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“म्यांमार बॉर्डर पर ULFA-I के कैम्पों पर भारतीय सेना का ड्रोन हमला! किसने मचाई तबाही?”

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म्यांमार बॉर्डर पर ULFA-I के ठिकानों पर भारत का जवाब! ड्रोन स्ट्राइक ने मचाई धूम?

देखिए न, कभी-कभार सरकार को भी अपनी ताकत दिखानी पड़ती है। और यही हुआ है म्यांमार बॉर्डर पर। भारतीय सेना ने ULFA-I के कैम्पों पर जो ड्रोन हमला किया, वो सच में सटीक था। ठीक वैसे ही जैसे आप PUBG में headshot मारते हैं – एकदम सीधा निशाना! कई आतंकी ठिकाने तो जैसे धूल में मिल गए। और हाँ, ULFA-I के कई कार्यकर्ताओं के मारे जाने की भी खबर है। असल में ये ऑपरेशन असम में बढ़ रही आतंकी हरकतों का जवाब था। साफ दिख रहा है कि अब भारत “जीरो टॉलरेंस” की बात कोई खाली ख़्वाब नहीं, बल्कि एक ठोस नीति बना चुका है।

ULFA-I की कहानी: क्यों बना ये संगठन और क्या चाहता है?

अब थोड़ा पीछे चलते हैं। ULFA-I कोई नया संगठन नहीं है। सालों से ये असम को भारत से अलग करने की बात करता आया है। लेकिन हाल के वर्षों में इन्होंने म्यांमार बॉर्डर पर अपने छुपे हुए ठिकाने बना लिए थे। यहाँ से क्या होता था? हथियारों की सप्लाई, ट्रेनिंग और फिर भारतीय सुरक्षा बलों पर हमले की प्लानिंग। भारत ने म्यांमार को कितनी ही बार चेताया, लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हमें खुद ही कदम उठाना पड़ा। कहते हैं न, जब बात नहीं बनती तो एक्शन ही आखिरी विकल्प होता है।

ऑपरेशन की खासियत: टेक्नोलॉजी का जबरदस्त इस्तेमाल

अब यहाँ सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने कैसे काम किया। Intelligence inputs और सैटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल कर ULFA-I के कैम्प्स की एकदम सटीक लोकेशन पता की गई। फिर ड्रोन्स से सर्जिकल स्ट्राइक की गई – बिल्कुल वैसे ही जैसे डॉक्टर ऑपरेशन करता है, नस-नस की पहचान कर। कम से कम 3-4 बड़े कैम्प्स तो पूरी तरह ध्वस्त हो गए। और सबसे अच्छी बात? भारतीय सुरक्षा बलों को ज़ीरो नुकसान। एकदम फ्लॉलेस विक्टरी!

किसने क्या कहा? प्रतिक्रियाओं का दंगल

दिल्ली से लेकर डिस्पुर तक सबकी प्रतिक्रिया एक जैसी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साफ कहा – “हम आतंकवाद के सामने झुकने वाले नहीं हैं।” असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने तो मानो खुशी से उछल पड़े! उन्होंने इसे राज्य में शांति की दिशा में बड़ा कदम बताया। ULFA-I की तरफ से? अभी तक चुप्पी। और म्यांमार? वो भारत के साथ सुरक्षा सहयोग बढ़ाने की बात कर रहा है। मजेदार बात ये है कि जब कार्रवाई होती है तो सबको सहयोग की याद आती है!

आगे क्या? भविष्य की रणनीति पर एक नज़र

अब सवाल ये है कि ये सिलसिला यहीं थमेगा या आगे बढ़ेगा? जानकारों का मानना है कि म्यांमार बॉर्डर पर और ऐसे ऑपरेशन हो सकते हैं। ULFA-I के खिलाफ कार्रवाइयाँ तेज होंगी। पूर्वोत्तर में सुरक्षा बलों की संख्या भी बढ़ सकती है। और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर? भारत की आतंकवाद-विरोधी छवि और मजबूत होगी। खासकर उन देशों के बीच जो cross-border terrorism को लेकर गंभीर हैं।

अंतिम बात: स्पष्ट संदेश गूँज रहा है

इस पूरे ऑपरेशन से एक बात तो साफ है – भारत अब आतंकवाद के सामने घुटने टेकने वाला नहीं है। ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल दिखाता है कि हम अब पारंपरिक तरीकों से आगे निकल चुके हैं। आने वाले दिनों में सीमा सुरक्षा और आतंकवाद निरोधक कार्रवाइयाँ और तेज होंगी। उम्मीद है कि इससे पूर्वोत्तर में स्थायी शांति मिलेगी। वैसे भी, जब देश की सुरक्षा की बात आती है तो कोई समझौता नहीं होता। है न?

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देखा जाए तो भारतीय सेना का यह ड्रोन हमला ULFA-I और NSCN(K) जैसे गुटों के लिए एक साफ़ चेतावनी है – अब कोई मौका नहीं मिलने वाला। सच कहूं तो, यह सिर्फ़ तकनीकी ताकत का नहीं, बल्कि हमारे इरादों का भी सबूत है। जीरो टॉलरेंस पॉलिसी? वो भी पूरी तरह।

अब सवाल यह है कि क्या यह ऑपरेशन आने वाले दिनों में और बड़े कार्रवाई का संकेत है? शायद। लेकिन फिलहाल तो यह संदेश क्लियर है – सुरक्षा के मामले में कोई लेना-देना नहीं।

और हां, इस पर और अपडेट्स के लिए बने रहिएगा। क्योंकि जब बात देश की सुरक्षा की हो, तो हर डिटेल मायने रखती है। है न?

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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