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अहमदाबाद प्लेन क्रैश: क्या पायलटों की गलती या तकनीकी खराबी थी 260 मौतों की वजह? जांच रिपोर्ट से खुलासा!

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अहमदाबाद प्लेन क्रैश: जांच ने क्या बताया? पायलट की गलती या फिर मशीन ने धोखा दिया?

12 जून की सुबह… वो सुबह जिसे अहमदाबाद एयरपोर्ट कभी नहीं भूल पाएगा। एयर इंडिया की फ्लाइट एआई-171 ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी, मगर क्या किसी ने सोचा था कि महज 7 मिनट बाद ये उड़ान इतनी बड़ी त्रासदी में बदल जाएगी? 260 लोगों की जान चली गई – पूरा देश सन्न। और अब जांच रिपोर्ट में जो सामने आया है, वो और भी चौंकाने वाला है। विमान के दोनों इंजनों को ईंधन मिलना बंद हो गया था! ये कैसे हुआ? क्या ये सच में तकनीकी खराबी थी या फिर कोई गलती…?

क्या हुआ था उस दिन?

सुबह के 6:15 बजे… नॉर्मल टेकऑफ, सब कुछ ठीक लग रहा था। लेकिन फिर? अचानक से दोनों इंजन फेल! आप सोच रहे होंगे – “भई, ऐसा कैसे हो सकता है?” मैं भी यही सोच रहा था। असल में, एयर इंडिया के साथ पहले भी छोटी-मोटी तकनीकी दिक्कतें होती रही हैं, पर इतना बड़ा हादसा? पहली बार। विमानन एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये केस भारतीय एविएशन सेक्टर के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। सवाल सुरक्षा का, जवाबदेही का।

जांच में क्या निकलकर आया?

अब ये पढ़कर आपकी रूह काँप जाएगी – विमान को ईंधन ही नहीं मिल रहा था! ऐसा कैसे हो सकता है? ब्लैक बॉक्स की रिपोर्ट बताती है कि पायलट्स ने तुरंत एयर ट्रैफिक कंट्रोल को आपात स्थिति के बारे में बताया था, मगर… मगर वापस लौटने का वक्त ही नहीं बचा था। और सबसे हैरान करने वाली बात? विमान में कुछ ऐसी तकनीकी खामियाँ थीं जिन्हें रेगुलर मेन्टेनेंस में पकड़ा जाना चाहिए था। पर नहीं पकड़ा गया। क्यों? यही तो सवाल है!

किसको दोष दें?

देश भर में अब यही बहस चल रही है। एयर इंडिया वाले कह रहे हैं – “हम जांच कर रहे हैं…” पर जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, उनका गुस्सा तो समझ आता है। एक शोकाकुल परिजन का सीधा सवाल – “क्या हमारे प्यारों की कीमत पर सबक सीखा जाएगा?” विमानन एक्सपर्ट्स की राय साफ है – अगर टाइम पर मेन्टेनेंस होता, शायद ये दुर्घटना टल जाती। पर हो गया जो हो गया। अब सवाल ये है कि आगे क्या?

अब क्या होगा?

इस घटना के बाद तो बड़े बदलाव आने ही वाले हैं। सुरक्षा मानकों को और सख्त बनाने की बात चल रही है। कानूनी कार्रवाई की भी बात है – पायलट्स के खिलाफ, एयरलाइन मैनेजमेंट के खिलाफ। पर सच तो ये है कि अब जो होगा वो उन 260 लोगों को वापस नहीं ला सकता। हाँ, एक बात तय है – भारतीय एविएशन सेक्टर को अब पूरी तरह से ओवरहॉल करने की जरूरत है। वरना… वरना ऐसी घटनाएँ फिर हो सकती हैं। और ये हम में से किसी के साथ भी हो सकता है। डरावना सच।

अंत में बस इतना कहूँगा – ये हादसा हमें सिखाता है कि लापरवाही की कीमत कितनी भारी हो सकती है। जांच पूरी होने के बाद ही पता चलेगा कि ये मानवीय भूल थी या सिस्टम की फेल्योर। पर एक बात तो तय है – “ऐसा दोबारा न हो”, ये सुनिश्चित करना अब हम सभी की जिम्मेदारी है।

