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अमेरिकी ट्रेजरी ने कांग्रेस से मांगा बड़ा बदलाव! ट्रंप बिल में शामिल इस कर नीति को हटाने की अपील

अमेरिकी ट्रेजरी का बड़ा मूव! ट्रंप बिल की इस कर नीति को हटाने की मांग

क्या हुआ है?

अमेरिकी ट्रेजरी ने कांग्रेस के सामने एक बड़ी डिमांड रखी है। उनका कहना है कि ट्रंप के समय में बनी Pillar 2 कर नीति को हटाया जाए। ये कदम G7 देशों के साथ हुए नए डील के बाद उठाया गया है, जिसका मकसद अमेरिकी कंपनियों पर पड़ने वाले एक्स्ट्रा टैक्स को रोकना है। investment expert स्कॉट बेसेंट ने तो यहां तक कह दिया कि ये नीति अमेरिकी बिजनेस के लिए बुरी खबर साबित हो सकती है।

G7 डील और Pillar 2 की पूरी कहानी

G7 ने क्या तय किया?

G7 (अमेरिका समेत कनाडा, जापान और चार यूरोपीय देश) ने ग्लोबल टैक्स सिस्टम में बड़े बदलाव पर सहमति जताई है। इसमें दो मुख्य बिंदु हैं – Pillar 1 और Pillar 2। पहला बड़ी multinational कंपनियों पर टैक्स का फेयर डिस्ट्रीब्यूशन सुनिश्चित करेगा, जबकि दूसरा ग्लोबल मिनिमम टैक्स 15% लागू करने की बात करता है।

Pillar 2 असल में है क्या?

इसके तहत हर देश को multinational कंपनियों पर कम से कम 15% टैक्स लगाना होगा। मकसद है टैक्स चोरी रोकना और पारदर्शिता लाना। लेकिन अमेरिकी ट्रेजरी को लगता है कि ये उनकी कंपनियों को इंटरनेशनल मार्केट में पीछे धकेल देगा।

अमेरिका क्यों कर रहा है ये मांग?

ट्रंप बिल की खासियत

ट्रंप के समय में बनी इस टैक्स पॉलिसी में कुछ ऐसे फायदे थे जो अमेरिकी कंपनियों को लो टैक्स वाले देशों में प्रॉफिट कमाने देते थे। अब ये G7 के नए Pillar 2 से टकरा रहा है, जो ऐसी प्रैक्टिस को रोकना चाहता है।

Experts की राय

स्कॉट बेसेंट जैसे investment experts मानते हैं कि ये नई नीति अमेरिकी कंपनियों को कॉम्पिटिशन में पिछड़ा देगी। उनका कहना है कि इससे अमेरिकन बिजनेस पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा जबकि दूसरे देशों की कंपनियों को फायदा मिलेगा।

आगे क्या हो सकता है?

कांग्रेस क्या करेगी?

इस मुद्दे पर डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स में टकराव देखने को मिल सकता है। डेमोक्रेट्स ग्लोबल टैक्स रिफॉर्म का सपोर्ट कर सकते हैं, जबकि रिपब्लिकन्स अमेरिकन कंपनियों के हितों को आगे रखेंगे। फिलहाल तो ये पूरा मामला अंडर डिस्कशन है।

दुनिया क्या कहेगी?

G7 देशों ने तो इस डील को लेकर खुशी जताई थी, लेकिन अमेरिका के इस नए मूव के बाद उनकी प्रतिक्रिया देखने लायक होगी। OECD जैसी इंटरनेशनल बॉडीज भी इसमें दखल दे सकती हैं।

हमारी राय

ये मामला सिर्फ टैक्स पॉलिसी से आगे बढ़कर अमेरिका की ग्लोबल इकोनॉमी में भूमिका पर बहस छेड़ सकता है। अगर कांग्रेस इसे मान लेती है, तो इसका असर पूरी दुनिया के टैक्स सिस्टम पर पड़ेगा। हमारी सलाह है – इस मुद्दे पर नजर बनाए रखें, क्योंकि आने वाले दिनों में और ट्विस्ट आ सकते हैं!

Source: Financial Times – Global Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com

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