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“SC ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को राहत देते हुए PM मोदी और RSS पर ‘आपत्तिजनक’ पोस्ट पर चेतावनी जारी की”

SC ने हेमंत मालवीय को राहत दी, पर साथ में दी यह बड़ी चेतावनी!

क्या आपने सुना? सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय के पक्ष में फैसला सुना दिया। लेकिन यहां सिर्फ ‘जीत’ की बात नहीं है – कोर्ट ने एक साथ दो बातें कहीं। एक तरफ तो मालवीय के खिलाफ चल रही कार्यवाही पर रोक लगाई, वहीं दूसरी तरफ अभिव्यक्ति की आजादी के साथ जिम्मेदारी का पाठ भी पढ़ाया। ठीक वैसे ही जैसे आपको मोबाइल फोन तो इस्तेमाल करने दिया जाए, लेकिन यह भी याद दिला दिया जाए कि उसे गलत हाथों में न दें।

हेमंत मालवीय… नाम तो सुना ही होगा? वही जिनके कार्टून पढ़कर आप कभी हंसते हैं, कभी सोच में पड़ जाते हैं। असल में, यह आदमी अपने पेन से सत्ता की गद्दी तक हिला देता है। पर इस बार उनका एक social media पोस्ट ही विवादों में फंस गया – जिसमें PM मोदी और RSS को निशाना बनाया गया था। अब सवाल यह है कि क्या यह सचमुच ‘आपत्तिजनक’ था या फिर राजनीतिक व्यंग्य का हिस्सा?

सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया, वो किसी ताऊ-ताऊ खेल जैसा नहीं था। देखिए न, एक तरफ तो उन्होंने मालवीय को तुरंत राहत दी – यानी “भई, आप पर केस नहीं चलेगा”। लेकिन साथ ही यह भी कहा कि “अरे भाई, आजादी का मतलब ये तो नहीं कि कुछ भी बोल दो!” एकदम सटीक। सच कहूं तो यह फैसला उस माँ की तरह है जो बच्चे को खेलने तो देती है, पर साथ ही यह भी कहती है – “देखकर खेलना वरना चोट लग जाएगी।”

अब सबकी प्रतिक्रियाएं? मजेदार! मालवीय ने तो कोर्ट को धन्यवाद दिया – वैसे ही जैसे परीक्षा पास करने के बाद टीचर को थैंक यू बोलते हैं। सरकार वालों ने कहा – “हम कोर्ट का फैसला मानते हैं… लेकिन!” इस ‘लेकिन’ में ही सारा माजरा छिपा है। वहीं मानवाधिकार वालों ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया। पर सच तो यह है कि यह फैसला न तो पूरी तरह किसी के पक्ष में है, न ही विपक्ष में। बिल्कुल उस चाय की तरह जो न ज्यादा गरम हो, न ठंडी – बस पीने लायक!

आगे क्या? यह तो बस शुरुआत है दोस्तों! यह केस तो अब social media पर आजादी की लड़ाई का एक उदाहरण बन चुका है। क्या सरकार नए नियम लाएगी? क्या कार्टूनिस्ट अब और भी बेखौफ होकर लिखेंगे? या फिर यह ‘टाइटरोप’ (Twitter + रस्सी) पर चलने जैसा होगा? समय बताएगा।

एक बात तो तय है – यह फैसला भारतीय लोकतंत्र में बहस की जगह को नए सिरे से परिभाषित करेगा। वैसे ही जैसे किसी ने सही कहा था – “अगर आप सच्चे लोकतंत्र में रहते हैं, तो तैयार रहिए… कभी आपकी बात सुनी जाएगी, कभी आपको सुनना पड़ेगा!”

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Source: Times of India – Main | Secondary News Source: Pulsivic.com

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