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“ट्रंप के 4 सबूत: ‘अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता’ वाली सोच के बेस्ट उदाहरण!”

ट्रंप वाली फिलॉसफी: “हम करें तो चलेगा, तुम करो तो गुनाह!”

अंतरराष्ट्रीटीय राजनीति की बात हो और डोनाल्ड ट्रंप का ज़िक्र न आए? नामुमकिन! ये शख्स तो जैसे दोहरे मापदंडों का चलता-फिरता विज्ञापन है। हाल ही का मामला देखिए – भारत को रूसी तेल न खरीदने की नसीहत दे रहे हैं, लेकिन पीछे से खुद अमेरिका रूस के साथ मोटा-मोटी डील कर रहा है। ठीक वैसा ही जैसे कोई सिगरेट पीते हुए दूसरों को स्वास्थ्य के बारे में लेक्चर देने लगे! “Do as I say, not as I do” वाली ये मानसिकता तो ट्रंप साहब की पहचान बन चुकी है।

अमेरिका का वो डबल गेम जो हर बार पकड़ा जाता है

सालों से रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की रट लगाने वाला अमेरिका अचानक भारत को लेकर मोरल पुलिस बन गया। है न मज़ेदार? यूक्रेन युद्ध के बाद तो पूरा पश्चिम रूसी तेल बॉयकॉट करने पर आमादा था। लेकिन भारत ने अपनी जरूरतों को देखते हुए सस्ता तेल खरीदना जारी रखा – जो कि एकदम लाज़मी था। पर यहाँ ट्विस्ट – अमेरिकी कंपनियाँ तो रूस से खूब व्यापार कर रही थीं! उर्वरक से लेकर दूसरे सामान तक। मतलब साफ है – नियम तो गरीबों के लिए होते हैं, अमीरों के लिए तो अपवाद ही अपवाद हैं!

ट्रंप का वो लेक्चर जिसमें खुद उनका ही चेहरा लाल हो गया

क्या आपको याद है ट्रंप का वो भाषण जहाँ उन्होंने भारत को रूसी तेल पर मोरल साइंस पढ़ाई थी? अरे भई, मीडिया ने तो पल भर में पोल खोल दी! पता चला कि ट्रंप की अपनी कंपनियाँ रूस से करोड़ों का कारोबार कर रही थीं। सच कहूँ तो ये वाकया उस कहावत को सच साबित करता है – “उंगली उठाने से पहले देख लो कि चार उंगलियाँ तो आपकी तरफ भी उठ रही हैं!” सवाल सीधा है – जब आप खुद नियम तोड़ रहे हैं, तो दूसरों को सबक सिखाने का हक कैसे रखते हैं?

दुनिया ने क्या कहा इस पर? रिएक्शन्स का फायरवर्क्स!

भारत का जवाब तो बेहद स्टाइलिश था – “हम अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हैं।” अमेरिका के विपक्ष ने तो ट्रंप को देश की इमेज के लिए खतरा तक बता डाला। और रूस? उन्होंने तो मौके का फायदा उठाते हुए अमेरिका की पोल खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ये सारी प्रतिक्रियाएं बता रही हैं कि ये मामला सिर्फ भारत-अमेरिका तक सीमित नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की नज़र में अमेरिका की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर रहा है।

आगे क्या? ट्रंप के लिए टेंशन बढ़ने वाली है!

इस विवाद का असर भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं पर पड़ सकता है – और ये तो सिर्फ शुरुआत है। 2024 के चुनावों से पहले ट्रंप के लिए ये मुद्दा सिरदर्द बन सकता है। सच तो ये है कि अगर अमेरिका चाहता है कि दुनिया उसकी बात माने, तो उसे खुद भी उन्हीं नियमों पर चलना होगा। वरना ये “हम करें तो चलेगा, तुम करो तो गुनाह” वाली सोच उनकी ग्लोबल लीडरशिप को ही डैमेज कर देगी।

आखिरी बात: ट्रंप का ये विवाद एक बार फिर साबित करता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में ताकतवर देश अक्सर डबल स्टैंडर्ड अपनाते हैं। लेकिन युग बदल चुका है – अब पारदर्शिता और जवाबदेही का ज़माना है। ऐसे में ये पुराने तरीके ज्यादा दिन नहीं चलने वाले। सच हमेशा सामने आ ही जाता है!

यह भी पढ़ें:

ट्रंप का वो ‘मैं और सिर्फ मैं’ वाला अंदाज़: क्या यह सच में काम करता है?

1. ट्रंप के वो 4 पगडंडियाँ जो उनकी असली सोच बयाँ करती हैं

देखिए न, ट्रंप साहब के बयान और फैसलों को गौर से देखें तो पैटर्न साफ दिखता है। चाहे वो immigration policies में अचानक बदलाव हो, media को ‘fake news’ कहकर ठुकराना हो, या फिर अपने business deals को हमेशा पहले रखना – ये सब मिलकर क्या कहते हैं? “मेरा स्वार्थ पहले, बाकी सब बाद में।” सच कहूँ तो, ये उस दुकानदार जैसा है जो ग्राहक को ठगकर भी मुस्कुराता रहता है।

2. क्या यह ‘मैं ही राजा’ वाला अंदाज़ वोटरों को भाता है?

अरे भई, सवाल तो अच्छा पूछा! एक तरफ तो लोग इसे घटिया नेतृत्व मानते हैं… पर दूसरी तरफ उनके चाहने वालों के लिए यही तो USP है! ‘America First’ का नारा देकर वो अपने supporters के दिलों पर राज करते हैं। है न मजेदार बात? यही तो उनकी छवि को और भी धारदार बनाता है – चाहे अच्छे के लिए हो या बुरे के लिए।

3. क्या ट्रंप अकेले हैं इस ‘जनता-भूल’ खेल में?

सुनिए, दुनिया भर के नेता इस खेल में माहिर हैं। लेकिन ट्रंप साहब में जो बात है… वो है बेबाकी! जहाँ दूसरे नेता पॉलिश किए हुए शब्दों में बात करते हैं, ये सीधे-सीधे तोप से उड़ा देते हैं। एकदम साफगोई। या यूँ कहें कि बिना मेकअप के सच। पर सवाल यह है कि क्या यह स्टाइल हमेशा काम करता है?

4. आगे चलकर इसका क्या होगा? एक आम आदमी की समझ

असल में बात यह है कि… कोई क्रिस्टल बॉल तो है नहीं! कुछ विशेषज्ञ डरा रहे हैं कि इससे लोकतंत्र की जड़ें कमजोर होंगी। वहीं दूसरी तरफ, कुछ का मानना है कि यही तो असली नेतृत्व है – बिना दबाव के फैसले लेना। सच तो यह है कि असली नतीजे तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल? बस इतना कि राजनीति का यह नया तरीका हम सबको हैरान कर रहा है।

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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