अमेरिका का टैरिफ बम और चीन का गुस्सा: क्या ये नए विश्व युद्ध की शुरुआत है?
अरे भाई, इस हफ्ते तो अंतरराष्ट्रीय राजनीति में धमाल मचा हुआ है! एक तरफ अमेरिका ने जापान और साउथ कोरिया पर टैरिफ की बमबारी कर दी, तो दूसरी तरफ चीन दलाई लामा के जन्मदिन पर बधाई देने वालों को लेकर आग बबूला हो रहा है। सच कहूं तो, ये दोनों मामले सिर्फ कूटनीति नहीं, बल्कि आने वाले समय के लिए बड़े भूचाल ला सकते हैं।
कहानी की जड़ें: पुराने घाव, नए निशान
अमेरिका और एशिया का ट्रेड वॉर तो कोई नई बात नहीं – लेकिन इस बार ट्रंप सरकार ने जो किया, वो किसी सदमे से कम नहीं! स्टील और ऑटोमोबाइल्स पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ? ये तो वैसा ही है जैसे कोई दोस्त के घर जाकर उसके फ्रिज से सारा खाना उठा ले। और हां, ये सब ‘अमेरिका फर्स्ट’ के नाम पर हो रहा है – जिसका मतलब साफ है: “हमें बाकियों की परवाह नहीं!”
और चीन वाला मामला? अरे भई, वो तो हमेशा से ही दलाई लामा को लेकर सेंसिटिव रहा है। उनके लिए तो ये साधु नहीं, बल्कि एक खतरनाक अलगाववादी हैं। जब कई देशों के नेताओं ने दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई भेजी, तो चीन का रिएक्शन ऐसा था जैसे किसी ने उनके बगीचे में घुसकर फूल तोड़ दिए हों!
ताजा हालात: बाजार गिरे, तनाव चढ़े
अमेरिका के इस कदम का असर तुरंत दिखा – एशियाई शेयर मार्केट लाल निशान में तैरने लगे। सोचो जरा, जापान और साउथ कोरिया तो टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग के दिल हैं। अगर यहां ऐसा झटका लगेगा, तो पूरी दुनिया की सप्लाई चेन डगमगाएगी न? मतलब साफ है – आपके नए स्मार्टफोन की कीमत भी बढ़ सकती है!
और दलाई लामा वाले मामले में? भारत समेत कई देशों ने बधाई दी, जिस पर चीन का विदेश मंत्रालय बिल्कुल गरम हो गया। उनका कहना है कि ये उनकी “संप्रभुता पर हमला” है। सच कहूं तो, चीन का ये रुख नया नहीं – लेकिन इस बार जोश जरूर ज्यादा दिख रहा है।
दुनिया क्या कह रही है?
जापान और साउथ कोरिया तो बिल्कुल नाराज हैं! WTO में शिकायत दर्ज कराने की बात कर रहे हैं। साउथ कोरियाई ट्रेड मिनिस्टर ने तो यहां तक कह दिया कि ये “ट्रेड वॉर की शुरुआत” है। अब सवाल यह है कि क्या अमेरिका पीछे हटेगा, या फिर और सख्त होगा?
भारत ने इस मामले में थोड़ा सॉफ्ट स्टैंड लिया है। हमारा कहना है कि आध्यात्मिक नेता को बधाई देना तो सांस्कृतिक परंपरा है। लेकिन चीन को ये बात पच नहीं रही – उन्होंने साफ कर दिया है कि तिब्बत पर कोई बहस नहीं चलेगी।
आगे क्या होगा?
देखिए, ये टैरिफ वाला मामला तो बिल्कुल गर्म होने वाला है। एक्सपर्ट्स की मानें तो WTO में बड़ी बहस छिड़ सकती है। और अगर अमेरिका नहीं मानेगा, तो क्या एशियाई देश भी कोई जवाबी कार्रवाई करेंगे? ये तो वक्त ही बताएगा।
तिब्बत मुद्दे पर चीन अपने रुख से टस से मस नहीं होगा – ये तो तय है। इससे भारत-चीन रिश्तों में नया तनाव आ सकता है। UN जैसे मंचों पर ये मुद्दा गरमा सकता है।
सच तो ये है कि ये दोनों घटनाएं सिर्फ खबरें नहीं, बल्कि उस बड़े बदलाव का संकेत हैं जो वैश्विक राजनीति में आने वाला है। अब देखना ये है कि ये सब किस दिशा में जाता है – शांति की तरफ, या फिर नए संघर्ष की ओर?
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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com