“अमेरिकी कर्ज़ पर रे डालियो की चेतावनी: ‘बड़ा, दर्दनाक संकट’ आ सकता है!”

रे डालियो का बड़ा झटका: “अमेरिका का कर्ज़ अब नियंत्रण से बाहर!”

अरे भाई, सुनो ज़रा! Bridgewater Associates के मशहूर निवेशक रे डालियो ने तो अमेरिकी सरकार को लेकर बम फोड़ दिया है। उनका कहना है कि अगर अमेरिका अपने federal deficit को GDP के 7% से घटाकर 3% नहीं करता, तो… छोड़ो यार, सुनकर ही डर लगता है – “बड़ा, दर्दनाक आर्थिक संकट” आ सकता है! और ये कोई आम आदमी नहीं कह रहा, दुनिया के टॉप मैक्रो-इन्वेस्टर्स में से एक हैं ये। सोचिए, कितनी गंभीर बात होगी?

परेशानी की जड़ क्या है?

देखिए ना, अमेरिका का कर्ज़ पहले ही $34 ट्रिलियन को पार कर चुका है – यानी 34 लाख करोड़ डॉलर! मतलब… समझ नहीं आता इतने ज़ीरो कैसे लगाए जाएं। और ये सब कैसे हुआ? सरकारी खर्चे बढ़े, tax cuts हुए, फिर COVID में तो जैसे पैसे बरसाए गए। डालियो तो सालों से चेता रहे थे, पर अब लगता है ट्रेन पटरी से उतरने वाली है। सच कहूं तो, वापसी का रास्ता मुश्किल दिखता है।

डालियो का “मेडिसिन बॉक्स” – क्या है समाधान?

अब सवाल यह है कि इस मर्ज़ की दवा क्या है? डालियो ने तीन बड़े उपाय सुझाए हैं:
1. सरकारी खर्चे काटो (जो इतना आसान नहीं)
2. tax system को ठीक करो
3. ब्याज दरों में समायोजन करो

पर यहाँ दिक्कत ये है कि अगर जल्दी कुछ नहीं किया गया, तो inflation, मंदी और financial markets में भूचाल आ सकता है। और सबसे डरावनी बात? ये संकट सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहेगा। क्यों? क्योंकि US dollar और Treasury bonds तो पूरी दुनिया की economy की रीढ़ हैं!

कौन क्या बोल रहा है?

अब जानते हैं experts क्या कह रहे हैं। Harvard के प्रोफेसर रोगॉफ़ जैसे लोग तो पहले से ही आगाह कर रहे थे। White House वाले कहते हैं “हम योजना बना रहे हैं”, पर Congress की सहमति चाहिए। और Republicans? वो तो Biden प्रशासन पर हमला बोल ही चुके हैं। राजनीति, नीति से ऊपर हो गई है शायद।

आगे क्या होगा?

असल में, अगर अमेरिका ने अभी कुछ नहीं किया, तो dollar की कीमत से लेकर bond market तक सब प्रभावित होगा। 2024 के elections के बाद ही कोई बड़ा फैसला हो पाएगा, ऐसा कुछ experts मानते हैं। लेकिन सच तो ये है कि अगर fiscal discipline नहीं बरती गई और policy reforms नहीं हुए… तो भाई, तूफ़ान तो आना ही है।

आखिर में क्या कहें? डालियो ने जो बात उठाई है, वो अमेरिकी अर्थव्यवस्था की नाजुक हालत को दिखाती है। अब देखना ये है कि US policymakers सच में कुछ करते हैं या फिर… “कल देखा जाएगा” वाली मानसिकता से काम चलाते रहते हैं। आपको क्या लगता है – क्या अमेरिका इस संकट से उबर पाएगा?

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Source: Livemint – Markets | Secondary News Source: Pulsivic.com

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