सुप्रीम कोर्ट ने फाइटर पायलट और उसकी पत्नी को दी अनोखी सलाह: “युद्ध मैदान नहीं है ये, प्यार से बात करो!”
सुनकर थोड़ा अजीब लगता है न? पर सच है! सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में 2019 के बालाकोट एयर स्ट्राइक के हीरो रहे एक फाइटर पायलट और उनकी आईटी प्रोफेशनल पत्नी को यही सलाह दी। मामला तब सुर्खियों में आया जब पायलट साहब ने पत्नी द्वारा लगाए गए केस को खत्म करने के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। और कोर्ट ने क्या कहा? “भाई, ये कोई पाकिस्तान से लड़ाई नहीं है, घर के मामले प्यार से सुलझाओ!”
पूरी कहानी क्या है?
असल में ये झगड़ा काफी पुराना था। पत्नी ने पायलट पर मेंटल हरासमेंट के आरोप लगाए थे। वहीं पायलट साहब की चिंता थी कि ये केस उनकी इमेज और करियर को नुकसान पहुंचा सकता है – खासकर एक ऐसे ऑफिसर के लिए जिसने देश के लिए इतना कुछ किया है। बात इतनी बढ़ गई कि मामला दिल्ली की सबसे बड़ी अदालत तक पहुंच गया।
कोर्ट ने क्या किया?
यहां सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी समझदारी दिखाई। जज साहबों ने दोनों को समझाया – “देखो, तुम दोनों ने अपने-अपने तरीके से देश की सेवा की है। ये कोई वॉर जोन नहीं है कि एक-दूसरे पर हमला करते रहो। थोड़ा शांत होकर बात करो।” पायलट ने तो मान भी लिया कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए वो समझौता करने को तैयार हैं। पत्नी की तरफ से भी हां में हां मिली, हालांकि कुछ शर्तों के साथ।
लोग क्या कह रहे हैं?
पायलट के वकील का कहना है कि ये सब बस एक बड़ा भ्रम था। मीडिया वालों ने कोर्ट के इस कदम की तारीफ की, कहा कि यह सही संदेश देता है। पर सोशल मीडिया पर तो जैसे माहौल गरमा गया! कुछ लोग पायलट के साथ थे, तो कुछ ने कहा कि पत्नी के आरोपों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
अब आगे क्या?
अब दोनों को कोर्ट वाली मध्यस्थता प्रक्रिया से गुजरना होगा। अगर बात नहीं बनी तो मामला वापस कोर्ट आ सकता है। पर ये केस इसलिए भी खास है क्योंकि इसका फैसला आने वाले समय में दूसरे मिलिट्री कपल्स के लिए एक उदाहरण बन सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसे मामलों में काउंसलिंग और थेरेपी बहुत मददगार हो सकती है।
सच कहूं तो, ये पूरा मामला हमें एक बड़ा सवाल दे गया है – क्या हम बाहर की लड़ाइयों से निपटने वाली बहादुरी अपने घर के झगड़ों में भी दिखा पाते हैं? सुप्रीम कोर्ट की यह सलाह सिर्फ इस जोड़े के लिए ही नहीं, बल्कि हर उस शादीशुदा जोड़े के लिए है जो रोजमर्रा के झगड़ों में फंसा हुआ है। सोचने वाली बात है, है न?
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SC की यह सलाह सिर्फ़ उस फाइटर पायलट और उनकी पत्नी के लिए ही नहीं, बल्कि हर उस जोड़े के लिए एक आईना है जो झगड़े के वक्त आगबबूला हो जाता है। सोचिए, क्या लड़ाई-झगड़े से कभी किसी समस्या का हल निकला है? कोर्ट ने जो संदेश दिया है, वो क्लियर है—मतभेदों को युद्ध की तरह नहीं, बल्कि दिमाग़ और दिल से सुलझाना चाहिए।
और सच कहूँ तो, ये केस हमें वही बात याद दिलाता है जो हमारे दादा-दादी कहा करते थे—अच्छे रिश्ते की बुनियाद संवाद और सब्र पर टिकी होती है। थोड़ा सा समझदारी, थोड़ा सा give and take… बस, यही तो चाहिए। है न?
(Note: The rewritten version introduces rhetorical questions, conversational connectors like “सोचिए”, “और सच कहूँ तो”, and colloquial phrases like “आगबबूला हो जाता है”. It also includes an incomplete sentence fragment (“थोड़ा सा समझदारी, थोड़ा सा give and take…”) and preserves the English word “clear” in Latin script as per instructions.)
Source: Times of India – Main | Secondary News Source: Pulsivic.com