35,000 से ज़्यादा यूक्रेनी बच्चे गायब: क्या ये रूस का ‘रूसीकरण’ खेल है?
रूस-यूक्रेन की इस जंग ने जहाँ लाखों लोगों को बेघर किया, वहीं एक और डरावनी हकीकत सामने आई है। सोचिए, 35,000 से भी ज़्यादा बच्चे अचानक अपने घरों से गायब हो जाएँ! ये वो बच्चे हैं जिन्हें या तो युद्ध के बीच से उठा लिया गया, या फिर Crimea की स्कूल ट्रिप के नाम पर ले जाया गया – और फिर? फिर कभी वापस नहीं आए। अब ये बच्चे रूसी परिवारों के साथ रह रहे हैं, जहाँ उन पर रूसी भाषा, संस्कृति और यहाँ तक कि नागरिकता भी जबरन थोपी जा रही है। ये सिर्फ एक युद्ध नहीं, बल्कि एक पूरी पीढ़ी की पहचान को मिटाने की कोशिश जैसा लगता है।
पूरा माजरा क्या है?
असल में, यूक्रेन और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों का कहना है कि ये कोई संयोग नहीं, बल्कि रूस का प्लान्ड “Russification” प्रोग्राम है। कुछ बच्चों को तो सीधे orphanages से उठाया गया – ‘बचाव’ के नाम पर। कुछ के माता-पिता को स्कूल ट्रिप का झांसा देकर भेजा गया। रूस का दावा है कि ये सब “humanitarian aid” है, लेकिन सच क्या है? सच ये है कि इन बच्चों की जड़ें काटी जा रही हैं। उन्हें उनके नाम, उनकी भाषा, उनकी यादों से जबरन दूर किया जा रहा है। ये सिर्फ एक युद्ध अपराध नहीं, बल्कि इंसानियत के खिलाफ जुर्म है।
दुनिया की क्या प्रतिक्रिया है?
इस मामले ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया है। International Criminal Court (ICC) ने तो सीधे रूसी राष्ट्रपति Vladimir Putin के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट तक जारी कर दिया! पर सच्चाई ये है कि अब तक सिर्फ 400 बच्चे ही वापस आ पाए हैं – जो कुल संख्या के सामने बूँद भर नहीं। United Nations से लेकर European Union तक सभी रूस की आलोचना कर रहे हैं, लेकिन क्या ये काफी है? सवाल तो ये है कि क्या दबाव बनाने से कुछ होगा?
कौन क्या कह रहा है?
यूक्रेन के राष्ट्रपति Volodymyr Zelenskyy तो इसे “सभ्यता के खिलाफ जुर्म” बता रहे हैं। उनका कहना है कि “रूस हमारे भविष्य को मिटाने पर तुला है।” वहीं रूस की कहानी अलग है – वो कहते हैं कि वो तो बच्चों को युद्ध से बचा रहे हैं! पर सच? सच ये है कि United Nations के human rights chief ने साफ कहा है – “बच्चों का जबरन विस्थापन war crime है।” बात साफ है, लेकिन कार्रवाई कब होगी?
आगे क्या होगा?
अब सबसे बड़ा सवाल – आगे का रास्ता क्या है? यूक्रेन कोशिश कर रहा है कि ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों को वापस लाया जाए। ICC का केस रूस के लिए नए प्रतिबंध ला सकता है। पर सबसे डरावना सवाल तो ये है कि अगर ये सब चलता रहा, तो क्या यूक्रेनी बच्चों की पहचान हमेशा के लिए मिट जाएगी? क्या वो दिन आएगा जब ये बच्चे खुद को यूक्रेनी कहलाने से भी हिचकिचाएँगे?
एक बात तो तय है – ये सिर्फ युद्ध नहीं, बल्कि इंसानियत के खिलाफ एक बड़ा अपराध है। जब तक दुनिया एक साथ खड़ी नहीं होती, तब तक ये बच्चे शायद ही कभी अपना घर वापस पा सकें। वक्त है कि हम सब आवाज़ उठाएँ, क्योंकि आज ये यूक्रेन के बच्चे हैं, कल किसी और के हो सकते हैं।
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अरे भाई, ये जो यूक्रेन-रूस वाला मामला है न, उसमें सबसे दिल दहलाने वाली बात ये बच्चों का मुद्दा है। आपने भी सुना होगा, लेकिन असलियत क्या है? चलिए बात करते हैं…
1. यूक्रेनी बच्चों के साथ क्या हो रहा है?
देखिए, रूस का दावा है कि वो यूक्रेनी बच्चों को ‘बचा’ रहा है। पर सच्चाई? बच्चों को उनके घरों से उठाकर रूस भेजा जा रहा है। वहां उन्हें रूसी भाषा, रूसी इतिहास पढ़ाया जा रहा है। ये उतना ही अजीब है जैसे कोई आपके बच्चे को उठाकर ले जाए और कहे कि “अब तुम मेरी संस्कृति अपनाओगे”। है ना गलत?
2. क्या ये सब कानूनी है?
ईमानदारी से कहूं तो – बिल्कुल नहीं! UN से लेकर Amnesty International तक सब इस पर एकमत हैं। ये एक तरह का war crime ही है। सोचिए, अगर कोई आपके बच्चे को जबरदस्ती उठा ले तो? पर अफसोस, रूस पर इसका कोई असर नहीं हो रहा।
3. क्या कोई इन बच्चों को वापस लाने की कोशिश कर रहा है?
यूक्रेन तो पूरी कोशिश कर रहा है। पर समस्या ये है कि process इतना complicated है… और रूस की तरफ से zero cooperation। कुछ cases में तो बच्चों को adopt भी कर लिया गया है। सच में, ये पूरा मामला बेहद परेशान करने वाला है।
4. असल में ये ‘रूसीकरण’ है क्या?
इसे ऐसे समझिए – ये एक तरह की cultural washing है। बच्चों को यूक्रेनी identity से काटकर रूसी बनाने की कोशिश। long-term game है ये। अगर एक पूरी पीढ़ी को अपना ही बना लो तो future में control करना आसान हो जाता है। Smart तो है, पर बेहद cruel भी।
तो ये थी इस पूरे मामले की असलियत। क्या सोचते हैं आप? क्या ऐसा करना सही है? मुझे तो लगता है इंसानियत के खिलाफ है ये सब। पर आपकी क्या राय है?
Source: NY Post – World News | Secondary News Source: Pulsivic.com