राधिका हत्याकांड: पिता का ‘कबूलनामा’ और केस का नया मोड़ – क्या अब सच सामने आएगा?
गुरुग्राम के सेक्टर-56 में हुई टेनिस प्लेयर राधिका यादव की हत्या का मामला… अब यह सिर्फ एक crime नहीं रहा, बल्कि एक ऐसा पहेली बन चुका है जिसका हर नया ट्विस्ट दिल दहला देता है। 15 अक्टूबर की वो रात, जब घर में गोली की आवाज़ सुनाई दी, तो किसने सोचा था कि ये केस इतना shocking turn लेगा? अब तक तो सब कुछ confused सा लग रहा था, लेकिन राधिका के पिता दीपक यादव के ‘कबूलनामे’ ने पूरी तस्वीर ही बदल दी है। सच कहूँ तो, ये वो twist है जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी।
एक star का अचानक अस्त हो जाना
राधिका सिर्फ एक टेनिस प्लेयर नहीं थीं – वो तो एक चमकता हुआ सितारा थीं जिसने कम उम्र में ही कई रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। उनके कोच अक्सर कहते थे, “इस लड़की में वो जुनून है जो चैंपियन्स में होता है।” लेकिन 15 अक्टूबर की वो रात… उसने न जाने क्यों इस सितारे को हमेशा के लिए बुझा दिया। शुरुआत में तो पुलिस भी confused थी – crime scene पर मिले clues कुछ खास नहीं बता पा रहे थे। और सबसे हैरानी की बात? दीपक यादव खुद पुलिस को पूरा सहयोग दे रहे थे। पर forensic reports ने धीरे-धीरे एक अलग ही कहानी बयान करनी शुरू कर दी।
वो कबूलनामा जिसने सब कुछ बदल दिया
पुलिस interrogation के दौरान दीपक का तनाव टूटा तो जैसे सच का पूरा पहाड़ ही ढह गया। उन्होंने माना कि “गुस्से के एक पल” ने उनसे ये भयानक गलती करवा दी। असल में देखा जाए तो, forensic evidence और ballistic report भी उनके बयान से मेल खा रहे थे। अब पुलिस IPC की धारा 302 के तहत chargesheet तैयार कर रही है। गुरुग्राम पुलिस का कहना है, “ये केस अब open and shut है।” पर सच पूछो तो, क्या सच में ये केस इतना simple है?
समाज के लिए एक झटका… एक सवाल
इस घटना ने सिर्फ राधिका के trainers को ही नहीं, पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। उनके कोच की आवाज़ भर्राई हुई थी जब उन्होंने कहा, “राधिका… वो तो आगे जाकर national level पर देश का नाम रोशन करने वाली थी।” वहीं पड़ोसियों की प्रतिक्रिया और भी चौंकाने वाली है। एक पड़ोसी ने कहा, “दीपक जी? वो तो बेटी को लेकर हमेशा proud दिखते थे। ये सब… समझ से बाहर है।” सच में, ये वो सवाल है जो हर किसी के मन में घूम रहा है।
आगे का रास्ता: न्याय या और सवाल?
पुलिस जल्द ही chargesheet पेश करने वाली है। पर legal experts की राय कुछ और ही कहती है। उनका मानना है कि इस केस में psychological evaluation तो होगी ही – क्योंकि एक पिता का अपनी ही बेटी को मार देना… ये कोई normal case तो है नहीं। समाजशास्त्रियों का कहना है कि ये केस family violence और mental health पर बहस को फिर से जन्म देगा।
राधिका की मौत सिर्फ एक होनहार खिलाड़ी का अंत नहीं है – ये तो हमारे social fabric पर एक गहरा सवाल है। क्या हम अपने घरों में बढ़ते stress और depression को पहचान पा रहे हैं? जैसे-जैसे ये केस आगे बढ़ेगा, उम्मीद है कि न्याय के साथ-साथ कुछ ज़रूरी सबक भी मिलेंगे। पर सच कहूँ तो… क्या कोई सबक इस दर्द की भरपाई कर पाएगा?
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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com