जमुई में वोटर लिस्ट पर जलेबी! सरकारी कागजात देवघर में मिलने से मचा हड़कंप
अरे भई, बिहार में चुनावी गर्माहट चल रही है और बीच में ही एक ऐसी हंसी-मजाक वाली घटना हो गई कि सारे नेता और अफसरों की नींद उड़ गई। सोचो, जमुई के वोटर वेरिफिकेशन फॉर्म झारखंड के देवघर में… वो भी एक जलेबी की दुकान पर! ये कोई फिल्मी प्लॉट तो नहीं, लेकिन सच्चाई यही है। असल में, ये कागजात इतने संवेदनशील होते हैं कि इन पर ताला लगाकर रखना चाहिए, लेकिन ये 200 किलोमीटर दूर मिठाई की दुकान तक कैसे पहुंच गए? है ना हैरान कर देने वाली बात?
पूरा माजरा क्या है?
कहानी शुरू होती है देवघर के एक आम आदमी से। वो जलेबी खाने गया था या क्या… खैर, उसने देखा कि कुछ कागजात इधर-उधर बिखरे पड़े हैं। जब उसने ध्यान से देखा तो पता चला – अरे ये तो जमुई के वोटर फॉर्म हैं! उन पर लोगों के नाम, पते, सब कुछ लिखा था। स्थानीय लोगों ने तुरंत अधिकारियों को खबर कर दी। और फिर? फिर तो जैसे तूफान आ गया। पता चला कि ये सारे फॉर्म online डाउनलोड किए गए थे और किसी ने यहां फेंक दिए। सच में, क्या हमारे सरकारी दस्तावेजों की यही हालत है?
अफसरों का जवाब – ‘गलती हमारी नहीं!’
जमुई के DM साहब ने तो सीधे कह दिया – “ये सब बेबुनियाद बातें हैं।” उनका कहना है कि ये फॉर्म online उपलब्ध थे और किसी ने गलत तरीके से इस्तेमाल किया। लेकिन सुनने वाले कहां मानने वाले थे? RJD और Congress वाले तो मानो जैसे छापामारी करने पर उतारू हो गए। स्थानीय लोग भी बहुत नाराज हैं – भई, वोटर लिस्ट की सुरक्षा का सवाल है ना? ईमानदारी से कहूं तो, DM साहब का बयान किसी को भी संतुष्ट नहीं कर पाया।
चुनाव आयोग ने क्या किया?
इस मामले को देखते हुए चुनाव आयोग ने तुरंत जांच शुरू कर दी है। कहा जा रहा है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। मेरे हिसाब से तो, इस घटना के बाद वोटर लिस्ट की सुरक्षा के नए नियम बनने चाहिए। क्योंकि ये सिर्फ कागजात गुम होने की बात नहीं है, ये तो data privacy का बड़ा मुद्दा है। सोचो, अगर कोई इन डिटेल्स का गलत इस्तेमाल करे तो?
राजनीति गरमाने वाला है मामला
देखा जाए तो ये मामला अब राजनीतिक रंग ले सकता है। विपक्षी दल तो मानो इस मुद्दे को लेकर चुनावी रैलियों में धमाल मचा देंगे। और सरकार के लिए? नई मुसीबतें खड़ी हो सकती हैं। प्रशासन पर अब ये साबित करने का दबाव है कि ये उनकी लापरवाही नहीं थी। सच कहूं तो, ये पूरा मामला एक बार फिर चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर देता है। अब देखना ये है कि आगे क्या होता है – कागजात वापस मिलेंगे या फिर ये मामला भी फाइलों में दब जाएगा?
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जमुई वोटर लिस्ट और देवघर कागजात विवाद – जानिए पूरा माजरा!
1. जमुई में वोटर लिस्ट में ‘जलेबी’ कैसे आया? सच में?
अरे भई, ये तो बड़ा मजेदार मामला है! सोचिए, आप वोटर लिस्ट चेक करने जाते हैं और वहाँ… जलेबी? हाँ हाँ, बिल्कुल वही मीठी घेरेदार जलेबी! असल में, ये कोई technical गड़बड़ी लगती है, लेकिन इतनी अजीबोगरीब कि लोगों के होश उड़ गए। Election Commission वाले भी शायद पहली बार ऐसा कुछ देख रहे होंगे। अब जाँच चल रही है, देखते हैं क्या पता चलता है।
2. देवघर में सरकारी कागजात क्यों मिले? गलती या गड़बड़ी?
तो ये कहानी और भी दिलचस्प हो जाती है। जमुई के documents देवघर में? ऐसा कैसे हो सकता है भला? ये तो वैसा ही है जैसे आपका राशन कार्ड पड़ोस के शहर में मिल जाए! लोगों को तो सहज ही शक हो रहा है – कहीं कोई खेल तो नहीं चल रहा? Authorities ने जाँच शुरू कर दी है, लेकिन सच क्या है, ये तो वक्त ही बताएगा।
3. क्या यह मामला वोटर लिस्ट में धांधली से जुड़ा है? सच्चाई क्या है?
अब यहाँ बात थोड़ी गंभीर हो जाती है। Opposition वाले तो मानो मौके की तलाश में ही बैठे हैं – उनका कहना है कि ये सब संयोग नहीं हो सकता। वहीं Election Commission का कहना है कि ये clerical mistake हो सकती है। पर सवाल यह है कि – एक ही समय पर दो अलग-अलग जगहों पर ऐसी ‘गलतियाँ’? थोड़ा तो शक होता ही है ना?
4. आम voters के लिए क्या करने का रास्ता है? समझिए
देखिए, हम जैसे आम लोगों के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि अपना नाम वोटर लिस्ट में चेक कर लें। अगर कुछ गड़बड़ लगे – चाहे जलेबी लिखा हो या कोई और गलती – तुरंत local election office में शिकायत करें। वैसे online भी आप voter list verify कर सकते हैं, बस कुछ ही clicks में। याद रखिए, हमारा वोट ही हमारी ताकत है – इसे सुरक्षित रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।
एक बात और – अगर आपको लगता है कि ये सब बस छोटी-मोटी गलतियाँ हैं, तो फिर से सोचिए। जब democracy की बात हो, तो हर छोटी चीज मायने रखती है। है ना?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com