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ट्रंप का भारत को झटकेदार चेतावनी! “रूस से दोस्ती छोड़ो नहीं तो भुगतो परिणाम”

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ट्रंप ने भारत को दी झटकेदार चेतावनी! “रूस से दोस्ती नहीं तो…?”

अरे भाई, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो आजकल भारत को लेकर बड़ी ही दिलचस्प धमकी दे डाली है। सीधे-सीधे कह दिया – “रूस से दोस्ती छोड़ो, वरना…” और ये ‘वरना’ वाला हिस्सा ही तो दिल दहला देने वाला है। 500% तक का टैरिफ? सच में? ये कोई मजाक थोड़े ही है! देखा जाए तो ये धमकी दोनों देशों के बीच तनाव को फिर से हवा देने वाली साबित हो सकती है।

पहले समझिए पूरा मामला

असल में बात ये है कि भारत और रूस का रिश्ता तो वैसा ही है जैसे दादा-पोते का। सालों से चला आ रहा है – चाहे वो रक्षा सौदे हों, तेल की सप्लाई हो या फिर दूसरे व्यापारिक रिश्ते। लेकिन यूक्रेन वाली पूरी घटना के बाद से अमेरिका और उसके दोस्तों का रूस पर तो गुस्सा है ही, अब वो हम जैसे देशों पर भी नाराज़ हो रहे हैं। और ट्रंप साहब का ये नया बिल तो CAATSA जैसे पुराने कानूनों से भी आगे निकल गया है। सीधा निशाना – भारत जैसे देश!

बिल की बात करें तो…

ये जो नया बिल अमेरिकी संसद में आया है, उसमें तो साफ-साफ लिखा है – रूस से सैन्य या ऊर्जा का कोई भी सौदा करोगे तो 500% टैरिफ झेलो! अब सोचिए, हमारे स्टील, दवाइयाँ, कपड़े – सब पर ये टैरिफ लगेगा तो अमेरिका में बेचना तो मुश्किल हो जाएगा ही। हालांकि, अभी तक हमारी सरकार ने कोई ऑफिशियल स्टेटमेंट नहीं दिया है। पर याद है ना विदेश मंत्रालय का वो बयान? “राष्ट्रीय हित सर्वोपरि”। बिल्कुल सही!

कौन क्या बोल रहा है?

अमेरिकी एक्सपर्ट्स तो यही कह रहे हैं कि इससे रिश्ते बिगड़ सकते हैं। वहीं हमारे यहाँ… अरे भई, विपक्ष को तो मौका मिल ही गया सरकार पर हमला बोलने का! “अमेरिका के आगे घुटने टेक दिए” वगैरह-वगैरह। सत्ता पक्ष वाले? उनका तो साफ स्टैंड है – “कोई दबाव नहीं चलेगा”। और रूस? उन्होंने तो इसे ‘आर्थिक युद्ध’ तक कह डाला है। मजेदार बात ये कि वो अपने दोस्तों का साथ न छोड़ने की बात कर रहे हैं।

अब आगे क्या?

अगर ये बिल पास हो गया तो…? दो ही रास्ते दिख रहे हैं – या तो अमेरिका से बातचीत करो, या फिर चीन, EU जैसे नए बाजार तलाशो। पर ये इतना आसान भी नहीं। एक तरफ तो वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल का खतरा, दूसरी तरफ व्यापार युद्ध की आशंका। और सबसे बड़ी बात – हमें अपनी कूटनीति में बैलेंस बनाना होगा। न रूस नाराज हो, न अमेरिका। थोड़ा टाइटरोप चलना होगा!

आखिरी बात: ये सिर्फ भारत-अमेरिका का मसला नहीं है दोस्तों। पूरी दुनिया की नजर इस पर टिकी है। एक गलत कदम और…? खैर, हमारे नीति निर्माताओं को तो अब बहुत सोच-समझकर चलना होगा। पुराने दोस्त भी जाएँ नहीं, नए साझेदार भी मनाए रहें। कठिन है, लेकिन नामुमकिन नहीं!

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1. ट्रंप ने भारत को लेकर क्या बड़ा बयान दिया?

अरे भाई, डोनाल्ड ट्रंप ने तो जैसे भारत को सीधे निशाने पर ले लिया है! उनका कहना है कि अगर हम रूस के साथ यह ‘ब्रॉमेंस’ जारी रखेंगे, तो अमेरिका नाराज हो जाएगा। सच कहूं तो यह कोई नई बात नहीं – अमेरिका तो हमेशा से अपने हितों की बात करता आया है। लेकिन इस बार टोन थोड़ा ज्यादा aggressive लगा, है न?

2. भारत और रूस की दोस्ती असल में कितनी पुरानी है?

देखो, ये रिश्ता हमारे दादा-परदादा के जमाने का है! सोवियत यूनियन के दिनों से चला आ रहा है। ऊर्जा हो या रक्षा, टेक्नोलॉजी हो या अंतरराष्ट्रीय राजनीति – रूस ने हमेशा भारत का साथ दिया है। याद कीजिए 1971 का युद्ध? UN में वीटो? सच तो यह है कि यह रिश्ता सिर्फ सरकारों के बीच नहीं, जनता के दिलों में भी बसा है।

3. क्या भारत अमेरिका की इस धमकी को ignore कर सकता है?

अब यहां बात बड़ी दिलचस्प हो जाती है। एक तरफ तो हमारी ‘नॉन-अलाइन्ड’ विदेश नीति की परंपरा है। दूसरी तरफ, अमेरिका के साथ हमारे trade, technology और strategic रिश्ते हैं। मेरी निजी राय? हमें चालाकी से काम लेना होगा – जैसे बचपन में मम्मी-पापा दोनों को खुश रखना सीखा था! Balance बनाना होगा, वरना…

4. अगर अमेरिका नाराज हुआ तो हमारी economy पर क्या असर पड़ेगा?

सीधी बात – अगर अमेरिका वाकई sanctions लगाता है तो झटका तो लगेगा ही। लेकिन याद रखिए, 1998 के nuclear tests के बाद भी हम पर प्रतिबंध लगे थे। और देखिए आज हम कहां हैं! हमारी economy अब पहले से ज्यादा मजबूत है। फिर भी, IT sector और exports को लेकर थोड़ी चिंता होना स्वाभाविक है। क्या आपको नहीं लगता?

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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