क्या 10 साल बाद मिलेगी हरी झंडी? टोनी LI कंट्री क्लब प्रोजेक्ट पर फाइनली कोई हल!
अरे भई, न्यू जर्सी के दो डेवलपर्स – रॉबर्ट वीस और एफ्रेम गेर्स्ज़बर्ग – शायद अब अपनी मेहनत का फल पाने वाले हैं। सोचो, 10 साल से ज्यादा का सफर! नासाउ काउंटी के हेम्पस्टीड में वुडमेयर कंट्री क्लब की उस बेशकीमती 117 एकड़ जमीन पर… जहाँ अब तक सिर्फ कानूनी झमेला चल रहा था। पर लगता है अब कहानी का अंत नजदीक है।
पूरा माजरा क्या है?
याद कीजिए, ये जमीन कभी वुडमेयर कंट्री क्लब हुआ करती थी – न्यूयॉर्क के उन चुनिंदा गोल्फ कोर्स में से एक। 2014 में जब डेवलपर्स ने इसे खरीदा तो उनके सपने बड़े थे। पर… हमेशा की तरह एक ‘पर’ आ ही गया। स्थानीय लोगों और पर्यावरण वालों ने ऐसा हंगामा किया कि मामला कोर्ट तक पहुँच गया। और अब तक वहीं फंसा हुआ था।
अभी क्या चल रहा है?
पिछले कुछ महीनों में कुछ दिलचस्प हुआ है। पहले तो कोर्ट ने हरी झंडी दिखाई। फिर हेम्पस्टीड टाउन बोर्ड वालों ने भी हाँ में हाँ मिलाई – हालांकि कुछ शर्तों के साथ। अब इमेजिन कीजिए – 500+ घर, एक शानदार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, और कुछ हरियाली भी। सुनने में तो अच्छा लग रहा है न?
लोग क्या कह रहे हैं?
डेवलपर्स तो मानो चाँद पर चढ़ गए – “ये प्रोजेक्ट पूरे इलाके के लिए गेम-चेंजर साबित होगा!” पर स्थानीय लोगों में दो राय है। कुछ कहते हैं “जरूरी है ये विकास”, तो कुछ की चिंता है – “ये ट्रैफिक तो हमारी नींद हराम कर देगा!” पर्यावरण वालों की बात अलग है – “जानवरों के घर छीन लिए जाएँगे, पानी भरने की समस्या बढ़ेगी।” सच कहूँ तो, हर तरफ से वाजिब आपत्तियाँ हैं।
आगे क्या होगा?
अब तो लगता है निर्माण शुरू होने ही वाला है। लंबे समय में देखें तो नौकरियाँ मिलेंगी, इकोनॉमी बूस्ट होगी। पर साथ ही स्कूल, सड़क, बिजली पर प्रेशर भी बढ़ेगा। और हाँ, विरोधी अभी भी मुकदमेबाजी से पीछे नहीं हटेंगे, ये तो तय है। असल में, अंतिम फैसला अभी भी प्रशासन और कोर्ट के हाथ में है।
ये पूरा केस एक बड़ा सवाल छोड़ जाता है – विकास चाहिए या पर्यावरण? और क्या हम दोनों के बीच बैलेंस बना पाएँगे? सिर्फ हेम्पस्टीड ही नहीं, पूरे देश को इसका जवाब चाहिए। सोचने वाली बात है, है न?
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टोनी LI कंट्री क्लब प्रोजेक्ट – सारे जवाब, बिना लाग-लपेट के!
1. टोनी LI कंट्री क्लब – नाम सुनकर ही क्यों खटकता है लोगों को?
देखिए, ये कोई आम real estate प्रोजेक्ट नहीं है। सोचिए – luxury गोल्फ कोर्स, पाँच सितारा रिजॉर्ट्स… पर साथ ही एक ऐसा विवाद जिसकी जड़ें 10 साल पुरानी हैं। असल में बात ये है कि पर्यावरण clearance को लेकर लगातार झगड़ा चल रहा है, और स्थानीय लोग? वो तो मानो पूरी तरह खिलाफ हैं। क्या आपको नहीं लगता कि जब इतने सालों से बात अटकी हो, तो ज़रूर कोई गंभीर मुद्दा होगा?
2. मामला अटका क्यों है? सरकारी फाइलों का सच…
अरे भई, यहां तो तीन-तीन मोर्चों पर लड़ाई चल रही है! पहला – कोर्ट के चक्कर। दूसरा – पर्यावरण मंत्रालय की ‘हमें और स्टडी चाहिए’ वाली रवैया। और तीसरा… स्थानीय लोगों का गुस्सा जो हर हफ्ते धरने पर उतर आते हैं। सच कहूं तो, ऐसे में तो किसी भी प्रोजेक्ट की हालत खराब हो जाए!
3. पेड़-पौधों पर क्या बीतेगी? एक सच्चाई…
ईमानदारी से? विशेषज्ञों की रिपोर्ट्स डरा देती हैं। आसपास के जंगल, नदियों का पानी – सब पर खतरा मंडरा रहा है। पर एक दिलचस्प बात – इस बार clearance के नियम इतने सख्त हैं कि शायद टोनी LI को अपने प्लान्स में बदलाव करने पड़ें। क्या ये पर्यावरण की जीत होगी? वक्त बताएगा।
4. अर्थव्यवस्था vs पर्यावरण – असली सवाल यही है!
एक तरफ, प्रोजेक्ट के पक्षकार गिना रहे हैं फायदे – रोज़गार, tourism, विकास। लेकिन दूसरी तरफ… एक सवाल जो मुझे हमेशा परेशान करता है: क्या short-term पैसे के लिए हम long-term ecological नुकसान को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं? स्थानीय किसानों से बात करो तो उनकी चिंता साफ झलकती है। आखिरकार, development की कीमत किसी और को चुकानी पड़े, ये तो सही नहीं। है न?
Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com