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हेलीपैड बहा, हर्षिल में सेना कैंप तबाह! कई जवान लापता, धराली में 200 लोग मौजूद

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हेलीपैड बहा, हर्षिल में सेना कैंप तबाह! कई जवान लापता, धराली में 200 लोग फंसे

उत्तराखंड का हर्षिल… जिसे हम ‘स्वर्ग का छोटा सा टुकड़ा’ कहते हैं, लेकिन कल रात यही जगह एक डरावनी त्रासदी का साक्षी बनी। सोचिए, जहां आप शांति से चाय की चुस्कियां लेते हैं, अगले ही पल वहां बाढ़ का पानी छलक आए! खीर गंगा नदी – जो आमतौर पर शांत रहती है – अचानक कैसे इतनी खतरनाक हो गई? असल में, सात ताल इलाके में बादल फटने से पानी का इतना जबरदस्त दबाव बना कि सेना का तेल गाट कैंप तक बह गया। और हां, धराली में फंसे 200 लोगों की हालत तो और भी बदतर है।

ये इलाका हमेशा से ही ‘रिस्की’ रहा है

देखा जाए तो हर्षिल-धराली का ये पूरा इलाका नैचुरल ब्यूटी के साथ-साथ नैचुरल डेंजर से भी भरपूर है। यहां बादल फटना या भूस्खलन होना कोई नई बात नहीं। पर इस बार? हद हो गई! खीर गंगा का उद्गम स्थान सात ताल तो मानसून में हमेशा ही अप्रत्याशित रहता है, लेकिन इस बार जो हुआ वो किसी ने नहीं सोचा था। और सच कहूं तो, सेना का कैंप जो सीमा सुरक्षा के लिए इतना अहम है, वो भी इस मुसीबत के आगे कुछ नहीं कर पाया।

अभी की स्थिति: हेलीपैड गया, राहत कार्य ठप

सबसे बुरी खबर ये कि हेलीपैड पूरी तरह बह चुका है। मतलब साफ है – rescue operations पर सीधा असर। सेना के जवान अभी भी लापता हैं, और उन्हें ढूंढने की कोशिशें जारी हैं। धराली में फंसे लोगों को निकालने के लिए alternative routes का इस्तेमाल हो रहा है। और अब मौसम विभाग की नई चेतावनी – अगले 24 घंटे और भारी बारिश! स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

लोग क्या कह रहे हैं?

सेना प्रवक्ता का कहना है – “हमारी टीमें पूरी ताकत से काम कर रही हैं। हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाने की कोशिश चल रही है।” वहीं स्थानीय लोगों की आवाज़ में गुस्सा साफ झलक रहा है: “हर बार यही होता है! disaster management सिस्टम कहां है?” सच कहूं तो, ये सवाल वाजिब भी लगता है। राज्य सरकार ने NDRF को तैनात कर दिया है, पर क्या ये काफी है?

आगे क्या होगा?

फिलहाल तो priority है लापता जवानों और फंसे लोगों को बचाना। मौसम विभाग के updates के आधार पर आगे की रणनीति बनेगी। हेलीपैड और कैंप की मरम्मत? वो तो बाद की बात है। पर सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या हम इस तरह की घटनाओं के लिए तैयार हैं? विशेषज्ञ सही कहते हैं – हमें better early warning systems और मजबूत infrastructure की सख्त जरूरत है। वरना… अगली बार फिर यही हाल होगा।

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1. हर्षिल में हेलीपैड और सेना कैंप को क्या हुआ?

देखिए, हर्षिल की ये हालत हुई है कि भारी बारिश और अचानक आए भूस्खलन ने तो जैसे सबकी नींद उड़ा दी। हेलीपैड? बह गया। सेना कैंप? काफी बुरी तरह damaged। और सबसे दुखद बात – कई जवान अभी तक लापता हैं। Rescue operations तो चल ही रही हैं, लेकिन मौसम की मार अलग। ऐसे में काम करना आसान नहीं।

2. धराली में फंसे ये 200 लोग कौन हैं?

असल में बात ये है कि धराली में जो 200 लोग फंसे हुए हैं, उनमें स्थानीय लोग तो हैं ही, साथ ही कुछ tourists भी हैं। और हां, कुछ सैन्य कर्मी भी वहां मौजूद हैं। अब सेना और NDRF की टीमें इन्हें सुरक्षित निकालने में जुटी हुई हैं। पर सवाल ये कि कब तक? क्योंकि हालात बिल्कुल आसान नहीं लग रहे।

3. लापता जवानों की खोज कैसी चल रही है?

सच कहूं तो ये पूरा मामला दिल दहला देने वाला है। सेना, NDRF और SDRF मिलकर काम कर रही हैं – हेलिकॉप्टर, drones, सब कुछ तैनात है। लेकिन यार, मौसम ही ऐसा है कि operations में रोज नई दिक्कत आ रही है। कभी बारिश, कभी कोहरा… जैसे प्रकृति ही विरोध कर रही हो।

4. सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए हैं?

तो देखिए, केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने relief और rescue operations शुरू कर दी हैं। CM साहब ने तो दुख जताया ही है, साथ ही पूरी मदद का भरोसा भी दिलाया है। Army भी अपने सारे resources झोंक रही है। पर सच पूछो तो? इतने बड़े हादसे के बाद सिर्फ आश्वासन काफी नहीं होते। Action चाहिए। और वो भी तेज।

एक बात और – ये सिर्फ खबर नहीं है। ये हमारे जवानों की सुरक्षा का सवाल है। सोचिए, अगर हेलीपैड ही नहीं रहेगा तो emergency में कैसे काम चलेगा? गंभीर मामला है। बिल्कुल।

Source: Aaj Tak – Home | Secondary News Source: Pulsivic.com

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