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“पुतिन का धमाकेदार ऑफर! भारत को मिलेंगी परमाणु पनडुब्बी और कैलिबर मिसाइलें?”

पुतिन का धमाकेदार ऑफर! क्या भारत अब परमाणु पनडुब्बियों और कैलिबर मिसाइलों का जखीरा लूटेगा?

अरे भाई, रूस के बॉस व्लादिमीर पुतिन ने तो भारत के सामने एक ऐसा चीज़ फेंका है जिससे हमारी नौसेना की ताकत दोगुनी हो सकती है। सीधे शब्दों में कहें तो – परमाणु पनडुब्बियां और कैलिबर क्रूज मिसाइलों का पूरा पैकेज! और ये ऑफर ऐसे वक्त आया है जब चीन हमारे इलाके में लगातार अपनी मांसपेशियां दिखा रहा है। सच कहूं तो, अब हमें ऐसे हथियारों की जरूरत है जो सीधे गेम चेंजर साबित हों।

हमारी नौसेना की हालत: सच्चाई बेहद चौंकाने वाली!

दोस्तों, एक कड़वा सच सुनिए – हमारे पास अभी सिर्फ 17 पनडुब्बियां हैं, और उनमें से ज्यादातर तो 80s के दशक की हैं! यानी जब हम टेलीविजन पर “हम लोग” देख रहे थे, तब ये पनडुब्बियां खरीदी गई थीं। अब इनकी हालत वैसी ही है जैसे आपके पापा का पुराना एम्बेसडर कार। हां, प्रोजेक्ट 75I चल रहा है, लेकिन उसमें अभी कितना वक्त लगेगा, कोई नहीं जानता। इस बीच रूस ने पहले भी हमें INS चक्र दिया था – वो तो जैसे ट्रायल वर्जन था, अब शायद फुल वर्जन मिलने वाला है!

पुतिन का पैकेज: क्या है इसमें खास?

असल में देखा जाए तो ये कोई सामान्य डील नहीं है। परमाणु पनडुब्बियों के साथ-साथ कैलिबर मिसाइलें? ये वो मिसाइलें हैं जो 2,500 किमी दूर बैठे टारगेट को भी धूल चटा सकती हैं। एक तरफ तो ये हमारी नौसेना को रातों-रात सुपरपावर बना देगा, लेकिन दूसरी तरफ… अमेरिका का रिएक्शन? वो तो जैसे बिल्ली के आगे दही रख दिया गया हो!

एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

देखिए, जानकारों की राय साफ है – चीन और पाकिस्तान के मुकाबले में ये डील हमारे लिए गेम-चेंजिंग साबित हो सकती है। पर एक पेंच भी है। अमेरिका तो सालों से हमें रूस से दूर रहने की सलाह देता आया है। अब अगर हमने ये डील की तो…? वाशिंगटन की प्रतिक्रिया क्या होगी? वहीं रूसी मीडिया तो इसे “दोस्ती की नई इबारत” बता रही है। मजेदार बात ये है कि हम दोनों तरफ के दबाव में फंस गए हैं!

आगे क्या होगा?

अब सरकार को चेस बोर्ड पर चाल चलनी है। तकनीकी फायदे तो साफ हैं – नौसेना की ताकत बढ़ेगी, हमारी हैसियत मजबूत होगी। लेकिन राजनीतिक नुकसान? वो भी हो सकते हैं। एक बात तय है – अगर ये डील होती है तो हिंद-प्रशांत क्षेत्र का पूरा पावर इक्वेशन बदल जाएगा। और हां, हमें अपने प्रोजेक्ट 75I पर भी ध्यान देना होगा। वरना ये विदेशी खिलौनों पर निर्भरता तो बनी ही रहेगी। सोचने वाली बात है, है न?

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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