राहुल गांधी ने किस कांग्रेसी नेता की तारीफ़ करके सबको चौंका दिया?
अरे भाई, राजनीति में तो रोज़ कुछ न कुछ होता रहता है। लेकिन कल जो राहुल गांधी ने किया, वो सच में चर्चा का विषय बन गया है! तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की उन्होंने खुलकर तारीफ़ की – और सिर्फ़ साधारण तारीफ़ नहीं, बल्कि उनकी जातिगत जनगणना की पहल को “सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम” बताया। अब सवाल ये उठता है कि क्या ये सिर्फ़ एक राजनीतिक स्टंट था या फिर सच में कुछ बदलाव की बात है? क्योंकि आजकल तो जाति आधारित जनगणना का मुद्दा पूरे देश में गरमा-गरम बहस का विषय बना हुआ है।
जातिगत जनगणना: पुराना मुद्दा, नया विवाद
देखिए, ये कोई नई बात तो है नहीं। 2011 के बाद से ही इस मुद्दे पर राजनीति गरमाती रही है। लेकिन तेलंगाना सरकार ने 4 फरवरी को जो कदम उठाया, वो सच में ऐतिहासिक है। एक साल में पूरा डेटा जमा करने का लक्ष्य? हम्म… दिलचस्प। और राहुल गांधी का ये बयान तो ऐसा लगा जैसे कांग्रेस ने अपना पुराना राग फिर से छेड़ दिया हो। पर सच पूछो तो, क्या वाकई में ये सर्वे समाज के लिए फायदेमंद होगा?
“साहसिक फैसला” या “राजनीतिक चाल”?
राहुल ने तो जमकर रेवंत रेड्डी की वाहवाही की – “सामाजिक न्याय के लिए साहसिक फैसला” कहकर। शिक्षा, रोजगार और आरक्षण के लिए सटीक डेटा? सुनने में तो अच्छा लगता है। लेकिन भाजपा वालों का कहना है कि ये सब दिखावा है। और सच क्या है? शायद वक्त ही बताएगा। एक तरफ दलित संगठनों का समर्थन, दूसरी तरफ विरोध… मामला गड़बड़झाला ही लगता है!
राजनीति का पारा चढ़ा
अब तो मजा आ गया! कांग्रेस के खड़गे साहब बोले – “मोदी सरकार के लिए सबक”। भाजपा वाले चिल्ला रहे हैं – “समाज को बांटने की साजिश”। और रेवंत रेड्डी? वो तो बस यही दोहरा रहे हैं कि उनका मकसद सिर्फ़ समान अवसर देना है। सच बताऊं? मुझे तो लगता है दोनों पक्ष अपनी-अपनी रोटी सेक रहे हैं।
2025 तक का इंतज़ार… पर असल मैच तो 2024 में है!
तेलंगाना सरकार ने 2025 तक रिजल्ट देने का वादा किया है। लेकिन राजनीतिक पंडितों की मानें तो कांग्रेस इस मुद्दे को 2024 के चुनाव में भुनाने की पूरी तैयारी में है। सामाजिक न्याय का नारा? वोट बैंक की राजनीति? जो भी हो, एक बात तो तय है – अगले कुछ महीनों में ये मुद्दा ज़ोरों से उछलेगा। और जब तेलंगाना का डेटा आएगा, तब तो और भी मजा आएगा!
अंत में बस इतना ही – राहुल गांधी ने आज जो बयान दिया, वो कांग्रेस की सोशल जस्टिस वाली स्ट्रैटेजी को तो दिखाता ही है, साथ ही ये भी बताता है कि 2024 की तैयारियां जोरों पर हैं। और सत्ता पक्ष? वो तो हर चीज में राजनीति ढूंढ ही लेता है। देखते हैं, ये नाटक आगे कैसे बढ़ता है!
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com