“यूपी की शहजादी को फांसी और निमिषा केस: प्रवासी भारतीयों की जिंदगी क्यों हो रही नाजुक?”

यूपी की शहजादी से लेकर निमिषा केस तक: विदेशों में भारतीयों की ज़िंदगी इतनी नाज़ुक क्यों?

असल में बात ये है कि विदेश में काम करने वाले भारतीयों की कहानी हमेशा से ही ‘दो तलवारों की धार पर चलने’ जैसी रही है। हाल ही में यमन में निमिषा प्रिया को मिली फांसी की सजा ने फिर से ये सवाल खड़ा कर दिया है – क्या हमारे प्रवासी भारतीय सच में सुरक्षित हैं? निमिषा पर एक स्थानीय व्यक्ति की हत्या का आरोप है, हालांकि उनका कहना है कि ये एक दुर्घटना थी। ठीक वैसे ही जैसे कुछ महीने पहले यूपी की शहजादी बानो को कतर में फांसी की सजा सुनाई गई थी। सच कहूं तो, ये दोनों मामले दिखाते हैं कि विदेशी कानूनी व्यवस्था में फंसे भारतीयों के लिए न्याय पाना कितना मुश्किल होता है।

पूरा माजरा क्या है? जानिए पूरी कहानी

देखिए, निमिषा का केस थोड़ा पेचीदा है। वो यमन में नर्स थीं और एक स्थानीय व्यक्ति से हुई झड़प में उसकी मौत हो गई। अब यमन के कानून के मुताबिक उन्हें फांसी की सजा मिली है। लेकिन क्या ये सच में न्याय है? वहीं दूसरी तरफ शहजादी बानो का मामला कुछ बेहतर रहा – भारत सरकार की कोशिशों से उनकी सजा माफ हो गई। पर सवाल तो ये है कि हर केस में ऐसा होगा क्या? विदेश में काम करने वाले हर भारतीय के साथ तो सरकार नहीं खड़ी हो सकती ना!

अभी तक क्या हुआ? लेटेस्ट अपडेट

निमिषा केस में अभी तक क्या चल रहा है? तो सुनिए – भारत सरकार ने यमन सरकार से बातचीत शुरू कर दी है। साथ ही blood money के लिए क्राउडफंडिंग भी चल रही है। लेकिन यहां एक बड़ी अड़चन है – यमन के कानून के मुताबिक पीड़ित परिवार की मंजूरी ज़रूरी है। शहजादी बानो वाले केस में तो सरकार की कोशिश कामयाब रही, लेकिन निमिषा का मामला अभी भी हवा में लटका हुआ है। सच तो ये है कि ऐसे मामलों में कूटनीति और कानूनी प्रक्रिया का तालमेल बेहद ज़रूरी होता है।

लोग क्या कह रहे हैं? जनता की राय

निमिषा के परिवार की हालत तो आप समझ ही सकते हैं। वो लगातार भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। उनका कहना है कि निमिषा बिल्कुल निर्दोष है। वहीं विदेश मंत्रालय का कहना है कि वो पूरी कोशिश कर रहे हैं। मानवाधिकार संगठनों ने तो सीधे सवाल खड़ा कर दिया है – क्या प्रवासी भारतीयों के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनेगी? सच तो ये है कि ऐसे मामलों में सरकार को और तेज़ी दिखाने की ज़रूरत है।

आगे क्या होगा? भविष्य पर असर

अगर निमिषा को रिहाई नहीं मिली तो? ये सिर्फ़ एक केस नहीं रहेगा, बल्कि भारत-यमन रिश्तों पर भी असर डालेगा। असल में समस्या ये है कि हमारे पास प्रवासी भारतीयों के लिए कोई मज़बूत कानूनी सिस्टम नहीं है। और सबसे बड़ा सवाल – क्या blood money जैसी प्रथाओं को लेकर कोई गाइडलाइन बनेगी? बात साफ़ है, इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने का वक्त आ गया है।

तो फिर हल क्या है? आखिरी बात

सच तो ये है कि अभी के लिए तो कानूनी लड़ाई और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है। लेकिन लंबे समय के लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मज़बूत कानूनी सहायता और बेहतर कूटनीति की ज़रूरत है। वरना… ऐसे मामले बस बढ़ते ही जाएंगे। और ये किसी के हित में नहीं होगा। सच कहूं तो!

यह भी पढ़ें:

यूपी की शहजादी को फांसी और निमिषा केस: प्रवासी भारतीयों की ज़िंदगी में क्यों आ रही हैं दिक्कतें? – वो सवाल जो आप पूछना चाहते हैं

1. यूपी की शहजादी और निमिषा केस में क्या लिंक है? समझते हैं…

देखिए, दोनों ही मामले एक ही दर्द की तरफ इशारा करते हैं – विदेश में बसे भारतीयों की सुरक्षा का सवाल। शहजादी वाला केस तो वाकई हैरान करने वाला था – एक NRI लड़की को फांसी? वहीं निमिषा केस में एक भारतीय महिला की रहस्यमय मौत। है ना दिल दहला देने वाली बात? असल में, दोनों ही केस बता रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों की जटिलता और न्याय प्रणाली की धीमी रफ्तार कैसे प्रवासियों की मुश्किलें बढ़ा रही है।

2. विदेश में रह रहे भारतीयों को आखिर किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है?

ईमानदारी से कहूं तो… लिस्ट बहुत लंबी है। एक तरफ तो cultural differences का झंझट, दूसरी तरफ local laws की कम जानकारी। और तो और, racism जैसी चीजें तो अक्सर सुनने को मिल ही जाती हैं। सबसे बड़ी बात? कभी-कभी तो अपने ही देश की सरकार से वो सपोर्ट नहीं मिल पाता जिसकी उम्मीद होती है। इन केसों में देखा ही न, कितनी मशक्कत के बाद कहीं जाकर न्याय मिला।

3. क्या सरकार कुछ कर रही है? या सिर्फ बातों ही बातों में उलझे रह जाएंगे?

अच्छा सवाल पूछा! हां, कुछ कोशिशें तो हो रही हैं – जैसे MEA ने MADAD portal बनाया है, 24×7 हेल्पलाइन चला रखी है। Indian embassies भी मदद के लिए तैयार रहती हैं। पर सच बताऊं? अभी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है। जैसे मेरे एक दोस्त ने कहा था – “यार, हेल्पलाइन पर कॉल करो तो response time इतना slow कि problem solve होने से पहले patience खत्म!”

4. तो फिर सावधानी बरतनी चाहिए? कुछ practical tips बताइए!

बिल्कुल! थोड़ी सी स्मार्टनेस दिखानी पड़ेगी। पहली बात तो ये कि जहां जा रहे हैं, वहां के local laws की पूरी जानकारी ले लो – YouTube videos देख लो, community groups join कर लो। Indian embassy का contact नंबर phone में save करके रखो – ये उतना ही ज़रूरी है जितना कि passport रखना। Legal documents के backup तो बनाने ही चाहिए। और हां, emergency में social media भी बड़ी मददगार साबित हो सकती है – ट्विटर पर टैग करो, फेसबुक ग्रुप्स में पोस्ट डालो। थोड़ी सी तैयारी… बहुत सारी मुसीबतों से बचा सकती है।

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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