गलवान झड़प के बाद पहली बार चीन जाएंगे एस जयशंकर: क्या बदलेगा भारत-चीन समीकरण?
अरे भाई, बड़ी खबर है! हमारे विदेश मंत्री एस. जयशंकर अगले हफ्ते चीन के दौरे पर जा रहे हैं। SCO की मीटिंग में हिस्सा लेने वाले हैं, लेकिन असली मसला तो कुछ और ही है। साल 2020 में गलवान घाटी में जो खून-खराबा हुआ था, उसके बाद यह पहला मौका है जब कोई भारतीय मंत्री चीन जा रहा है। सच कहूं तो, यह कोई सामान्य यात्रा नहीं है – यह तो एक तरह का टेस्ट केस है कि क्या दोनों देश वाकई में रिश्ते सुधारने को तैयार हैं। खासकर तब, जब LAC पर तनाव अभी भी जस का तस बना हुआ है।
गलवान की वो रात: जब सब कुछ बदल गया
याद है न वो जून 2020 की वो भयानक रात? गलवान घाटी में हमारे 20 जवानों ने शहादत दी थी। चीन ने तो अपने नुकसान के आंकड़े ही छिपा लिए – है न मजेदार बात? सच तो ये है कि यह घटना ने भारत-चीन रिश्तों को दशकों पीछे धकेल दिया। उसके बाद से तो ये सीमा विवाद एक ऐसा जख्म बन गया है जो भरने का नाम ही नहीं ले रहा।
देखा जाए तो पिछले दो साल में कई बार बातचीत हुई, कुछ जगहों से फौजें भी हटीं। लेकिन असली मसला तो अभी भी वहीं का वहीं है। हमारी सरकार का स्टैंड क्लियर है – चीन को LAC पर शांति बनाए रखनी होगी। पर सवाल ये है कि क्या चीन सच में इसे मानने को तैयार है?
SCO मीटिंग या फिर कुछ और? असली एजेंडा क्या है?
तो अब बात करते हैं इस यात्रा की। 4-5 मई को SCO की मीटिंग है जहां सुरक्षा, आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दे तो डिस्कस होंगे ही। पर सबकी नजरें तो इस बात पर टिकी हैं कि क्या जयशंकर और उनके चीनी काउंटरपार्ट के बीच अलग से बातचीत होगी? अगर हां, तो LAC और ट्रेड जैसे मुद्दे जरूर उठेंगे।
हमारी सरकार की रणनीति तो क्लियर है – चीन को अपनी तरफ से ठोस कदम उठाने होंगे। पर एक बात समझनी होगी – यह कोई जादू की छड़ी नहीं है जो एक झटके में सारे तनाव खत्म कर देगी। एक्सपर्ट्स भी यही कह रहे हैं कि पूरी तरह नॉर्मलाइजेशन में अभी वक्त लगेगा।
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स? सुनिए जरा
हमारे विदेश मंत्रालय ने तो यही कहा है कि यह एक अहम मौका है, लेकिन सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं। वहीं चीन की तरफ से बस औपचारिक बयान आया है – “हम दोस्ती बढ़ाने को तैयार हैं।” बड़ी बातें!
डिफेंस एक्सपर्ट्स की मानें तो यह यात्रा पॉजिटिव साइन तो है, लेकिन चीन की “मिलिट्री प्रेशर” वाली नीति को देखते हुए ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए। कुछ का तो यहां तक कहना है कि बातचीत के साथ-साथ हमें अपनी सेना को भी मजबूत करते रहना चाहिए। समझदारी की बात है, है न?
आगे क्या? क्या होगा भविष्य में?
अगले कुछ महीनों में LAC पर कोर कमांडर लेवल की बातचीत तो चलती रहेगी। राजनयिक स्तर पर भी कोशिशें जारी रहेंगी। पर असली सवाल तो ये है कि क्या चीन वाकई में हमारी चिंताओं को समझेगा? अगर हां, तो फिर रिश्तों में सुधार की गुंजाइश बन सकती है।
यह यात्रा क्या नतीजे लाएगी, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन इतना तय है – यह भारत-चीन रिश्तों के नए अध्याय की पहली लाइन हो सकती है। या फिर… बस एक और औपचारिकता? देखते हैं!
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गलवान झड़प और S Jaishankar की चीन यात्रा – जानिए वो सब जो आप जानना चाहते हैं
1. गलवान झड़प के बाद S Jaishankar की चीन यात्रा – इतनी खास क्यों?
देखिए, 2020 में गलवान की वो दर्दनाक झड़प हुई थी न? उसके बाद से ये पहली बार है जब हमारे External Affairs Minister चीन जा रहे हैं। सच कहूं तो, ये कोई सामान्य यात्रा नहीं है – ये तो ऐसा है जैसे बर्फीले रिश्तों में गर्माहट लाने की कोशिश। Diplomatic relations को सुधारने की दिशा में ये एक बड़ा कदम माना जा रहा है, लेकिन… क्या ये कामयाब होगा? वो तो वक्त ही बताएगा।
2. क्या इस यात्रा से हमारे चीन के साथ रिश्ते सुधर पाएंगे?
अरे, experts तो कह रहे हैं कि ये एक सकारात्मक कदम है। पर सच्चाई ये है कि जब तक चीन LAC पर अपनी हठधर्मिता नहीं छोड़ेगा, तब तक कुछ खास बदलाव की उम्मीद करना… थोड़ा मुश्किल है न? Boundary issues से लेकर trade imbalance तक – बातचीत के लिए तो बहुत कुछ है। लेकिन असली सवाल ये है कि क्या चीन सच में बदलना चाहता है?
3. गलवान के बाद से अब तक – कहां खड़े हैं India-China relations?
सुनिए, military talks हुए हैं, diplomatic channels खुले हैं… पर ईमानदारी से कहूं तो स्थिति पूरी तरह normal तो नहीं हुई। अभी भी border पर तनाव है, economic restrictions हैं – ऐसा लगता है जैसे दोनों तरफ से एक ‘ठंडी युद्ध’ चल रही हो। बातचीत जारी है, पर विश्वास? वो अभी बहाल होना बाकी है।
4. इस यात्रा में क्या-क्या होगा discuss? मुख्य मुद्दे क्या हैं?
असल में देखा जाए तो तीन बड़े मुद्दे सामने हैं – पहला तो वो सीमा विवाद जो हमेशा से चला आ रहा है। दूसरा, trade imbalance जिसमें हमें नुकसान हो रहा है। और तीसरा, regional security के मसले। साथ ही, BRICS और SCO जैसे forums में cooperation पर भी चर्चा हो सकती है। पर याद रखिए – सिर्फ बातें कर लेने से कुछ नहीं होता, action चाहिए!
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com