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“11 साल में LPG कनेक्शन में 135% उछाल! देखें भारत vs श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान की कीमतों का तुलनात्मक विश्लेषण”

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11 साल में LPG कनेक्शन में 135% उछाल! भारत vs पड़ोसियों की कीमतें – कौन आगे, कौन पीछे?

आज तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक ऐसा आंकड़ा दिया जिस पर गर्व होता है – पिछले 11 सालों में LPG कनेक्शन 135% बढ़े हैं! सुनने में तो ये बस एक नंबर लगता है, लेकिन असल में ये हमारे देश की बड़ी कहानी कहता है। 33 करोड़ कनेक्शन! यानी आज हर दूसरे-तीसरे घर में गैस चूल्हा। और ये सब कैसे हुआ? वो मशहूर उज्ज्वला योजना की वजह से, जिसने गाँव-गाँव तक LPG पहुँचा दी। लेकिन सवाल ये है कि क्या कीमतों के मामले में भी हम अपने पड़ोसियों से आगे हैं? चलिए, इसी बात पर थोड़ा गहराई से बात करते हैं।

पहले कैसा था हाल? याद कीजिए वो दिन…

2014 से पहले का सीन याद करें तो… गाँवों में धुएँ भरी रसोई, महिलाओं की आँखें लाल – ये तस्वीर आम थी। सिर्फ 14 करोड़ कनेक्शन! मतलब ग्रामीण इलाकों में तो LPG लगभग नदारद। लकड़ी और कोयले पर निर्भरता ने न जाने कितने लोगों की सेहत बिगाड़ी। फिर आई उज्ज्वला योजना – और क्या कमाल किया इसने! 10 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को मिला मुफ्त कनेक्शन। सच कहूँ तो, ये सिर्फ गैस की बात नहीं, औरतों की आज़ादी की कहानी है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार के उतार-चढ़ाव ने सरकार को सब्सिडी संतुलित करने पर मजबूर किया।

देखिए तुलना: हमारा सिलेंडर vs पड़ोसियों का

अब जरा कीमतों की बात करें तो… भारत में ₹1,100 (सब्सिडी के बाद) देकर आप 14.2kg का सिलेंडर ले जाते हैं। लेकिन श्रीलंका? वहाँ तो ₹2,500 से ऊपर! नेपाल भी ₹1,800-2,000 के बीच झूल रहा है। सबसे बुरा हाल पाकिस्तान का – ₹3,000 प्रति सिलेंडर! यानी हमारे यहाँ एक सिलेंडर लेने के पैसे में वहाँ तो आधा ही मिलेगा। क्या आपने कभी सोचा था कि LPG के मामले में हम इतने आगे निकल जाएँगे?

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स और आम लोग?

तेल मंत्री तो खुश हैं – “हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं।” लेकिन डॉ. अमित शर्मा जैसे विशेषज्ञों की चिंता भी सही है – “अंतरराष्ट्रीय बाजार का दबाव तो बना ही रहेगा।” और हम जैसे आम लोग? हमारी फरियाद साफ है – “भैया, महंगाई के इस दौर में सब्सिडी कम मत कीजिए!” सच्चाई ये है कि सरकार को बीच का रास्ता निकालना होगा।

आगे क्या? बायोगैस या फिर…

अब सवाल ये कि भविष्य में क्या होगा? सरकार सोच रही है लक्षित सब्सिडी पर – मतलब जिसे जरूरत हो, उसे ही मिले। साथ ही बायोगैस और इलेक्ट्रिक स्टोव को भी बढ़ावा मिल सकता है। पर एक बड़ी चुनौती तो रहेगी ही – अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों का उतार-चढ़ाव। अगर ये बढ़ती रहीं, तो सरकार को नई रणनीति बनानी पड़ेगी।

तो ये है पूरी कहानी संक्षेप में – हमने LPG में बड़ी छलांग लगाई है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। क्या हम ऊर्जा सुरक्षा के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो पाएँगे? वक्त ही बताएगा। फिलहाल तो… चलो, गैस चूल्हे पर चाय बनाते हैं!

Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com

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