“जॉब बदलना आपका अधिकार: अनुबंध में रोक शून्य क्यों है? जानें पूरी सच्चाई!”

नौकरी बदलना चाहते हैं? जानिए क्यों कंपनियां आपको रोक नहीं सकतीं!

अरे भाई, क्या आपने भी वो डरावने नॉन-कॉम्पीट क्लॉज के बारे में सुना है जो कंपनियां अनुबंध में डाल देती हैं? मतलब नौकरी छोड़ो तो अगली नौकरी भी उनकी मर्जी से लेनी पड़े? दिल्ली हाई कोर्ट ने तो अब इस पर बड़ा दिलचस्प फैसला सुना दिया है। असल में, ये सारे प्रतिबंध भारतीय कानून की नजर में बेकार हैं। जी हाँ! आपका काम करने का अधिकार कोई कंपनी छीन नहीं सकती।

पूरा माजरा क्या है?

देखिए न, IT, finance या consulting जैसे सेक्टर में ये प्रैक्टिस आम है। आप नौकरी छोड़ते हो तो कह देते हैं – “अगले 6 महीने हमारी कंपीटीटर कंपनी में नहीं जा सकते!” सच बताऊँ? ये पूरा का पूरा अनुबंध अधिनियम की धारा 27 के खिलाफ है। और अब कोर्ट ने भी यही कहा है।

मामला तब सुर्खियों में आया जब एक भैया ने अपनी कंपनी को चुनौती दे डाली। सोचिए – आपकी नौकरी छूट गई, नया ऑफर मिला, और पुरानी कंपनी कह रही है “नहीं जाने देंगे!” बिल्कुल गलत बात है न? कोर्ट को भी यही लगा।

कोर्ट ने क्या कहा?

जज साहब ने तो एकदम साफ-साफ कह दिया – “नॉन-कॉम्पीट क्लॉज? बेकार है भाई!” उन्होंने कहा कि रोटी-रोजी कमाने के अधिकार पर कोई रोक नहीं लगा सकता। खासकर हमारे IT वालों के लिए तो ये फैसला वरदान जैसा है। अब कंपनियों को ये समझ आना चाहिए कि अच्छे कर्मचारी पैसों और संस्कृति से बंधते हैं, कागज के टुकड़ों से नहीं!

एक बात और – कोर्ट ने सही कहा कि अगर कंपनी को डर है कि कर्मचारी trade secrets लेकर भाग जाएगा, तो उसके लिए अलग कानून हैं। लेकिन सीधे-सीधे “काम मत करो” कहना? नहीं चलेगा!

किसको क्या लगा?

कर्मचारी संघों की तो खुशी का ठिकाना नहीं! उनका कहना है कि ये छोटे कर्मचारियों के खिलाफ कॉरपोरेट धौंस का अंत है। एक यूनियन लीडर ने तो मजाक में कहा – “अब HR वाले रातों को सो पाएंगे कि नहीं?”

वहीं दूसरी तरफ, कुछ उद्योग जगत के लोग थोड़े चिंतित हैं। उनका कहना है कि इससे innovation को नुकसान हो सकता है। पर सच्चाई ये है कि अगर कंपनी अपने कर्मचारियों के साथ ठीक से व्यवहार करे, तो उन्हें भागने की क्या जरूरत?

आगे क्या होगा?

अब तो कंपनियों को अपने employment contracts की फाइलें फिर से खोलनी पड़ेंगी। legal experts कह रहे हैं कि HR policies में बड़ा बदलाव आएगा। और हाँ, जिन कर्मचारियों पर ये क्लॉज लागू किए गए थे, वो अब कोर्ट जा सकते हैं।

अंत में एक बात – ये फैसला सिर्फ कानूनी जीत नहीं, बल्कि हमारे काम करने के अधिकार की जीत है। जैसे मेरे दादाजी कहते थे – “हाथ काट दो तो कोई नया हाथ नहीं आता, नौकरी छूटे तो नई मिल सकती है!” सच्ची बात है न?

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जॉब बदलने का हक़: क्या आप जानते हैं ये ज़रूरी बातें?

अरे भाई, इन दिनों तो हर कोई जॉब हॉपिंग कर रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके कानूनी पहलू क्या हैं? चलिए, आज बात करते हैं कुछ ऐसे सवालों की जो अक्सर दिमाग़ में आते हैं।

1. क्या कंपनी आपको जबरदस्ती रोक सकती है? (Bond वगैरह के नाम पर)

सुनिए, ये बात बिल्कुल clear है। अगर कंपनी बिना किसी valid वजह के आपको जॉब छोड़ने से रोकती है या bond थोपती है – तो ये ग़ैरक़ानूनी है! Indian Labor Laws के मुताबिक़, आपको अपनी मर्ज़ी से नौकरी बदलने का पूरा हक़ है। मतलब क्या? कोई आपको ज़बरदस्ती नहीं रोक सकता। लेकिन हाँ, अगर आपने कोई training bond साइन किया है तो थोड़ा case अलग हो सकता है।

2. Notice period नहीं दे रही कंपनी? ये है आपके पास विकल्प

असल में देखा जाए तो… कई कंपनियाँ notice period पूरा करने ही नहीं देतीं। तो क्या करें? पहला रास्ता – HR department से बात करें। दूसरा – labor court में complaint दर्ज करवाएँ। हालांकि, याद रखें कि notice period के नियम company policies और आपके contract पर निर्भर करते हैं। पर सच कहूँ तो legally, आपको notice period serve करने का option तो मिलना ही चाहिए।

3. Bond के नाम पर पैसे ऐंठना? बिल्कुल ग़लत!

एकदम साफ़ शब्दों में – नहीं! अगर कोई कंपनी bond के बहाने आपकी salary का हिस्सा रोकती है या पैसे माँगती है, तो ये पूरी तरह ग़लत है। ऐसे में आपके पास दो विकल्प हैं:
1. Legal notice भेजें
2. Labor department की मदद लें
सच कहूँ तो ऐसी कंपनियों को सबक सिखाना ही चाहिए।

4. नई जॉब ज्वाइन करने से पहले ये documents ज़रूर चेक करें

देखिए भाई, नई नौकरी में कूदने से पहले ये तीन चीज़ें अच्छी तरह पढ़ लें:
– Offer letter (हाँ, वो भी छोटे-छोटे print में लिखा हुआ)
– Employment contract
– Company policies

ख़ास तौर पर इन पर गौर करें:
✓ Notice period के नियम
✓ Bond से जुड़े clauses
✓ Termination की शर्तें

अगर कुछ भी आपके rights को कम करता दिखे – सवाल ज़रूर उठाएँ। वैसे भी, आजकल तो LinkedIn पर पूछ लो, लोग अपने experiences शेयर कर देते हैं।

तो ये थी कुछ ज़रूरी जानकारी। कोई सवाल हो तो कमेंट में पूछना। और हाँ, किसी भी कंपनी के आगे अपने rights से समझौता मत करना!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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