ट्रंप का वो बड़ा टैक्स बिल: किसकी जेब भरी, किसका घर उजड़ा?
अमेरिका में तूफान ला दिया है ट्रंप प्रशासन के इस नए टैक्स बिल ने! सच कहूं तो ये कोई सामान्य टैक्स सुधार नहीं, बल्कि पूरी अमेरिकी अर्थव्यवस्था का गेम चेंजर साबित हो सकता है। पर सवाल यह है कि क्या यह सबके लिए अच्छी खबर है? बिल्कुल नहीं। तेल कंपनियों के चेहरे पर मुस्कान है तो दूसरी तरफ पर्यावरणविदों का सिर दर्द बढ़ गया है। असल में, इस बिल में जीत-हार का खेल बहुत साफ दिख रहा है।
पूरी कहानी समझिए
देखिए, ये बिल तो आया था “अमेरिका फर्स्ट” के नारे के साथ। ट्रंप टीम का दावा था कि इससे नौकरियां बढ़ेंगी, उद्योगों को ताकत मिलेगी। लेकिन हकीकत क्या है? एक तरफ तो बड़े कॉर्पोरेट्स को मिल रही है टैक्स में भारी छूट, दूसरी तरफ Harvard जैसे बड़े विश्वविद्यालयों पर लग गया है नया टैक्स। क्या यह सही है? ईमानदारी से कहूं तो मामला बहुत गड़बड़ लग रहा है।
किसका बैंक बैलेंस बढ़ा, किसका घटा?
अब जरा हिसाब-किताब समझ लीजिए। तेल कंपनियों को मिल गई सार्वजनिक जमीन पर ड्रिलिंग की छूट – यानी उनके लिए तो जैसे दिवाली आ गई! विनिर्माण क्षेत्र वालों की भी चांदी हो गई है। पर…
यहां एक बड़ा पर है। जिन विश्वविद्यालयों के एंडोमेंट फंड पर टैक्स लगाया गया है, उनके लिए यह बिल किसी बुरे सपने से कम नहीं। और सबसे दुखद? सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट्स को मिलने वाली छूट में कटौती। यानी जब पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग से लड़ रही है, अमेरिका पीछे हट रहा है। है ना हैरान कर देने वाली बात?
कौन खुश, कौन नाराज?
रिपब्लिकन तो मानो होली मना रहे हैं। उद्योगपतियों के चेहरे पर खुशी। लेकिन डेमोक्रेट्स? उनका कहना है कि यह बिल तो सीधे-सीधे अमीरों को गिफ्ट देने जैसा है। और पर्यावरणविद? उनका गुस्सा तो समझा जा सकता है। सच पूछो तो यह बिल राजनीति और अर्थव्यवस्था दोनों को हिला देने वाला साबित होगा।
अब आगे क्या?
असली सवाल यह है कि क्या यह बिल वाकई अमेरिका को फायदा पहुंचाएगा? या फिर यह सिर्फ 1% अमीरों की दावत साबित होगा? समय बताएगा। पर एक बात तो तय है – अगले कुछ सालों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जो उथल-पुथल होने वाली है, उसकी जड़ें इसी बिल में हैं। देखते हैं, यह प्रयोग काम करता है या उल्टा पड़ जाता है।
आपको क्या लगता है? क्या यह बिल सही दिशा में है? कमेंट में जरूर बताइएगा!
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1. ट्रंप का टैक्स बिल क्या है और इसका मकसद क्या था?
देखिए, ट्रंप का यह टैक्स बिल, जिसे आधिकारिक तौर पर Tax Cuts and Jobs Act (TCJA) 2017 कहा जाता है, असल में एक बड़ा हीरो था या विलेन? चलिए समझते हैं। यह बिल अमेरिका में टैक्स सिस्टम को पूरी तरह से बदलने की कोशिश थी। मकसद? सीधा-सीधा – कॉर्पोरेट और आम लोगों के टैक्स कम करके इकोनॉमी को रफ्तार देना। पर क्या यह सच में काम किया? वो तो आगे पता चलेगा…
2. इस टैक्स बिल से किसे सबसे ज्यादा फायदा हुआ?
अरे भई, यह तो बिल्कुल साफ था! जैसे ही यह बिल पास हुआ, बड़ी कंपनियों के चेयरमैन की आँखों में चमक आ गई। कारण? कॉर्पोरेट टैक्स 35% से गिरकर 21% हो गया – यानी लगभग 40% की कटौती! और हाँ, जो लोग पहले से ही हाई-इनकम ग्रुप में थे, उनकी जेब पर भी इसका जबरदस्त असर हुआ। सच कहूँ तो, ट्रिकल डाउन इकोनॉमिक्स का यह क्लासिक केस था।
3. क्या मिडिल-क्लास और लो-इनकम फैमिली को कोई फायदा मिला?
यहाँ थोड़ा मिक्स्ड रिजल्ट आता है। कुछ मिडिल-क्लास परिवारों को शॉर्ट टर्म में राहत मिली, पर यह छूट… कैसे कहें… जैसे गर्मियों की छोटी बारिश – थोड़ी देर की राहत और फिर सब वापस पहले जैसा। और लो-इनकम ग्रुप? उनके लिए तो यह बिल लगभग नॉन-इवेंट था। हैरानी की बात नहीं, है न?
4. इस टैक्स बिल से अमेरिका की इकोनॉमी पर क्या असर पड़ा?
असर? बिल्कुल पड़ा! शुरुआत में तो जैसे रॉकेट बूस्टर लग गया – जॉब्स बढ़े, स्टॉक मार्केट छलांगे लगाने लगा। लेकिन… हमेशा एक लेकिन होता है न? लॉन्ग टर्म में यह बिल अमेरिका के national debt को और भी बढ़ाने वाला साबित हुआ। और सबसे दिलचस्प? अमीर और गरीब के बीच की खाई और चौड़ी हो गई। क्या यह ट्रंप का असली मकसद था? खैर, यह तो इतिहास ही बताएगा।
Source: WSJ – US Business | Secondary News Source: Pulsivic.com