ट्रंप के लिए मुश्किलें बढ़ीं: नए टैरिफ से पहले क्या होगा दुनिया का अगला कदम?
देखिए न, डोनाल्ड ट्रंप को एक बार फिर बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। बुधवार की डेडलाइन करीब आ रही है, और ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने साफ कर दिया है – 1 अगस्त से नए टैरिफ लागू होंगे ही। अब सवाल यह है कि क्या अमेरिका और दूसरे देश इससे पहले कोई समझौता कर पाएंगे? वैसे, ये टैरिफ अप्रैल वाले स्तर पर वापस जाएंगे, जिसका मतलब है… हां, आपने सही समझा – एक बड़ी आर्थिक उथल-पुथल। और भईया, ये सिर्फ अमेरिका की ही नहीं, पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला देने वाला फैसला हो सकता है।
पूरा माजरा क्या है?
असल में बात यह है कि पिछले कुछ महीनों से अमेरिका और दूसरे देशों के बीच ट्रेड वॉर चल रहा है। अप्रैल में तो ट्रंप ने बड़ा ही दिलचस्प मूव किया था – चीन, यूरोप और दूसरे देशों पर आयात शुल्क बढ़ाने का ऐलान कर दिया। मकसद? अमेरिकी उद्योगों को बचाना। लेकिन यहां गड़बड़ हो गई – दुनिया भर के बाजारों में हड़कंप मच गया। और अब? अब तो समय हाथ से निकला जा रहा है। क्या आपको नहीं लगता कि ये टेंशन और बढ़ने वाली है?
समय की रेस: कौन जीतेगा, कौन हारेगा?
अभी सबसे बड़ी टेंशन की बात ये है कि बुधवार तक का समय। अगर इससे पहले कोई डील नहीं हुई तो… वाह! 1 अगस्त से टैरिफ वापस पुराने स्तर पर। और ये कोई झूठी धमकी नहीं है, ट्रेजरी सेक्रेटरी ने खुद कह दिया है। इसीलिए तो यूरोप और चीन जैसे देश अमेरिका के साथ बैठकों में जुट गए हैं। पर सच बात तो ये है कि इन वार्ताओं के नतीजे सिर्फ देशों के रिश्तों को ही नहीं, पूरी दुनिया की supply chain को प्रभावित करेंगे। सोचिए, आपके फोन से लेकर कार तक सबकी कीमतें बदल सकती हैं!
दुनिया क्या कह रही है?
अब देखिए देशों की प्रतिक्रियाएं – बड़ी दिलचस्प हैं। यूरोप का कहना है, “हम समान शर्तों पर डील चाहते हैं, टैरिफ नहीं।” वहीं चीन तो बिल्कुल गरम है – उनका कहना है कि वो “हर अमेरिकी कदम का जवाब देंगे।” और हैरानी की बात ये कि अमेरिका के अपने बिजनेस लीडर्स भी परेशान हैं। उनका कहना है कि इससे अमेरिकी exports को नुकसान होगा। मतलब साफ है – सबके अपने-अपने स्वार्थ। क्या आपको नहीं लगता कि ये पूरा मामला एक बड़े टकराव की ओर बढ़ रहा है?
आगे क्या होगा?
अगर बुधवार तक कोई समझौता नहीं हुआ तो… समझ गए न? 1 अगस्त से नए टैरिफ। और फिर? फिर तो वैश्विक ट्रेड वॉर और तनाव बढ़ने के आसार हैं। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि लंबी वार्ताएं चलेंगी, बाजार ऊपर-नीचे होते रहेंगे। कुछ तो यहां तक कह रहे हैं कि ये मुद्दा G20 जैसे बड़े मंचों पर उठेगा। सच कहूं तो ये सिर्फ सरकारों और कंपनियों का मामला नहीं रहा – आप-हम जैसे आम लोगों की जेब पर भी असर पड़ेगा। तो क्या आप तैयार हैं इस नए आर्थिक भूचाल के लिए?
एक बात तो तय है – अगले कुछ दिनों में स्थिति और साफ होगी। लेकिन अभी के लिए? अभी तो बस इतना ही कह सकते हैं – बकझक जारी है!
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Source: Dow Jones – Social Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com