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“विकसित केरलम” के जरिए अमित शाह ने दक्षिण में बीजेपी की जमीन तैयार की?

रिपोर्ट: क्या “विकसित केरलम” से बीजेपी दक्षिण में अपनी जड़ें जमा पाएगी?

अमित शाह ने हाल ही में केरल में “विकसित केरलम” लॉन्च किया – और यह सिर्फ एक साधारण विकास योजना से ज्यादा लग रहा है। असल में, यह बीजेपी की उस बड़ी गेमप्लान का हिस्सा हो सकता है जिसमें दक्षिण भारत उनका नया बैटलग्राउंड बनता दिख रहा है। अब सवाल यह है कि क्या वामपंथियों और कांग्रेस के गढ़ में BJP अपनी जगह बना पाएगी? मजे की बात ये कि इस प्रोग्राम को पूरी तरह से development के नाम पर पैक किया गया है – infrastructure, health, education सब कुछ। लेकिन हम सब जानते हैं न कि राजनीति में कुछ भी सिर्फ इतना सरल नहीं होता।

केरल में BJP का संघर्ष: एक बैकस्टोरी

सच कहूं तो केरल में BJP की हालत वैसी ही रही है जैसे मछली की सूखी जमीन पर। वामदल और कांग्रेस यहां सालों से राज करते आए हैं। पर कहते हैं न, राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं! पिछले कुछ सालों में BJP ने दक्षिण में “वन तमिलनाडु” जैसे प्रोग्राम्स के जरिए अपनी पकड़ बनाने की कोशिश की है। अब “विकसित केरलम” उसी सीरीज का नया एपिसोड लगता है। युवाओं को jobs, बेहतर infrastructure का सपना दिखाया जा रहा है। लेकिन विपक्ष तो इसे सीधे-सीधे “चुनावी जुमला” बता रहा है। और सुनने में ये बात भी गलत नहीं लगती, है न?

ताजा अपडेट: क्या हुआ, क्या कहा?

तिरुवनंतपुरम में हुए इस इवेंट में अमित शाह ने केरल सरकार पर जमकर निशाना साधा। उनका कहना था कि केंद्र सरकार के बिना केरल का विकास अधूरा है। एक तरफ तो BJP नए कार्यकर्ताओं को जोड़ने में जुटी है, वहीं CPM और कांग्रेस इसे “propaganda” बता रहे हैं। स्थानीय नेताओं का एक हिस्सा इसे सपोर्ट कर रहा है, लेकिन क्या यह सच में जनता तक पहुंच पाएगा? यही असली सवाल है।

किसने क्या कहा?

BJP के लोगों का दावा है कि इससे केरल के युवाओं को नए opportunities मिलेंगे। पर CPM वालों ने तो इसे सीधे “PR exercise” करार दे डाला। सच्चाई शायद बीच में कहीं होगी। जनता की राय? कुछ लोगों को लगता है कि इससे local issues सुलझेंगे, वहीं कईयों को ये सिर्फ एक political stunt लग रहा है। और यहां तो हर किसी की अपनी-अपनी राय है!

अब आगे क्या?

2024 के लोकसभा चुनावों से पहले BJP केरल में अपनी पोजीशन मजबूत करना चाहती है। अगर “विकसित केरलम” को जनता का सपोर्ट मिला तो शायद कुछ सीटें हाथ लग जाएं। लेकिन भाई, केरल की राजनीति कोई आसान खेल नहीं है। यहां वामदलों की जड़ें कितनी गहरी हैं, यह तो सब जानते हैं। आखिरकार, सफलता या असफलता जनता के रिस्पॉन्स पर ही निर्भर करेगी।

बात का सार: “विकसित केरलम” BJP के दक्षिण विस्तार के सपने को दिखाता है। पर केरल जैसे complex political landscape में यह सपना सच होगा या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा। एक बात तय है – अगले कुछ महीने केरल की राजनीति में बड़े मजे आने वाले हैं!

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1. “विकसित केरलम” आखिर है क्या? और BJP को इसकी इतनी जल्दी क्यों पड़ गई?

देखिए, “विकसित केरलम” BJP का वो चालाक चाल है जिससे वो केरल में अपनी पैठ बनाना चाहती है। अमित शाह जी ने तो जैसे इसे प्रोजेक्ट मोड पर ले लिया है! वजह? साफ है न – केरल तो अब तक Left और Congress का गढ़ रहा है। ऐसे में BJP को यहाँ से एक-दो सीटें भी मिल जाएँ तो गेम चेंजर हो सकता है।

2. अमित शाह का केरल प्लान: क्या है उनकी ‘सीक्रेट सॉस’?

अरे भई, इतना सीक्रेट भी नहीं है! शाह साहब ने तीन चीजें कीं:
– स्थानीय मुद्दों को उठाया (जैसे कि विकास और रोजगार)
– युवाओं और महिला वोटर्स को टारगेट किया
– स्थानीय नेताओं से गठजोड़ की कोशिश

मजे की बात? ये वही फॉर्मूला है जो पश्चिम बंगाल में आजमाया गया था। काम किया या नहीं, वो तो वक्त बताएगा!

3. सच-सच बताइए: केरल में BJP का क्या भविष्य है?

ईमानदारी से कहूँ तो… मुश्किल है, पर नामुमकिन नहीं। अभी BJP का वोट बेस तो छोटा है, लेकिन “विकसित केरलम” जैसे अभियानों से धीरे-धीरे स्थिति बदल सकती है। 2024 में शायद एक-दो सीटें? कौन जाने! केरल की राजनीति तो अजीबोगरीब चीज है – आज नहीं तो कल, BJP को यहाँ भी पैर जमाने का मौका मिल ही जाएगा।

4. Game Changer हो सकता है ये अभियान? Left-Congress की नींद उड़ा देगा?

अगर BJP सच में मेहनत करे तो… हाँ! देखिए न, केरल में लोग अब बदलाव चाहते हैं। Left और Congress का मोनोपोली तो टूटनी ही चाहिए। “विकसित केरलम” से BJP एक विकल्प के तौर पर उभर सकती है – बिल्कुल वैसे ही जैसे दिल्ली में AAP ने किया था। पर याद रखिए, केरल के वोटर्स को समझाना कोई आसान काम नहीं। चाय की चुस्की के साथ देखते हैं आगे क्या होता है!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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