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अहमदाबाद विमान हादसे की जांच रिपोर्ट आई तो सच में दिल दहल गया। 260 लोगों की जिंदगी का सवाल है भाई – यूँ ही तो नहीं हो जाते ऐसे हादसे। अब सवाल यह है कि आखिर गलती कहाँ हुई? पायलट्स की Training में कमी रही, या फिर कोई तकनीकी खामी? असल में, दोनों ही मामलों में Aviation Safety के मौजूदा मानकों पर सवाल उठते हैं।

मैं तो यही कहूँगा कि अब बस बातें करने का वक्त नहीं, एक्शन लेने का वक्त है। Training और नियम – ये दोनों ही चीजें उतनी ही जरूरी हैं जितना कि किसी फ्लाइट में ऑक्सीजन मास्क। थोड़ा सा भी कोम्प्रोमाइज और नतीजा सामने है। हालांकि, सिर्फ नियम बना देने से काम नहीं चलेगा – इम्प्लीमेंटेशन पर भी ध्यान देना होगा। वरना कागजों में तो हम दुनिया की सबसे सुरक्षित एविएशन व्यवस्था बना चुके हैं!

एक बात और – सिर्फ पायलट्स को ही नहीं, पूरे एविएशन इकोसिस्टम को मजबूत करना होगा। मैंटेनेंस से लेकर एयर ट्रैफिक कंट्रोल तक। क्योंकि जब तक हर कड़ी सुरक्षित नहीं होगी, तब तक… आप समझ ही गए होंगे।

अहमदाबाद प्लेन क्रैश: सच्चाई जानने से पहले, कुछ सवाल ज़रूरी हैं

1. कब और कहाँ हुआ था ये भयानक हादसा?

याद है वो दिन? 12 अगस्त, 2021… एक ऐसी तारीख जो अहमदाबाद के लिए काला दिन बन गई। एयरपोर्ट से बस कुछ ही दूर, लैंडिंग के आखिरी पलों में ही प्लेन ने संगीन रूप ले लिया। सच कहूँ तो, आज भी वो तस्वीरें याद करके रूह काँप जाती है।

2. क्या सच में पायलट ही था जिम्मेदार, या कोई और वजह?

देखिए, जाँच रिपोर्ट तो तकनीकी खराबी (technical failure) की बात करती है। पर ईमानदारी से? पूरी कहानी इतनी सीधी नहीं। हाँ, पायलट ने रनवे पर गलत दिशा में लैंडिंग की – ये गलती तो थी ही। लेकिन क्या सिर्फ़ एक इंसान को ही दोषी ठहरा देना सही होगा? सिस्टम में भी तो कमियाँ थीं न!

3. कितनी जानें गई थीं इस हादसे में?

260… सिर्फ़ एक नंबर नहीं, 260 घर उजड़ गए। 260 कहानियाँ अधूरी रह गईं। प्लेन में सवार हर यात्री से लेकर क्रू मेंबर्स तक – सबके सपने एक पल में धुएँ में मिल गए। क्या आप कल्पना कर सकते हैं उन परिवारों का दर्द?

4. अब क्या बदलाव हुए हैं? क्या सच में सबक सीखा गया?

DGCA ने नए नियम बनाए हैं – पायलट ट्रेनिंग और सख्त हुई है, aircraft maintenance की जाँच और बारीक। पर सवाल ये है कि क्या कागज़ पर बने नियम काफ़ी हैं? असल में तो हमें पूरे सिस्टम की मानसिकता बदलनी होगी। सुरक्षा सिर्फ़ चेकलिस्ट नहीं, एक सोच होनी चाहिए। वरना… अफ़सोस, इतिहास खुद को दोहराता रहेगा।

एक बात और – अगर आपको लगता है ये सिर्फ़ एक पुरानी घटना है, तो फिर से सोचिए। कल किसका नंबर आएगा? हमारा तो नहीं?

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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