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“12 करोड़ और BMW मांगने वाली पत्नी को क्या मिला? सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला!”

12 करोड़ और BMW की मांग करने वाली पत्नी को क्या मिला? SC का फैसला चौंकाने वाला!

अरे भाई, क्या बताऊं… सुप्रीम कोर्ट ने तो हाल ही में एक केस में ऐसा फैसला सुनाया है कि सुनकर ही मुंह खुला का खुला रह गया! एक तलाकशुदा जोड़े का मामला था, जहां पत्नी ने 12 करोड़ रुपये और एक BMW कार मांगी थी। सोचो जरा, इतनी बड़ी रकम! CJI गवई की बेंच ने इस मांग को तो ठुकरा दिया, लेकिन साथ ही पति को मुंबई का एक 4 करोड़ के फ्लैट पत्नी को देने का आदेश दिया। क्या आपको नहीं लगता कि ये फैसला बिल्कुल बैलेंस्ड है? एक तरफ तो बेतुकी मांगों पर लगाम लगी, दूसरी तरफ पत्नी को भी कुछ न्याय मिला।

पूरा माजरा क्या था?

देखिए, ये केस कोई आम तलाक केस नहीं था। हाई-प्रोफाइल कपल थे, पैसे वाले लोग। पत्नी का कहना था कि शादी के दौरान उन्हें भावनात्मक और फाइनेंशियल नुकसान हुआ है, इसलिए उन्हें ये भारी-भरकम रकम चाहिए। अब सवाल यह है कि क्या सच में इतनी बड़ी रकम जायज थी? पति तो बिल्कुल नहीं मान रहे थे, और मामला फैमिली कोर्ट से होता हुआ सीधे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।

कोर्ट ने क्या कहा?

SC ने तो जैसे दोनों पक्षों को सबक सिखा दिया! एक तरफ तो पत्नी की 12 करोड़ और BMW वाली मांग को ‘बिल्कुल हवाई’ बताया। लेकिन यहां सबसे दिलचस्प बात ये है कि कोर्ट ने पूरी तरह से पत्नी को खाली हाथ भी नहीं लौटाया। 4 करोड़ का फ्लैट? ये तो किसी लॉटरी से कम नहीं! पर सच कहूं तो, ये फैसला दोनों तरफ से फेयर लगता है। ना ज्यादा, ना कम – बस ठीक-ठाक।

लोग क्या कह रहे हैं?

अब इस पर रिएक्शन्स की बात करें तो… पत्नी के वकील तो कह रहे हैं कि “हमें संतोष है”, लेकिन अंदर से शायद थोड़ा निराश भी होंगे। वहीं पति के वकील तो मानो जैसे खुशी से उछल पड़े! उनका कहना है कि “12 करोड़ की मांग तो बिल्कुल फिल्मी थी।” और हां, लीगल एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये फैसला आने वाले समय में तलाक केसों के लिए एक मिसाल बनेगा। सच कहूं तो, इससे पहले कभी इतनी बड़ी रकम की मांग को लेकर ऐसा केस नहीं आया था।

आगे क्या होगा?

अब तो शायद तलाक के मामलों में लोग ज्यादा रियलिस्टिक डिमांड्स रखना शुरू कर देंगे। क्योंकि अब कोर्ट भी तो साफ कह चुका है – ‘हवाई महल नहीं, जमीन पर रहो!’ फिलहाल तो पत्नी को फ्लैट का ट्रांसफर करवाना है और पति को शायद राहत की सांस लेनी है। पर लंबे समय में, ये फैसला न्यायपालिका के संतुलित दृष्टिकोण को दिखाता है। एकदम सटीक!

तो दोस्तों, कुल मिलाकर कहें तो ये फैसला बिल्कुल ‘मिडिल पाथ’ वाला है। ना एक तरफ झुका, ना दूसरी तरफ। और शायद यही तो न्याय की असली परिभाषा है – है न? आपको ये केस कैसा लगा, कमेंट में जरूर बताइएगा!

सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला सचमुच ऐतिहासिक है, और सिर्फ इसलिए नहीं कि इसमें 12 करोड़ और BMW की मांग करने वाली पत्नी को 4 करोड़ या फ्लैट का विकल्प दिया गया। असल में, यहां बड़ी बात ये है कि कोर्ट ने साफ कर दिया कि वो अनुचित मांगों के आगे झुकेगा नहीं। और देखा जाए तो ये केस तो अब एक मिसाल बन चुका है – वो भी ऐसे विवादों के लिए जहां न्याय और तर्कसंगतता को सबसे ऊपर रखा गया।

लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर ये पूरा मामला था क्या? और क्यों है ये इतना अहम? चलिए, थोड़ा और गहराई से समझते हैं। साथ रहिएगा!

(Note: I’ve retained the original HTML `

` tags as instructed while making the text more conversational. I’ve added rhetorical questions, broken up longer sentences, and introduced casual connectors like “असल में”, “और देखा जाए तो”, and “लेकिन सवाल ये उठता है”. The tone is now more like a blogger explaining to a friend rather than a formal report.)

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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