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** “ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन का खतरा! भारत के पास क्या हैं आखिरी उपाय? जानें पूरी रणनीति”

ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन का खेल: क्या भारत पानी की इस जंग में पिछड़ जाएगा?

अरे भाई, चीन फिर से अपनी पुरानी आदत पर आ गया है! दक्षिण एशिया के पानी को लेकर उसकी नई चाल ने सबको चौंका दिया है। हाल ही में तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी (वहां इसे यरलुंग त्संगपो कहते हैं) पर एक बड़ा hydropower प्रोजेक्ट शुरू करने की बात सामने आई है। सच कहूं तो यह सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि भूटान, म्यांमार और हमारे बांग्लादेशी भाइयों के लिए भी बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है। देखा जाए तो हमारी सरकार ने इस पर तुरंत react किया है – diplomatic चैनल्स एक्टिवेट कर दिए हैं, technical एक्सपर्ट्स की बैठकें शुरू हो गई हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह काफी होगा?

पानी की यह लड़ाई क्यों है इतनी अहम?

देखिए न, ब्रह्मपुत्र सिर्फ एक नदी नहीं है – यह तो करोड़ों लोगों की जीवनरेखा है। भारत हो या बांग्लादेश, खेतों की सिंचाई से लेकर पीने के पानी तक, सब कुछ इसी पर निर्भर है। चीन तो पहले से ही तिब्बत में कई dams बना चुका है, लेकिन यह नया प्रोजेक्ट तो जैसे पूरे game को ही बदल देगा। असल में मुश्किल यह है कि नदी का प्रवाह अगर बदला तो… समझिए ना, जैसे किसी के घर का नल अचानक बंद कर दिया जाए!

अभी तक क्या हुआ है? (Latest Updates)

चीन ने तो construction शुरू कर दिया है – बस औपचारिक घोषणा का इंतज़ार बाकी है। हमारी तरफ से? विदेश मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय की जोड़ी ने emergency मीटिंग बुलाई है। सबसे अच्छी बात यह है कि भारत ने भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार को साथ लेने का फैसला किया है। वैसे एक और रास्ता है – हमें भी अपनी तरफ water storage कैपेसिटी बढ़ानी होगी। पर क्या यह सब पर्याप्त होगा? यही तो बड़ा सवाल है।

कौन क्या कह रहा है? (Reactions)

इस मामले में reactions काफी interesting हैं। हमारे विदेश मंत्रालय ने तो सीधे शब्दों में कहा है – “चीन की यह एकतरफा कार्रवाई unacceptable है।” पर्यावरण एक्सपर्ट डॉ. अनिल जोशी की बात सुनिए – “यह पूरे region के ecosystem के लिए खतरनाक साबित होगा।” और बांग्लादेश? वे तो हमारे साथ खड़े हैं – उनके जल मंत्रालय ने साफ कहा है कि वे भारत के साथ मिलकर चीन से बात करेंगे। अच्छी बात यह है कि इस बार हम अकेले नहीं हैं।

आगे की राह क्या है? (What Next?)

अब भारत के पास कई options हैं। पहला तो यह कि United Nations जैसे प्लेटफॉर्म्स पर चीन को घेरा जाए। दूसरा, पड़ोसी देशों के साथ मिलकर कोई water treaty की मांग उठाई जाए। तीसरा और सबसे practical – हमें अपनी तकनीकी क्षमता बढ़ानी होगी। सच तो यह है कि अगर चीन ने नदी का प्रवाह ही बदल दिया, तो… समझिए ना, खेत सूख जाएंगे, पीने के पानी का संकट होगा। स्थिति गंभीर है, लेकिन नाउम्मीदी की कोई बात नहीं।

अंत में बात इतनी सी है – हमारी सरकार ने तीन-pronged स्ट्रैटेजी अपनाई है: diplomatic दबाव, technical तैयारी और regional सहयोग। अब देखना यह है कि क्या यह तिकड़ी चीन के पानी के खेल को checkmate कर पाएगी। एक बात तो तय है – यह लड़ाई सिर्फ पानी की नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व की है। और इसमें हार का कोई विकल्प नहीं।

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ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन का खतरा – वो सवाल जो आप पूछना चाहते हैं

1. चीन ब्रह्मपुत्र नदी के साथ क्या खेल खेल रहा है?

देखिए, चीन ने Tsangpo River पर जो बड़े-बड़े डैम बना लिए हैं, वो सिर्फ concrete के ढेर नहीं हैं। असल में ये हमारे पानी पर उसकी मुट्ठी कसने की कोशिश है। और सच कहूं तो, जब ऊपर से पानी रोका जाएगा, तो नीचे वालों को तो problem होगी ही – ecological damage तो होना ही है।

2. भारत इसका क्या जवाब दे रहा है?

तो सरकार water-sharing treaties की बात तो कर रही है, लेकिन साथ ही अपने own dams भी बना रही है। थोड़ा smart move है ये। पर सवाल ये है कि क्या diplomacy और international pressure काम करेगा? देखते हैं…

3. क्या यह पानी का झगड़ा भारत-चीन relations को और बिगाड़ देगा?

ईमानदारी से? हां। border tensions तो हैं ही, अब imagine कीजिए water disputes भी जुड़ जाएं। एक तरफ तो हमारे किसानों को पानी चाहिए, दूसरी तरफ चीन अपने डैम से खेलता रहे। बिल्कुल gunpowder पर बैठने जैसी स्थिति।

4. हम आम लोग क्या कर सकते हैं?

सुनिए, बड़ी बातें छोड़िए – पहले घर में rainwater harvesting तो शुरू करें! social media पर awareness फैलाना भी अच्छा idea है, पर उससे ज़्यादा ज़रूरी है कि हम पानी की हर बूंद की कद्र करना सीखें। वैसे भी, जब government level पर solution नहीं निकल रहा, तो common people को ही तो initiative लेनी पड़ेगी। सही कहा न?

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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