₹38 लाख की लग्जरी कार की मरम्मत पर ₹55 लाख? कोर्ट ने सुनाया ऐसा फैसला कि कंपनी के होश उड़ गए!
सुनकर हैरान रह गए न? मैं भी था जब यह केस सामने आया। उपभोक्ता अधिकारों की दुनिया में ये एक ऐसा मामला है जिसने सबको चौंका दिया। सोचिए, आप ₹38 लाख की कार खरीदें और उसकी मरम्मत पर ₹55 लाख खर्च हो जाए! मजाक लगता है न? लेकिन यही हुआ एक ग्राहक के साथ। और अब कोर्ट ने जो फैसला दिया है, वो तो किसी सिनेमा से कम नहीं – कंपनी को पूरी रकम वापस करने के साथ-साथ ₹1 लाख का मानसिक प्रताड़ना मुआवजा भी देना होगा। बस, फुल स्टॉप!
कहानी शुरू होती है… जब नई कार ने दिखाया रंग
2018 की बात है। एक शख्स ने खरीदी थी एक premium luxury car – कीमत ₹38 लाख। शुरुआत तो बढ़िया चली, लेकिन कुछ महीनों बाद ही कार ने ‘मूड’ दिखाना शुरू कर दिया। अब यहाँ से शुरू होता है असली ड्रामा। ग्राहक ने कार को कंपनी के authorized service center में भेजा, और फिर…? फिर तो ऐसा हुआ कि मरम्मत का बिल कार की कीमत से भी ₹17 लाख ज्यादा हो गया! यानी कुल ₹55 लाख। अरे भई, इतने में तो नई कार आ जाती!
ग्राहक ने कंपनी से कितनी बार शिकायत की होगी, ये तो वही जाने। लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई, तो उसके पास कोर्ट जाने के अलावा कोई चारा ही नहीं बचा। और अब जो फैसला आया है, वो तो किसी सुपरहीरो मूवी के क्लाइमेक्स जैसा है।
कोर्ट ने लगाई कंपनी की खूब खबर – जमकर!
जज साहब ने तो जैसे कंपनी को पूरी तरह से ‘एक्सपोज’ कर दिया। फैसले में साफ कहा गया कि कंपनी ने न सिर्फ मरम्मत में लापरवाही की, बल्कि ग्राहक के साथ सीधे-सीधे धोखाधड़ी की। ₹55 लाख वापसी का आदेश तो ठीक है, लेकिन ₹1 लाख का मानसिक प्रताड़ना मुआवजा? ये तो किसी चेरी ऑन टॉप जैसा है। कोर्ट ने सही कहा – “मरम्मत की लागत कार की कीमत से ज्यादा? ये तो वैसा ही है जैसे मोबाइल रिपेयरिंग पर नया फोन खरीदने से ज्यादा पैसे माँग लिए जाएँ!”
किसने क्या कहा? जानिए रिएक्शन्स
ग्राहक तो जैसे नई जिंदगी पा गया – “मुझे न्याय मिला है!” वहीं कंपनी वालों का बयान कुछ ऐसा था जैसे परीक्षा में फेल होने के बाद बच्चे का बहाना – “हम फैसले का अध्ययन कर रहे हैं…”। उपभोक्ता अधिकार वालों ने तो जैसे पटाखे फोड़ दिए होते – “ये फैसला एक मिसाल है!” सच कहूँ तो, ये केस तो अब बिजनेस स्कूल्स में पढ़ाया जाएगा कि कैसे ग्राहक को न लूटें!
अब आगे क्या? कंपनी के पसीने छूट गए होंगे!
अब सवाल यह है कि कंपनी इस फैसले को मानेगी या हाईकोर्ट का रुख करेगी। Legal experts कह रहे हैं कि कोर्ट का फैसला काफी मजबूत है। मतलब कंपनी के पास ज्यादा ऑप्शन नहीं दिखते।
इस पूरे मामले ने तो जैसे सभी कंपनियों को एक साफ संदेश दे दिया है – ग्राहक को फूल समझने की भूल मत करो! और हाँ, अब कोई भी ग्राहक ऐसे मामलों में कोर्ट जाने से नहीं हिचकेगा। क्योंकि अंत में, जीत हमेशा सच की नहीं होती… लेकिन इस बार हुई है!
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‘₹38 लाख की लग्जरी कार की मरम्मत पर ₹55 लाख खर्च!’ – जानिए पूरा मामला
सुनकर हैरानी हुई न? मुझे भी हुई थी जब ये केस सामने आया। पर असल में ये सच है – एक लग्जरी कार की मरम्मत पर उसकी असली कीमत से भी ज्यादा पैसा खर्च हो गया! अब सवाल यह है कि आखिर ये हुआ कैसे? चलिए डिटेल में समझते हैं।
1. ये पूरा मामला क्या है? कोर्ट ने क्या कहा?
कहानी कुछ ऐसी है – ₹38 लाख की एक शानदार कार थी, जिसकी मरम्मत पर ₹55 लाख का बिल आ गया! अब आप सोच रहे होंगे – भला ऐसा कैसे हो सकता है? मगर कोर्ट ने फैसला दिया कि इंश्योरेंस कंपनी को ये पूरा बिल भरना होगा। क्यों? क्योंकि मरम्मत वाकई में जरूरी थी, चाहे खर्च कार की कीमत से ज्यादा ही क्यों न हो।
2. इंश्योरेंस कंपनी ने इतना बड़ा बिल क्यों मान लिया?
असल में बात ये है कि कोर्ट ने देखा कि मरम्मत का काम बिल्कुल सही और जरूरी था। साथ ही, दो और बातें मायने रखती थीं – पहली, कार की वैल्यू कम हो चुकी थी (डिप्रीसिएशन), और दूसरी, सेफ्टी का सवाल था। सोचिए, अगर ठीक से मरम्मत न होती तो ड्राइविंग में खतरा हो सकता था। ऐसे में कोर्ट का फैसला सही लगता है, है न?
3. क्या अब ऐसा हर केस में होगा?
ये तो दिलचस्प सवाल है! देखिए, ये फैसला एक तरह का प्रीसीडेंट जरूर बनाता है। मतलब अगर किसी और केस में भी मरम्मत का खर्च ज्यादा है, लेकिन वाजिब है, तो इंश्योरेंस कंपनी को पैसे देने पड़ सकते हैं। पर याद रखिए – हर मामले की अपनी अलग कहानी होती है। कोर्ट हर बार तथ्यों को देखकर ही फैसला करेगा।
4. इस केस से कार मालिकों को क्या सीख मिलती है?
सबसे बड़ी सीख तो यही कि अगर आपकी कार की मरम्मत का बिल ज्यादा आए, तो घबराएं नहीं। अगर मरम्मत वाकई में जरूरी है और ऑथेंटिक तरीके से हुई है, तो इंश्योरेंस क्लेम करने से पीछे न हटें। वैसे भी, इंश्योरेंस लेने का मतलब ही यही होता है न? मुसीबत के वक्त सहारा मिले।
एक और जरूरी बात – हमेशा अच्छी क्वालिटी की मरम्मत करवाएं। कुछ लोग सस्ते में काम करवा लेते हैं, लेकिन बाद में पछताना पड़ता है। सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहिए, है न?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com