथ दिया। असल में, ये हमारे देश की उस बड़ी सोच को दिखाता है जहाँ हर विचार का सम्मान होता है।

मोदी जी का ट्वीट: सिर्फ शब्द नहीं, एक संदेश

पीएम मोदी ने जो लिखा, वो सुनिए: “दलाई लामा जी का जीवन प्रेम, करुणा और नैतिक अनुशासन से प्रेरित रहा है…” वाह! ये कोई साधारण बधाई नहीं है न? यहाँ तो एक बड़ा संदेश छिपा है। अमेरिका से लेकर यूरोप तक के नेताओं ने भी बधाई भेजी। और धर्मशाला में? वहाँ तो जश्न ही छा गया! प्रार्थना सभाएँ, सांस्कृतिक कार्यक्रम… स्थानीय लोगों ने भी खूब हिस्सा लिया। एक तरह से देखें तो ये सिर्फ एक जन्मदिन नहीं, बल्कि भारत की विविधता का जश्न था।

चीन का रिएक्शन? ज़ाहिर है, नाराजगी!

तिब्बती समुदाय तो मोदी जी के ट्वीट से खुश है – और हो भी क्यों न? भारत ने हमेशा उनकी संस्कृति को संजोया है। लेकिन चीन? अभी तक चुप है, पर पुराने रिकॉर्ड देखें तो उन्होंने दलाई लामा को “विभाजनकारी” तक कहा है। राजनीति समझने वाले कह रहे हैं कि ये ट्वीट सिर्फ बधाई नहीं, एक सूक्ष्म राजनीतिक संकेत भी हो सकता है। क्या आपको नहीं लगता कि इन छोटे-छोटे संदेशों में बड़ी राजनीति छिपी होती है?

आगे क्या? उत्तराधिकारी का सवाल

अब सबसे बड़ा सवाल – 90 साल के हो चुके दलाई लामा के बाद क्या होगा? उन्होंने अभी तक कोई उत्तराधिकारी नहीं चुना है। और ये सिर्फ तिब्बती समुदाय का मामला नहीं, पूरी अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर असर पड़ेगा। भारत-चीन रिश्तों पर तो खासा प्रभाव देखने को मिल सकता है। पर एक अच्छी बात – तिब्बती संस्कृति और भारत के बीच का रिश्ता और मजबूत होगा। कुल मिलाकर, ये जन्मदिन सिर्फ एक उम्र का आँकड़ा नहीं, बल्कि एक विचारधारा का प्रतीक है जो दुनिया को जोड़ती है। और मोदी जी का ट्वीट? वो तो बस एक शुरुआत है!

एक बात और – क्या आपने गौर किया कि कैसे एक साधारण सा जन्मदिन इतना बड़ा राजनीतिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है? यही तो भारत की खासियत है – छोटी-छोटी चीज़ों में बड़े-बड़े संदेश छिपे होते हैं। है न?

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PM मोदी ने दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई दी – और यहां हैं कुछ दिलचस्प सवाल

1. भला PM मोदी ने दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई क्यों भेजी?

देखिए, यह कोई सामान्य जन्मदिन की शुभकामना नहीं थी। दलाई लामा सिर्फ़ एक धार्मिक नेता नहीं, बल्कि शांति और मानवता के प्रतीक हैं। PM मोदी का यह gesture एक तरह से भारत की उस सांस्कृतिक विरासत को salute करता है जो सदियों से विविधता में एकता का संदेश देती आई है। सच कहूं तो, ऐसे symbolic gestures की राजनीति में काफी अहमियत होती है।

2. दलाई लामा का जन्मदिन कब होता है? और इस बार कौन सा था?

6 जुलाई – यह तारीख़ तिब्बती बौद्ध समुदाय के लिए खास है। इस साल तो बड़ा मौका था – 89वां जन्मदिन! उम्र तो सिर्फ़ एक number है, लेकिन इतने सालों तक दुनिया को प्रेरणा देना… यह कमाल की बात है न?

3. PM मोदी ने यह बधाई कहाँ दी? क्या कोई official statement था?

अरे भई, आजकल तो Twitter (या फिर कहें X) ही असली मंच है न? PM मोदी ने वहीं एक heartfelt tweet के ज़रिए बधाई दी। बात सिर्फ़ जन्मदिन की नहीं थी – उन्होंने दलाई लामा के जीवनभर के योगदान को भी सलाम किया। सोशल मीडिया पर यह tweet काफी viral हुआ, जैसा कि होना भी चाहिए था।

4. भारत और दलाई लामा का connection क्या है? यह रिश्ता इतना खास क्यों?

इसे ऐसे समझिए – 1959 से ही भारत दलाई लामा के लिए second home रहा है। जब उन्हें shelter की ज़रूरत थी, भारत ने उन्हें अपनाया। आज भी धर्मशाला में उनका मुख्यालय है। असल में, यह रिश्ता सिर्फ़ राजनीतिक नहीं, बल्कि एक गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक bond का प्रतीक है। भारत ने हमेशा तिब्बती Buddhism और उसकी परंपराओं को सम्मान दिया है – और यही तो हमारे देश की खूबसूरती है न?

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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