उज्जवल निकम से हर्षवर्धन श्रृंगला तक: राज्यसभा के इन 4 नए नामों ने क्यों बटोरी सुर्खियाँ?
देखा जाए तो भारतीय राजनीति में एक दिलचस्प मोड़ आया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए चार नए सदस्य चुने हैं – और ये कोई आम नाम नहीं हैं। असल में, संविधान का अनुच्छेद 80 राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वे समाज के अलग-अलग क्षेत्रों से विशेषज्ञों को चुन सकें। इस बार? कानून, शिक्षा, विदेश नीति और इतिहास के दिग्गजों का एक जबरदस्त कॉम्बिनेशन।
अब सवाल यह है कि यह प्रक्रिया इतनी खास क्यों है? दरअसल, यह हमारे लोकतंत्र की वह अनूठी बात है जहाँ संसद में सिर्फ नेताओं को ही नहीं, बल्कि असली विशेषज्ञों को भी आवाज़ मिलती है। पिछली बार 2022 में भी हमने ऐसा ही कुछ देखा था, जब राम शकल और सोनल मानसिंह जैसी हस्तियाँ चुनी गई थीं। और इस बार? सरकार ने जानबूझकर विविधता पर जोर दिया है। सच कहूँ तो, यह एक स्मार्ट मूव लगती है।
ये हैं राज्यसभा के नए चेहरे – पर क्यों?
सबसे पहले बात उज्ज्वल निकम की। Supreme Court के इस दिग्गज वकील को तो आपने TV पर संवैधानिक मामलों पर बहस करते जरूर देखा होगा। उनका चुनाव? एकदम सही फिट। फिर है केरल के सी. सदानंदन मास्टर – जिन्हें शिक्षा के मैदान में उनके काम के लिए जाना जाता है। Social work वालों के लिए तो यह खुशखबरी से कम नहीं!
लेकिन सबसे दिलचस्प नाम शायद हर्षवर्धन श्रृंगला का है। भारत के पूर्व foreign secretary के तौर पर उनका अनुभव… वाह! अंतरराष्ट्रीय मामलों पर संसद में अब कुछ तीखी बहस देखने को मिलेगी। और हाँ, डॉ. मीनाक्षी जैन को कौन नहीं जानता? इतिहास की यह जानी-मानी विद्वान अपने शोध के लिए मशहूर हैं। सच कहूँ तो, यह टीम किसी सुपरस्टार क्रिकेट टीम से कम नहीं लगती!
क्या कह रहा है राजनीतिक गलियारा?
अब ज़ाहिर है, ऐसे बड़े फैसले पर अलग-अलग राय आना लाज़मी है। सरकार की तरफ से तो खुशी का माहौल है – एक मंत्री जी तो इसे “राष्ट्रीय गर्व का क्षण” बता रहे हैं। लेकिन… हमेशा की तरह विपक्ष के कुछ सवाल भी हैं। कुछ लोगों को लगता है कि यहाँ राजनीतिक पसंद-नापसंद का रंग चढ़ा हो सकता है। हालाँकि, सी. सदानंदन मास्टर का चुनाव तो सचमुच सबको भा गया लगता है।
आगे क्या? कुछ दिलचस्प संभावनाएँ
अब इन चारों को जल्द ही राज्यसभा की सदस्यता लेनी होगी। और मेरी निजी राय? यह गेम-चेंजर साबित हो सकता है। उज्ज्वल निकम जैसे कानूनी दिग्गज संवैधानिक बहसों को नया मोड़ देंगे। श्रृंगला साहब की मौजूदगी में विदेश नीति पर चर्चाएँ और भी रोमांचक होंगी। और policy making में? इतिहास और शिक्षा के ये नए आयाम निश्चित ही ताज़गी लाएँगे।
आखिर में, यह फैसला सिर्फ नामांकन से कहीं आगे की बात है। यह दिखाता है कि हमारा लोकतंत्र कितना जीवंत और समावेशी है। अगले छह साल? देखते हैं ये नए सदस्य संसद में कैसा तूफान लाते हैं। एक बात तो तय है – राज्यसभा की बहसें अब और भी दिलचस्प होने वाली हैं!
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उज्जवल निकम से हर्षवर्धन श्रृंगला तक: राज्यसभा के 4 नामित सदस्यों पर चर्चा
अभी तक आपने खबरों में सुना ही होगा – राज्यसभा के लिए 4 नए नामित सदस्य! लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये चुनिंदा लोग कौन हैं और उनका चयन क्यों हुआ? चलिए, एक कप चाय के साथ इस पर बात करते हैं।
1. ये चार नाम कौन-कौन से हैं और इनका background क्या है?
देखिए, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जिन चार हस्तियों को चुना है, वे हैं – उज्जवल निकम (industrialist), हर्षवर्धन श्रृंगला (पूर्व diplomat), सुधा मूर्ति (जानी-मानी social worker), और आर. चंद्रशेखर (विज्ञान के field में नाम कमाने वाले)। है न दिलचस्प combination? Business, diplomacy, social work और science – चारों fields से एक-एक expert!
2. भईया, कोई भी तो राज्यसभा के लिए नामित नहीं हो सकता? क्या conditions होती हैं?
अरे भाई, यह तो कोई लॉटरी नहीं है! सच कहूं तो काफी strict criteria हैं:
• भारतीय नागरिक होना must है
• उम्र कम से कम 30 साल तो होनी ही चाहिए
• सबसे important – आपको कला, साहित्य, समाज सेवा जैसे क्षेत्रों में खास योगदान दिया हो
यानी कि आपके पास सिर्फ पैसा या पावर नहीं, बल्कि real expertise होनी चाहिए। वैसे, क्या आपको नहीं लगता कि यह सही approach है?
3. सुनो, क्या ये नामित सदस्य voting में भाग ले सकते हैं?
अच्छा सवाल पूछा! तो जनाब, हां तो ये vote कर सकते हैं… लेकिन हर मामले में नहीं। Normal bills पर तो इनका vote वैसा ही मान्य होता है जैसे किसी elected member का। पर constitutional amendments या राष्ट्रपति चुनाव जैसे मामलों में? नहीं भई, वहां इनकी भूमिका limited हो जाती है। थोड़ा अजीब लगता है न?
4. सुधा मूर्ति के बारे में ज़्यादा जानकारी दो भाई
अरे, सुधा जी तो हमारे देश की pride हैं! Infosys Foundation के through इन्होंने education और healthcare के क्षेत्र में कमाल का काम किया है। सच पूछो तो इनकी कहानियां तो हम सबने बचपन में पढ़ी हैं। पद्मश्री सम्मान तो बस एक formal recognition है, असली सम्मान तो जनता के दिलों में है इनके लिए।
एक बात और – क्या आप जानते हैं कि ये Infosys के co-founder नारायण मूर्ति की wife भी हैं? पर इन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। सच में inspirational है न?
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com